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Snake Anti Venom: सांपों के जहर का तोड़ है घोड़े का खून, जानें कैसे बनाई जाती है दवा

Snake Anti Venom: सांप का जहर दुनियाभर में सबसे खतरनाक माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि स्नेक एंटी वेनम कैसे बनता है। आज हम आपको बताएंगे कि सांप के जहर की दवा बनाने के लिए क्या-क्या इस्तेमाल किया जाता है। जानें आखिर कैसे घोड़े के खून से दवा बनती है।

Snake Anti Venom: कैसे होता है घोड़े के खून का इस्तेमाल, एक क्लिक में जानें सब कुछ

सांप का जहर दुनियाभर में सबसे खतरनाक माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि स्नेक एंटी वेनम कैसे बनता है। आज हम आपको बताएंगे कि सांप के जहर की दवा बनाने के लिए क्या-क्या इस्तेमाल किया जाता है। जानें आखिर कैसे घोड़े के खून से दवा बनती है। आपको बता दें कि दुनियाभर में सालाना 2 लाख से ज्‍यादा लोग सांप काटने से मर जाते हैं। एंटी-वेनम वैक्‍सीन की कमी के चलते अकेले भारत में ही 50,000 से ज्यादा लोग हर साल सांप के काटने से मौत का शिकार हो जाते हैं। भारत में सांप के काटने से सबसे ज्‍यादा मौतें आंध्र प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार में होती हैं।

दुनियाभर में सांप के काटने पर होने वाली मौतों को रोकने के लिए एंटी वेनम इंजेक्‍शन बनाए गए। अब ज्‍यादातर लोग एंटी वेनम इंजेक्‍शन के बारे में जानते हैं। लेकिन, क्‍या आप ये जानते हैं कि एंटी वेनम इंजेक्‍शंस बनाए कैसे जाते हैं? ज्‍यादातर लोग यही जानते होंगे कि एंटी वेनम इंजेक्‍शंस सांप के जहर से ही बनाए जाते हैं। लेकिन, ये आधा सच है। आज हम आपको इसके बारे में पूरी डिटेल के साथ बताएंगे।

घोड़ों का भी बड़ा योगदान

आपको बता दें कि एंटी वेनम इंजेक्‍शन बनाने में सांप के जहर के साथ ही घोड़ों का भी बड़ा योगदान होता है। इसके अलावा एंटी वेनम इंजेक्‍शन बनाने में भेड़ों के खून का इस्‍तेमाल भी होता है। कई बार इस कोशिश में घोड़ों और भेड़ों की जान भी चली जाती है। फिर भी इनका खून एंटी वेनम इंजेक्‍शन बनाने में इस्‍तेमाल कर लिया जाता है। दूसरे शब्‍दों में कहा जाता है कि ये जानवर इंसानों की जिंदगी बचाने के लिए अपनी जिंदगी दांव पर लगा देते हैं।

जहर का पाउडर बनाते हैं वैज्ञानिक

अब आपके दिमाग में सवाल उठ रहा होगा कि एंटी वेनम इंजेक्‍शन बनाने में सांप के जहर के साथ घोड़ों और भेड़ों के खून का इस्‍तेमाल कैसे किया जाता है? भारत में एंटी वेनम इंजेक्‍शन बनाने के लिए सांप की चार प्रजातियों कोबरा, वाइपर, करैत और रसेल वाइपर का जहर निकालकर इकट्ठा कर लिया जाता है। इसके बाद वैज्ञानिक जहर का पाउडर बनाते हैं। फिर इस पाउडर को दवा निर्माताओं को भेजा जाता है। दवा कंपनियां पाउडर से एक इंजेक्शन बनाती हैं।

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धीरे-धीरे खत्‍म हो जाता जहर का असर

इस इंजेक्‍शन की कुछ बूंदों को खास प्रजाति के घोड़ों या भेड़ों में इंजेक्‍ट किया जाता है। जैसे ही इन्‍हें जहर दिया जाता है, तो इनकी रोगप्रतिरोधक क्षमता यानी इम्‍यून सिस्‍टम अलग तरह की एंटीबॉडी बनाने लगता है। इससे जहर का असर धीरे-धीरे खत्‍म हो जाता है। ये एंटीबॉडी घोड़ों और भेड़ों के शरीर से सीरम के रूप में निकाल लिया जाता है। लैब में तय प्रक्रिया और अंतराल के बाद इन घोड़ों और भेड़ों का खून निकाल लिया जाता है। फिर लैब में लाकर खून से सीरम निकालकर एंटी वेनम इंजेक्‍शन बनाए जाते हैं।

एक एंटी वेनम इंजेक्‍शन की कीमत 600 रुपये

यही सांप काटने के बाद इंसान को लगाया जाता है। बता दें कि घोड़ों और भेड़ों के शरीर से सीरम को निकालने की प्रक्रिया भी काफी तकनीकी है। कुछ ऑनलाइन प्‍लेटफार्म पर एक एंटी वेनम इंजेक्‍शन की कीमत 600 रुपये तक है। इस समय देश में सांप काटने से बचाव का टीका कई कंपनियां बना रही हैं। सभी कंपनियां यही प्रक्रिया अपनाती हैं। हालांकि, भारत में हर साल जितने एंटी वेनम इंजेक्‍शन की दरकार है, उतनी उपलब्‍धता नहीं है।

इन जानवरों पर नहीं मिली सफलता

दरअसल, सांपों के जहर की कमी के कारण इंजेक्‍शन बनाने का काम उतनी तेजी से नहीं हो पा रहा है, जितनी जरूरत है। दवा कंपनियों ने एंटी वेनम इंजेक्‍शन बनाने के लिए चूहे, बंदरों और खरगोशों समेत जैसे कई जीवों पर इसका प्रयोग किया था, लेकिन सफलता नहीं मिली। वहीं, घोड़ों पर सांपों का खतरनाक जहर इसलिए बेअसर होता है, क्‍योंकि क्योंकि भारत के घोड़े हर मौसम में फिट रहने के लिए पहचाने जाते हैं।

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ताकत का प्रतीक होते हैं घोड़े

घोड़े पहाड़ी, मैदानी और तराई सभी इलाकों में समान रूप से सक्रिय रहते हैं। इसी वजह से घोड़ों को ताकत के प्रतीक के तौर पर पहचाना जाता है। इसीलिए वाहनों की क्षमता बताने के लिए हॉर्स पॉवर शब्‍द का इस्तेमाल होता है। एंटी वेनम इंजेक्‍शन बनाने में इन्हीं कारणों से घोड़ों का इस्तेमाल किया जाता है। वैज्ञानिकों ने सांपों के जहर से निपटने के लिए कृत्रिम मानव एंटीबॉडी तैयार करने में भी सफलता पा ली है। दावा किया जा रहा है कि ये कोबरा, किंग कोबरा और करैत जैसे जहरीले सांपों के जहर को भी निष्क्रिय करने में सक्षम होगी।

दुनियाभर में सांपों की 3,500 से ज्यादा प्रजातियां

सांइंस ट्रांसलेशनल मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित शोध में दावा किया गया है कि एंटीबॉडी का असर पारंपरिक उत्पादों के मुकाबले 15 गुना ज्‍यादा पाया गया है। दुनियाभर में सांपों की 3,500 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं। हालांकि, इनमें से महज 600 प्रजातियां ही जहरीली होती हैं। वहीं, इन 600 में 200 प्रजातियां ही इंसानों पर हमले के लिए पहचानी जाती हैं। लेकिन, यही 200 प्रजातियां हर साल भारत में लगभग 50,000 से ज्यादा लोगों की मौत की वजह बनती हैं।

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vrinda

मैं वृंदा श्रीवास्तव One World News में हिंदी कंटेंट राइटर के पद पर कार्य कर रही हूं। इससे पहले दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण और नवभारत टाइम्स न्यूज पेपर में काम कर चुकी हूं। मुझसे vrindaoneworldnews@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।
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