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Mumba Devi Temple: मुंबई का मुंबा देवी मंदिर है बेहद खास, हर रोज 6 बार होती है आरती, समंदर से शहरवासियों की रक्षा करती हैं मां

Mumba Devi Temple: मुंबा देवी के नाम पर ही माया नगरी का नाम मुंबई पड़ा है। 1995 में बम्बई का नाम बदलकर मुंबई रखा गया। उस समय से सागर किनारे बसे खूबसरत शहर को मुंबई कहा जाता है।

Mumba Devi Temple: जानें क्या है माया नगरी मुंबई के मुंबा देवी मंदिर का इतिहास


मुम्बई देश की आर्थिक राजधानी और सपनों की नगरी है। इस शहर में अपनी जगह बनाने का आकर्षण देश के साथ ही विदेशी लोगों में भी दिखाई पड़ता है। बॉलिवुड में लगातार बढ़ रही विदेशी कलाकारों की संख्या इसका जीता जागता उदाहरण है। अपनी बसावट के शुरुआती दौर में मुंबई मछुआरों की बस्ती हुआ करती थी। इस शहर ने जो मुकाम आज के समय में हासिल किया है, उसे मुंबा देवी की कृपा माना जाता है। आज हम आपको मुंबा देवी मंदिर के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं।

आज का चमचमाता शहर मुंबई किसी जमाने में उजाड़ हुआ करता था। फिर यहां मछुआरों की बस्ती बसी। इन मछुआरों ने समुद्र में आने वाले तूफानों से अपनी रक्षा के लिए देवी के एक मंदिर की स्थापना की। इन्हें मुंबा देवी के नाम से जाना जाता है। इन मुंबा देवी के नाम पर ही मुंबई शहर का नामकरण हुआ। मुंबा देवी को धन और ऐश्वर्य की देवी मां लक्ष्मी का ही स्वरूप माना जाता है।

हर शुभ काम से पहले होता मां का पूजन

मुंबई वालों की आस्था है कि इन्हीं की कृपा के कारण मुंबई देश की आर्थिक राजधानी बन सका है। मां मुंबा देवी को मुंबई की ग्रामदेवी के रूप में पूजा जाता है। यहां हर शुभ काम से पहले मुंबा मां का पूजन-अर्चन किया जाता है। इसके बाद उनका आशीर्वाद लेकर काम की शुरूआत की जाती है।

समंदर से भक्तों की रक्षा करतीं हैं मां

धार्मिक मत है कि मां मुंबा देवी माया नगरी मुंबई वासियों की समंदर से रक्षा करती हैं। मुंबा देवी मंदिर 400 साल पुराना है। इस मंदिर का निर्माण सन 1737 में किया गया था। उस समय कोली समाज के लोगों ने बोरी बंदर में मुंबा देवी मंदिर का निर्माण करवाया। हालांकि, अंग्रेज सरकार ने मुंबा देवी मंदिर को बोरी बंदर से कालबादेवी में स्थानांतरित कर दिया। इस मंदिर के निर्माण हेतु भूमि पांडु सेठ ने दान में दी थी।

पांडु सेठ का परिवार करता मंदिर की देखरेख

तत्कालीन समय में पांडु सेठ के परिवार वाले ही मंदिर की देखरेख करते थे। वर्षों बाद हाई कोर्ट के निर्देशानुसार समिति का गठन किया गया। वर्तमान समय में मंदिर की देखरेख न्यास समिति करती है। आपको बता दें कि मुंबई और उसके तटीय क्षेत्रों में रहने वाले मछुआरों को ही कोली कहा जाता है। सन 1737 के समय में बोरी बंदर में मछुआरों की बस्ती थी। कोली समाज के लोग मछली पकड़ने समंदर में जाते थे।

मछुआरों को कभी नहीं पहुंचा नुकसान

मुंबा देवी की पूजा करने के बाद मछुआरे समंदर में जाते थे। धार्मिक मत है कि मां मुंबा देवी समंदर से मछुआरों की रक्षा करती हैं। समंदर में विषम परिस्थिति पैदा होने के बावजूद मछुआरों को कोई नुकसान नहीं पहुंचता था। कुल मिलाकर कहें तो मां मुंबा देवी समंदर से मछुआरों की रक्षा करती थीं। उस समय कोली समाज के लोगों ने बोरी बंदर में मां मुंबा देवी के मंदिर का निर्माण करवाया।

हर दिन बदलता है मां का वाहन

मां मुंबा का वाहन हर रोज बदलता है। कहते हैं दिन के हिसाब से मां मुंबा के वाहन का चयन होता है। सोमवार को मां नंदी पर सवार होती हैं तो मंगलवार को हाथी की सवारी करती हैं। बुधवार को मुर्गा तो गुरुवार को गरुड़ पर मां सवार होती हैं। शुक्रवार को सफेद हंस पर तो शनिवार को फिर से हाथी की सवारी करती हैं। वहीं रविवार को मां का वाहन सिंह होता है।

मंदिर में रोजाना होती 6 बार आरती

मां मुंबा हर दिन जिन वाहनों पर सवार होती हैं, उनका निर्माण चांदी से कराया गया है। इस मंदिर में प्रतिदिन 6 बार आरती होती है। आरती का समय अलग-अलग है। इस दौरान मंदिर की भव्यता देखते ही बनती है। मुंबादेवी के दर्शनों के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। श्रद्धालु मां से जो भी मन्नत सच्चे दिल से मांगते हैं, मां उस मन्नत को जरूर पूरा करती हैं। यहां सिक्कों को कील की सहायता से लकड़ी पर ठोककर मन्नत मांगी जाती है।

दर्शन करने का है विशेष महत्व

यहां हर मंगलवार को मां मुंबा के दर्शनों का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन यहां बहुत भीड़ रहती है। धार्मिक मान्यता है कि अष्टभुजा मां मुंबा देवी को ब्रह्मा जी ने अपनी शक्ति के प्रकट किया है। जब स्थानीय लोग मुंबारक नाम के एक राक्षस से परेशान होकर ब्रह्मा जी से याचना करने लगे तो उन्होंने मुंबा देवी को प्रकट कर उस राक्षस का संहार कराया। इसके बाद मां के लिए एक भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया और मुंबारक का संहार करने वाली मां का नाम मुंबा देवी रखा गया।

कहां है मुंबा देवी मंदिर ?

मुंबई के भूलेश्वर (कालबा देवी) में ये मंदिर स्थित है। इस स्थान पर मुंबा देवी मंदिर है। श्रद्धालु मुंबई के उपनगरीय लोकल रेल के माध्यम से निकटतम रेलवे स्टेशन पहुंच सकते हैं। इसके अलावा, बस के जरिए भी मुंबा देवी मंदिर पहुंच सकते हैं। आप देश के किसी कोने से वायु और रेल मार्ग के जरिए मुंबई जा सकते हैं। मुंबा देवी के पास ही जावेरी बाजार है। मुंबई का यह बाजार बेहद प्रसिद्ध है।

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vrinda

मैं वृंदा श्रीवास्तव One World News में हिंदी कंटेंट राइटर के पद पर कार्य कर रही हूं। इससे पहले दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण और नवभारत टाइम्स न्यूज पेपर में काम कर चुकी हूं। मुझसे vrindaoneworldnews@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।
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