जानिए क्या भगवान के प्रति हमारी सोच सही है या गलत
भगवान में अंधविश्वास सही है या गलत
हम सभी ये मानते है कि ऐसी कोई शक्ति ज़रूर है जिसके कारण ये दुनिया चल रही है। कोई उस शक्ति को भगवान बुलाता है, कोई अल्लाह, तो कोई जीसस। पर देखा जाए तो ये सभी या तो किसी का अवतार है या फिर उस परमशक्ति के संदेशवाहक जो इंसान के रूप में उसका संदेश लेकर आए हो।
खैर हर किसी की अपनी मान्यता है। सवाल ये है कि क्या हम आने विश्वास को अंधविश्वास में परिवर्तित कर रहे है? और क्या वही अन्धविश्वास हम पर हावी हो रहा है? ईश्वर तो निरंकार निरूपी है। ना तो उसने कभी कुछ माँग की और ना ही कभी अपने भक्तों में किसी भी बात का डर बनाया।
तो फिर क्यों हम अपनी भक्ति दिखाने के लिए देर रात तक शोर मचाते है या बेमतलब चढ़ावा चढ़ाते है? क्यों हम दुआ के नाम पर भगवान से भीख मांगते है? दुआ तो दिल से की जाती है। और दिल से की गयी दुआ ज़रूर कबूल होती है। किसी ने बेशक सही कहा है कि भगवान के घर देर है पर अंधेर नहीं।
हमारी ज़िन्दगी उसी ऊपर वाले ने लिखी है। थोड़ी खुशियां, थोड़ा गम, थोड़ा संघर्ष, थोड़ा प्यार और थोड़ी खट्टी और थोड़ी मिठास से ही तो ये ज़िन्दगी बनी है। उसने बहुत ही सोच समझकर ये ज़िन्दगी की कहानी लिखी है। इसके लिए शिकायत करने से अच्छा अगर इसे जीया जाए तो शायद बहतर होगा।
और अपनी दुआ भगवान तक पहुँचाने के लिए हमें बाह्य आडंबरों का सहारा लेने की ज़रूरत नहीं है। करोड़ो लोग एक बात की दुआ मांग रहे होंगे। सबकी दुआ सुनने में और सबकी कहानी पढ़ उस अनुसार उनकी मदद करने में भगवान को समय तो लगेगा ही।
परमात्मा सभी से प्यार करता है तभी उसका हिस्सा हम सब में है और इसलिए उस हिस्से को आत्मा कहा जाता है। तो जब भी भगवान को ढूँढना हो, तो शांत मन से अपने अंदर झांकना। भगवान तो मिलेंगे ही और सभी सवालो के जवाब भी मिल जाएंगे।