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Hawa Mahal History: आखिर क्यों जयपुर के इस इमारत का नाम पड़ा हवा महल? सामने से नहीं पीछे से होती है एंट्री, बिनी नींव के खड़ी है ये इमारत

Hawa Mahal History: जयपुर में हवा महल काफी फेमस है, जिसका दीदार करने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। हवा महल की अनोखी बनावट और इसका नाम लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है।

Hawa Mahal History: श्री कृष्ण से है हवा महल का संबंध, जानिए इसके बनने की कहानी

भारत अपनी संस्कृति और परंपराओं के अलावा अपनी धरोहरों के लिए भी जाना जाता है। यहां कई ऐसी इमारतें हैं, जो हमारे देश के समृद्ध और गौरवमयी इतिहास को दर्शाती हैं। राजस्थान देश का ऐसा ही एक राज्य है, जो अपनी रंग-बिरंगी संस्कृति और खूबसूरती के लिए जाना जाता है। यहां कई सारे महल और किले मौजूद हैं, जिन्हें देखने दूर-दूर से लोगा यहां आते हैं। राजस्थान की राजधानी जयपुर, जिसे पिंक सिटी के नाम से भी जाना जाता है, ऐसा ही एक खूबसूरत शहर है। यहां न सिर्फ भारतीय लोग बल्कि विदेशी लोग भी घूमने के लिए आते हैं। Hawa Mahal History जयपुर में हवा महल काफी फेमस है, जिसका दीदार करने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। हवा महल की अनोखी बनावट और इसका नाम लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। आज हम आपको अपने इस लेख में बताने जा रहे हैं कि आखिर हवा महल नाम कैसे पड़ा। आइए जानते हैं विस्तार से-

जयपुर में स्थित हवा महल, अपनी अनूठी वास्तुकला और भव्यता के लिए जाना जाता है। 1799 में निर्मित यह पांच मंजिला महल, मधुमक्खी के छत्ते जैसा दिखता है, जिसमें 953 छोटी-छोटी खिड़कियां और झरोखे बने हुए हैं। Hawa Mahal History इन खिड़कियों और झरोखों से होकर आने वाली हवा, महल के अंदर एक प्राकृतिक एयर कंडीशनिंग सिस्टम का काम करती है, जिसके कारण इसे हवा महल नाम दिया गया। यह महल, राजस्थानी वास्तुकला का एक उत्कृष्ट नमूना है।

महल बनवाने का ये था उद्देश्य Hawa Mahal History

गुलाबी बलुआ पत्थर से बना यह महल, शहर के रॉयल पैलेस के पास स्थित है और जयपुर की पहचान बन गया है। हवा महल, पर्यटकों के बीच एक लोकप्रिय आकर्षण है, जहां से जयपुर शहर का मनोरम दृश्य दिखाई देता है। अब बात करें हवा महल के इतिहास की, तो इसे बनवाने का मुख्य उद्देश्य शाही परिवार और दरबार की महिलाओं को दूसरों की नजरों से बचाकर जौहरी बाजार की चहल-पहल को देखने की अनुमति देना था।

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बिना नींव के खड़ी है ये इमारत Hawa Mahal History

यह महिलाएं महल में मौजूद छोटी -छोटी खिड़कियों और झरोखों की मदद से बाहर सड़कों पर होने वाली हलचलों को देख पाती थीं। वो भी बिना किसी की नजर में आए। आपको बता दें कि हवा महल एक पांच मंजिला इमारत है और दुनिया की सबसे ऊंची इमारत है, जो बिना नींव के बनाई गई है। इसमें एक घुमावदार वास्तुकला है, जो 87 डिग्री के कोण पर झुकती है और एक पिरामिड आकार है, जिसने इसे सदियों तक सीधा खड़ा रहने में मदद की है।

श्री कृष्ण से है हवा महल का संबंध Hawa Mahal History

धार्मिक दृष्टि से भी हवा महल काफी अहम माना जाता है। यह महल भगवान कृष्ण को समर्पित है। कहा जाता है कि इस इमारत का आकार भगवान कृष्ण के मुकुट जैसा दिखता है। एक महल से अधिक, हवा महल एक सांस्कृतिक चमत्कार भी है, जो हिंदू राजपूत और इस्लामी मुगल वास्तु शैली के मिश्रण को दर्शाता है। महल में राजपूत शैली को गुंबदों की छतरियों और बांसुरीदार स्तंभों में देखा जा सकता है, जबकि पत्थर जड़ा हुआ चांदी का काम और मेहराब वास्तुकला की मुगल शैली का आदर्श चित्रण है।

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हवा महल के अन्य आकर्षण Hawa Mahal History

इस इमारत के पीछे एक बड़ा और भव्य दरवाजा बनाया गया है, जिससे होकर महल के अंदर के माध्यम से हवा महल में प्रवेश कर सकते हैं। क्योंकि यहां सामने से एंट्री का कोई रास्ता नहीं है। हवा महल के सबसे ऊपरी हिस्से पर जाकर आपको कई और खूबसूरत नजारे देखने को मिलते हैं, जैसे जंतर मंतर, सिरे देवरी बाजार और सिटी पैलेस। इसके अलावा हवा महल के अंदर एक छोटा संग्रहालय भी है, जिसमें आपको कई ऐतिहासिक चीजें देखने को मिल जाएंगी। तो अगली बार जब भी गुलाबी शहर जाने का प्लान बने तो, इस गुलाबी इमारत को देखने जरूर जाएं।

ऊपर पहुंचने को रैंप का इस्तेमाल करते हैं टूरिस्ट Hawa Mahal History

हवा महल के सबसे ऊपरी हिस्से तक पहुंचने के लिए टूरिस्ट्स रैंप का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस स्मारक की सबसे आकर्षक दिलचस्प बात यह है कि इसमें 953 छोटी खिड़कियां हैं, जिसमें काफी बारीक नक्काशी की गई है। इन छोटी खिड़कियों को ‘झरोखा’ भी कहा जाता है। इन्‍हें बनवाने की वजह भी बेहद खास थी। हवा महल गर्मियों के मौसम में राजपूतों का विश्राम स्थल था। इसे कुछ इस तरह से ही डिजाइन किया गया था कि इसमें से हवा आती रहे ताकि गर्मियों के दौरान यहां रहने वालों को हल्‍की राहत मिल सके।

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vrinda

मैं वृंदा श्रीवास्तव One World News में हिंदी कंटेंट राइटर के पद पर कार्य कर रही हूं। इससे पहले दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण और नवभारत टाइम्स न्यूज पेपर में काम कर चुकी हूं। मुझसे vrindaoneworldnews@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।
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