जानिए!! माँ दुर्गा का चंद्रघंटा रूप सबसे लोकप्रिय क्यों है?
नवरात्रि के तीसरे दिन कैसे मिलेगा माँ चंद्रघंटा का आशीर्वाद?
नवरात्रि के नौ दिन तक माँ के अलग- अलग रूपों की पूजा- अर्चना की जाती है। शास्त्रों में माँ के सभी रूपों के बारे का अलग- अलग महत्व बताया गया है। ऐसा कहा जाता है कि जो भक्त नौ दिनों तक माता की पूजा करते है, उनकी हर कामना माता पूरा करती है। आज नवरात्रि का तीसरा दिन है जिसमे माता के ‘चंद्रघंटा’ रूप की पूजा की जाती है। माँ चंद्रघंटा के इस रूप को काफी सौम्य रूप कहा जाता है। माँ चंद्रघंटा शेर पर सवार होती है और यही रूप माँ का सबसे ज़्यादा लोकप्रिय भी है। आपको बता दे कि माँ चंद्रघंटा के सिर के ऊपर घंटे के आकर का आधा चाँद है, इसलिए उन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। इनकी दस भुजाएं है और हर भुजायें में अलग- अलग हथियार होते है। माँ के हाथो में कमल, धनुष-बाढ़ , कमंडल, तलवार, त्रिशूल और गदा रहता है।
कौन हैं मां चंद्रघंटा?
दुर्गा माता का यह तीसरा रूप राक्षसों का वध करने के लिए जाना जाता है। मान्यता है कि यह अपने भक्तों के दुखों को दूर करती हैं।इसीलिए इनके हाथों में तलवार, त्रिशूल, गदा और धनुष होता है। इनकी उत्पत्ति ही धर्म की रक्षा और संसार से अंधकार मिटाने के लिए हुई थी ।
मां चंद्रघंटा का ध्यान मंत्र
पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता।।
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पूजा का महत्व:
नवरात्रि में तीसरे दिन इस देवी की पूजा का महत्व है, देवी की कृपा से साधक को अलोकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं। दिव्य सुगंधियों का अनुभव होता है और कई तरह की ध्वनियां सुनाईं देने लगती हैं। इन क्षणों में साधक को बहुत सावधान रहना चाहिए। इस देवी की आराधना से साधक में वीरता और निर्भयता के साथ ही सौम्यता और विनम्रता का विकास होता है।
किस रंग के पहनें कपड़े और क्या चढ़ाएं प्रसाद:
मां चंद्रघंटा को अपना वाहन सिंह बहुत प्रिय है और इसीलिए गोल्डन रंग के कपड़े पहनना भी शुभ माना जाता है। इसके अलावा मां सफेद चीज का भोग जैसै दूध या खीर का भोग लगाना चाहिए। इसके अलावा माता चंद्रघंटा को शहद का भोग भी लगाया जाता है।