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Sourav Ganguly life incident: सौरव गांगुली के बड़े कारनामें जो भारतीय किक्रट में मचाया कोहराम

Sourav Ganguly life incident: आइये जानते है सौरव गांगुली के वो किस्से जो उन्हें बनाता है सबसे अलग

Highlight:

  • सौरव गांगुली ने भारत के लिए 146 वनडे मैचों में टीम का नेतृत्व किया। इनमें से भारत   को 76 मैच में जीत मिली।
  • सौरव गांगुली ने जनवरी 1992 में ब्रिस्बेन में वेस्टइंडीज के खिलाफ डेब्यू करने के बाद 16 साल तक भारत के लिए खेला। काफी आक्रामक होने के कारण उन्हें डेब्यू के लगभग 4 साल तक टीम से बाहर भी रहना पड़ा।

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली को हिंदुस्तान के सबसे सफल कप्तानों में शुमार किया जाता है। कहते हैं कि बचपन में वो एक फुटबॉलर बनना चाहते थे। लेकिन अपने पिता के कहने पर क्रिकेट खेलने लगे। लेकिन किस्मत देखिए क्रिकेट में कदम रखते ही चमत्कार कर दिया। अपने पहले टेस्ट में ही सेंचुरी बनाकर हंगामा कर दिया।

साल 2000 में सौरव गांगुली को टीम इंडिया का कप्तान बनाया गया। उन्होंने 146 वनडे मैचों में भारत की कप्तानी करते हुए 76 मैचों में जीत दर्ज कराई। टीम इंडिया ने उनकी कप्तानी में 49 टेस्ट में से 21 में जीत हासिल की थी। भारत की ओर से 113 टेस्ट और 311 वनडे इंटरनेशनल मैच खेलते हुए उन्होंने टेस्ट में 7212 रन और वनडे में 11,363 रन बनाए है। सौरव गांगुली का क्रिकेट करियर हर खिलाड़ी के लिए नजीर है। इतना ही नहीं छात्र भी उनकी सफलता से सबक सीख सकते हैं।

आपको बता दे गांगुली के कप्तान बनने के बाद से एक नया दौर शुरू हुआ और फिर टीम इंडिया ने सिर्फ अपनी ही सरजमीं पर ही नहीं बल्कि विदेशों में भी जीत का इतिहास रचना शुरू कर दिया था।

आपको बताए टीम इंडिया के पूर्व कप्तान गांगुली को उनके क्रिकेट करियर के दौरान ‘गॉड ऑफ ऑफसाइड’, ‘प्रिंस ऑफ कोलकाता’, ‘बंगाल टाइगर’ और ‘दादा’ जैसे कई नाम दिए गए। जिनसे आज भी उनकी अलग पहचान है।

सौरव गांगुली ने जनवरी 1992 में ब्रिस्बेन में वेस्टइंडीज के खिलाफ डेब्यू करने के बाद 16 साल तक भारत के लिए खेला। काफी आक्रामक होने के कारण उन्हें डेब्यू के लगभग 4 साल तक टीम से बाहर भी रहना पड़ा। लेकिन, उन्हें टेस्ट सीरीज के लिए 1996 में स्क्वॉड में शामिल किया गया। ऐसे में उनके क्रिकेट करियर की सही शुरूआत 1996 में हुई। इस सीरीज में उन्होंने मशहूर लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड में इंग्लैंड के खिलाफ धमाकेदार शतक ठोका और फिर अपने करियर में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

सौरव गांगुली ने भारत के लिए 146 वनडे मैचों में टीम का नेतृत्व किया। इनमें से भारत को 76 मैच में जीत मिली। इसके साथ ही उनकी कप्तानी में भारतीय टीम ने 49 टेस्ट मैचों में से 21 मुकाबलों में नतीजा अपने नाम करने में कामयाब रही। जबकि 15 टेस्ट मुकाबले ड्रॉ पर खत्म हुए। दादा की ही कप्तानी में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को उसके घर में 2001 में लगातार 16 टेस्ट मैच जीतने के रिकॉर्ड को थामा था और उसे 2-1 से हराकर सीरीज अपने नाम की थी।

आपको बता दे सन 2005 में भारत और पाकिस्तान का मैच विशाखापट्टनम में आयोजित किया गया। भारतीय क्रिकेट टीम में युवा खिलाड़ी महेंद्र सिंह धोनी को जगह दी गई। इस मैच से पहले महेंद्र सिंह धोनी का प्रदर्शन निराशाजनक था। एक प्रतिभाशाली खिलाड़ी का निराशाजनक प्रदर्शन सभी को चुभता है। सौरव गांगुली को महसूस हुआ कि अभी तक धोनी सात नंबर पर खेलने आते हैं। इस कारण उनके ऊपर दबाव भी रहता है और गेंदें भी कम खेलने को मिलती हैं। अगर धोनी बल्लेबाजी क्रम में ऊपर आएं तो वह ज़रूर अपनी प्रतिभा के साथ न्याय कर सकते हैं।

मैच से पहले सौरव गांगुली ने महेंद्र सिंह धोनी को फोन किया और कहा कि आपको मैच में तीन नंबर पर बल्लेबाजी करनी है। यह सुनकर धोनी चौंक गए क्योंकि तीन नंबर पर सौरव गांगुली बल्लेबाजी करते थे। धोनी ने प्रश्न किया तो सौरव बोले ” माही, मैं चार नंबर पर बल्लेबाजी कर लूंगा, तुम तीन नंबर पर खेलने जाओ और बढ़िया प्रदर्शन करो। धोनी तीन नंबर पर बल्लेबाजी करने आए और उन्होंने 148 रनों की विस्फोटक पारी खेली। इसके बाद धोनी पूरे भारतीय क्रिकेट जगत में सनसनी बन गए। महेन्द्र सिंह धोनी की इस परफॉर्मेंस में जितना योगदान उनकी मेहनत का रहा, उतना योगदान सौरव गांगुली के निर्णय का भी रहा। महान नेता इसी तरह का होता है।

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