Ekadashi and Pradosh fast: व्रत उद्यापन समय और अवधि, Ekadashi व Pradosh व्रत कब करें और कितने दिन तक
Ekadashi and Pradosh fast, एकादशी व्रत हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह मास के प्रत्येक कृष्ण और शुक्ल पक्ष की 11वीं तिथि को रखा जाता है।
Ekadashi and Pradosh fast : कितने साल तक रखें Ekadashi और Pradosh व्रत? जानें पूरी विधि और समय
Ekadashi and Pradosh fast, एकादशी व्रत हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह मास के प्रत्येक कृष्ण और शुक्ल पक्ष की 11वीं तिथि को रखा जाता है। इसे भगवान विष्णु की आराधना और पापों से मुक्ति पाने के लिए किया जाता है। मान्यता है कि एकादशी व्रत रखने से मानसिक शांति मिलती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है। उपवास करने से पाचन तंत्र को आराम मिलता है और शरीर डिटॉक्स होता है।
कितने साल तक रखें एकादशी व्रत?
एकादशी व्रत का समय किसी भी उम्र में रखा जा सकता है। लेकिन कुछ बातें ध्यान में रखें:
-बच्चों के लिए: 5-6 साल से बच्चे आंशिक रूप से व्रत में भाग ले सकते हैं।
-युवा और वयस्क: 12 वर्ष से ऊपर के लोग नियमित रूप से व्रत रख सकते हैं।
-बुजुर्ग और स्वास्थ्य समस्याओं वाले: यदि स्वास्थ्य संबंधी समस्या हो तो उपवास के बजाय फलाहार या सीमित भोजन करें।
व्रत की अवधि:
-एकादशी व्रत आमतौर पर सूर्योदय से सूर्योदय तक या सूर्योदय से अगले दिन की प्रात: काल तक रखा जाता है।
-आंशिक व्रत रखने वालों के लिए दिन में फलाहार या हल्का भोजन किया जा सकता है।
प्राडोश व्रत: भगवान शिव की पूजा
प्राडोश व्रत हर महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना के लिए किया जाता है।
-धार्मिक महत्व: यह व्रत सुख, समृद्धि और मानसिक शांति के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
-उपवास का समय: प्राडोश व्रत को मुख्य रूप से सूर्यास्त के समय रखा जाता है।
-पूजा विधि: व्रती संध्या के समय शिवलिंग पर जल, दूध और पंचामृत अर्पित करते हैं।
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व्रत उद्यापन का सही समय
एकादशी और प्राडोश व्रत के लिए उद्यापन का समय बहुत महत्वपूर्ण है।
एकादशी व्रत उद्यापन
-स्नान और पूजा: व्रत समाप्त होने पर भगवान विष्णु और अपने परिवार के लिए विधिपूर्वक पूजा करें।
-भोजन: व्रत के बाद हल्का और शुद्ध भोजन करें।
-दान और सेवा: जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र या पैसे का दान देने से व्रत का पुण्य बढ़ता है।
प्राडोश व्रत उद्यापन
-संध्या पूजा: सूर्यास्त के समय भगवान शिव की पूजा करें।
-फूल और दीपक: शिवलिंग पर फूल, बेलपत्र और दीपक अर्पित करें।
-भजन और मंत्र: महादेव के मंत्र का जाप और भजन करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
व्रत रखने के नियम
-शुद्धता का पालन: व्रत के दिन स्नान अवश्य करें और शुद्ध कपड़े पहनें।
-भोजन नियम: एकादशी व्रत में अनाज का सेवन वर्जित होता है। प्राडोश व्रत में हल्का भोजन या फलाहार किया जा सकता है।
-धार्मिक ध्यान: व्रत के दौरान भगवान की भक्ति में समय बिताना चाहिए और नकारात्मक विचारों से दूर रहना चाहिए।
-दान और सेवा: व्रत के दिन जरूरतमंदों को दान देना और सेवा करना पुण्य को बढ़ाता है।
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व्रत का आध्यात्मिक लाभ
-मानसिक शांति और संतुलन मिलता है।
-पापों से मुक्ति और अच्छे कर्मों का संचित होता है।
-आत्म-संयम और धैर्य की भावना बढ़ती है।
-भगवान विष्णु और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
एकादशी और प्राडोश व्रत हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इन व्रतों को सही समय पर रखना, उपवास का पालन करना और व्रत उद्यापन विधि का ध्यान रखना बेहद आवश्यक है। व्रत के दौरान पूजा, भजन और दान करने से आध्यात्मिक और मानसिक लाभ प्राप्त होते हैं। याद रखें, व्रत का उद्देश्य केवल उपवास नहीं बल्कि भक्ति, संयम और आत्मिक शुद्धता है। इन्हें अपने जीवन में नियमित रूप से शामिल करके आप न केवल धार्मिक लाभ बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य भी प्राप्त कर सकते हैं।
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