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Facts About Snakes: डायनासोर के समय में होते थे चार पैरों वाले सांप, अगर सांप धरती से गायब हो गए तब…

Facts About Snakes: डायनासोर के समय में एक चार पैरों वाला सांप धरती पर रहता था। वैज्ञानिक भी इसे चार पैरों वाला सांप ही मान रहे थे। लेकिन अब इसके पेंसिल जैसे आकार वाले जीवाश्म की स्टडी के बाद पता चला है कि यह एक अलग 'शैतान' था। पेंसिल के आकार का यह जीवाश्म मात्र 7.7 इंच का है।

Facts About Snakes: सांपों के बारे में जाने कुछ खास बातें…

डायनासोर के समय में एक चार पैरों वाला सांप धरती पर रहता था। वैज्ञानिक भी इसे चार पैरों वाला सांप ही मान रहे थे। लेकिन अब इसके पेंसिल जैसे आकार वाले जीवाश्म की स्टडी के बाद पता चला है कि यह एक अलग ‘शैतान’ था। पेंसिल के आकार का यह जीवाश्म मात्र 7.7 इंच का है। जिसे पहले चार पैरों वाला सांप माना जा रहा था। सोचिए सांप के अगर आज के दौर में चार पैर होते तो वो कैसे चलता, दौड़ता या किसी को दौड़ाता।

वैज्ञानिकों को सांप का 04 पैरों का जो जीवाश्म ब्राजील में मिला, वो करीब 11 करोड़ साल पुराना है। वैसे पिछली दो टांगों वाले सांपों के कई और जीवाश्म भी पहले भी मिल चुके हैं। हालांकि माना जाता है कि तब भी सांप रेंगते ही थे लेकिन पैरों की इस्तेमाल शिकार को पकड़ने के लिए करते रहे होंगे। ये पैरे छोटे और नाजुक हुआ करते थे। जीवाश्म से पता चलता है कि सांपों के ये पैर कुछ मिलीमीटर लंबे होते थे।

पानी में भी पाए जाते हैं सांप

बाद में जैसे जैसे सांपों का और विकास हुआ, तो उनके ये दो पैर गायब हो गए। हालांकि सांप पानी में भी पाए जाते हैं लेकिन ये बराबर माना जाता है कि सांपों का विकास जमीन पर ही हुआ और फिर में कुछ प्रजातियां पानी में भी रहने लगीं। जमीन पर रहने वाला सांप भी पानी में तैर सकता है। हालांकि ये उसके लिए आसान तो नहीं होता। पानी में रहने वाला सांप बखूबी इसमें रहता है और केवल आक्सीजन लेने के लिए अपना मुंह पानी से बाहर निकालता है और काफी समय तक अंदर रह सकता है।

सांप का सबसे पुराना जीवाश्म- स्टडी

सांपों के पैरों को लेकर जीवाश्म वैज्ञानिकों के बीच लंबे समय से बहस हो रही है। ब्राजील में जो 11 करोड़ साल पुराना जीवाश्म मिला, उसके अध्ययन से जुड़े यूनिवर्सिटी ऑफ़ बाथ के डॉक्टर निक लांगरिच ने कहना है कि ये सांप का सबसे पुराना जीवाश्म है। अब मौजूदा दौर के सापों में आम तौर पर सांपों के पैर नहीं होते। उनमें पैरों की हड्डियां नहीं होतीं। हालांकि सांप के शरीर में एक रीढ़ की हड्डी होती है जो 200-300 कशेरुकाओं से बनी होती है।

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डायनासोर के समय से हैं सांप

रीढ़ की हड्डी के साथ कई पसलियां जुड़ी होती हैं। सांप एक रेंगता हुआ शरीर होता है, जिसमें उन्हें पैरों की आवश्यकता नहीं होती है। यह व्यापक रूप से माना जाता है कि सांपों का विकास वेरानिडे परिवार की छिपकलियों से हुआ। इसमें सांपों ने तो अपने लंबे होने और रेंगने के कारण पैर खोना शुरू कर दिया लेकिन छोटा होने के कारण छिपकलियों के पैर बने रहे। वैसे ये हैरानी की बात है कि सांप धरती पर तब से हैं जब से डायनासौर हुआ करते थे लेकिन डायनासोर तो खत्म हो गए लेकिन सांप बचे रहे।

एस्टेरॉयड के धरती से टकराने पर ख़त्म हो गए डायनासोर

एक नई स्टडी कहती है कि एस्टेरॉयड के धरती से टकराने के कारण धरती से डायनासोर ख़त्म हो गए। धरती पर बड़े पैमाने पर बर्बादी हुई, ज़्यादातर जानवर और पेड़-पौधे ख़त्म हो गए। लेकिन सांप इसलिए बच गए क्योंकि वो धरती के भीतर जाकर छिप गए और लंबे समय तक बिना भोजन के जीवित रहने में कामयाब रहे। ये बात छह करोड़ 60 लाख साल पुरानी है, जब धरती से ये एस्टेरॉयड टकराया था। उसमें डायनासोर ख़त्म हो गए। इसके बाद सांप दुनियाभर में फैल गए।

सांप कीं तीन हज़ार से अधिक प्रजातियां

आज दुनियाभर में इनकी तीन हज़ार से अधिक प्रजातियां हैं। सांपों की जो प्रजातियां जीवित रहने में कामयाब रह सकीं, वो प्रमुख तौर पर वो प्रजातियां थीं जो धरती के अंदर या जंगलों में पेड़ों के नीचे या फिर साफ़ पानी के स्रोतों में रहती थीं। आज दुनिया भर में सांपों की जो प्रजातियां पाई जाती हैं, उनमें पेड़ पर रहने वाले, समुद्र में रहने वाले, ज़हरीले सांप और अजगर जैसे सांप शामिल हैं, कुछ में जहर होता है और कुछ में नहीं।

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अगर सांप धरती से गायब हो गए तब

धरती पर सांप अंटार्कटिक को छोड़कर लगभग सभी जगहों पर पाए जाते हैं। वो मरुस्थल से लेकर समंदर तक मिलते हैं। वैसे सच कहें तो पर्यावरण की रक्षा के लिए भी सांपों का होना जरूरी है। ये कीड़े मकौड़ों को नियंत्रित करके इंसानों की मदद करता है। सांपों के न होने से चूहों की मात्रा बढ़ जाएगी। चूहों की पैदावार बढ़ने पर फसलों का उत्पादन भी प्रभावित होगा। चील की आबादी कम हो जाएगी। मेंढकों की आबादी बढ़ जाएगी। कीड़ों की आबादी कम हो जाएगी।

ये सब होगा अगर सांप लुप्त हो गए तो…

खाद्य श्रृंखला में गड़बड़ी

खाद्य श्रृंखला उन जीवों से बनी होती है जो विभिन्न स्तरों पर एक-दूसरे को खाते हैं। सांपों को हटाने से खाद्य श्रृंखला बाधित होगी, इसका असर ये होगा कि अन्न और खाद्य कम होने लगेंगे।

फसल कुतरने वालों में वृद्धि

फसल कुतरने वाले छोटे जीव अधिक प्रजनन करेंगे और ज्यादा फसलें खाएंगे, इससे खाद्य समस्या के साथ बीमारियां भी फैल सकती हैं।

मुसोफ़ोबिया

चूहे-चूहियों का भय बढ़ेगा।

प्रजातियों में गिरावट

कई प्रजातियां जो भोजन के लिए सांपों पर निर्भर हैं, जैसे सूअर, नेवले और शिकारी पक्षियों की संख्या में गिरावट आएगी। कुछ प्रजातियां विलुप्त भी हो सकती हैं।

चिकित्सा में दवाओं पर असर

कुछ जीवनदायी दवाएं सांप के जहर से ही बनती हैं, जिनसे कैंसर और मधुमेह के संभावित उपचार शामिल हैं। और भी कई जीवनदायी दवाओं में सांप के जहर का उपयोग होता है। चील की आबादी कम हो जाएगी।

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vrinda

मैं वृंदा श्रीवास्तव One World News में हिंदी कंटेंट राइटर के पद पर कार्य कर रही हूं। इससे पहले दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण और नवभारत टाइम्स न्यूज पेपर में काम कर चुकी हूं। मुझसे vrindaoneworldnews@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।
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