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ब्लड टेस्ट और हार्ट अटैक के बीच क्या है नाता?

कैसे एक ब्लड टेस्ट आपको बचा सकता है हार्ट अटैक से?


ब्लड टेस्ट और हार्ट अटैक

आपको सुनने में यह जरूर आश्चर्यजनक लगेगा लेकिन हाल ही में ब्लड टेस्ट और हार्ट अटैक को लेकर एक शोध हुआ जिसमे शोधकर्ताओं ने यह पाया कि एक साधारण ब्लड टेस्ट हार्ट अटैक के खतरें को कम  कर सकता हैं। शोध के अनुसार, कुछ साधारण से ब्लड टेस्ट कार्डियोवैस्कुलर एजेंट और हृदय रोग के जोखिम के खतरें को बताकर हार्ट अटैक के खतरें को कम करके इससे होने वाली मौतों को कम कर सकते है।

जानिये क्या कहती हैं स्टडी? 

हाल ही में जर्नल ऑफ द अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी ने एक अध्ययन के तौर पर एक स्टडी प्रकाशित की जिसमे यह पाया गया कि साधारण से ब्लड टेस्ट से हृदय रोग के जोखिम को कम किया जा सकता हैं। साथ ही इस स्टडी में यह पाया गया कि रक्त में माइलॉयड-बीटा का उच्च स्तर हृदय रोग का एक प्रमुख संकेतक होता है। अगर समय पर ब्लड टेस्ट करके माइलॉयड-बीटा स्तर को जान लिया जाए तो हार्ट अटैक से बचा जा सकता हैं।

कैसे बचाता है ब्लड टेस्ट ?

• अमाइलॉइड बीटा के उच्च स्तर को जानने के लिए ब्लड टेस्ट हार्ट अटैक के खतरें को रोक सकता हैं।
•हार्ट अटैक और अल्जाइमर रोग को बढ़ाने के लिए अमाइलॉइड बीटा जिम्मेवार होता है और साथ ही इसकी वजह से संवहनी कठोरता, धमनियों का मोटा होना, दिल की विफलता और हृदय रोग में प्रगति होती है।
•जब यह स्टडी की गई तो 9 देशों के 6600 से अधिक रोगियों के कई प्रकार के अध्ययन किये गए। इन अध्ययन में उन के ब्लड सैम्पल्स का विश्लेषण किया गया और उनमे तीन मुख्य बातों का जांचा गया  

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1. रोगियों का अमाइलॉयड बीटा का स्तर
2. हृदय रोग का उच्च जोखिम
3. हृदय रोग का कम जोखिम

•इसी के आधार पर उन्हें कई श्रेणियों में विभाजित किया गया और यह निष्कर्ष निकला गया कि समय पर ब्लड टेस्ट करवाकर हार्ट अटैक और अन्य कई बीमारियों  के जोखिम से बचा जा सकता हैं।
• इसी के साथ ब्लड टेस्ट के बारें में एक और स्टडी की गई जिसमे नीदरलैंड की यूनिवॢसटी ऑफ ट्वेंटे व वैगनिंगेन यूनिवर्सिटी ने एक शोध किया। इस शोध के आधार पर यूनिवर्सिटी ने एक इंस्ट्रूमेंट बनाया जिसको नाम दिया गया  – नैनोसैंसर। नैनोसैंसर एक ऐसा इंस्ट्रूमेंट होता है जिसकी मदद से अगर किसी व्यक्ति के शरीर से एक बूंद खून इस इंस्ट्रूमेंट में डाला जाए तो शरीर में कैंसर का पता लगा सकता है। नैनोसैंसर में एक नैनोस्केल होता है और यह सैंसर ऐसा दिखता है जैसे 2 कंघें एक-दूसरे में उलझें हुए हों। इस सेंसर में 120 नैनोमीटर के आसपास के इलैक्ट्रोड होते हैं।

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