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Chhath Puja Muhurat: छठ पूजा 2025, तारीख, मुहूर्त और धार्मिक महत्व जानें

Chhath Puja Muhurat, छठ पूजा, भारत के सबसे अनोखे और श्रद्धा से भरे त्योहारों में से एक है। यह पर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल में बड़े श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है।

Chhath Puja Muhurat : छठ पूजा की तारीख और महत्व, सूर्य देव और छठी मैया का विशेष पर्व

Chhath Puja Muhurat, छठ पूजा, भारत के सबसे अनोखे और श्रद्धा से भरे त्योहारों में से एक है। यह पर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल में बड़े श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। छठ पूजा सूर्य देवता और छठी मैया को समर्पित होती है और इसे परिवार की खुशहाली, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए मनाया जाता है। यह पर्व प्रकृति, अनुशासन और तपस्या का प्रतीक माना जाता है।

छठ पूजा का महत्व

छठ पूजा सूर्य देवता और छठी मैया के सम्मान में मनाई जाती है। सूर्य देवता को जीवनदायिनी ऊर्जा का स्रोत माना जाता है, जो सभी जीवों को प्रकाश, ऊर्जा और स्वास्थ्य प्रदान करते हैं। छठी मैया या छठी देवी को संतान सुख, परिवार की खुशहाली और दुखों से मुक्ति देने वाली माना जाता है। इस पर्व का सबसे बड़ा महत्व सूर्य को अर्घ्य देना और जल, सूर्य व पृथ्वी का सम्मान करना है। यह पर्व भक्तों को न केवल धार्मिक अनुभव देता है बल्कि उन्हें साफ-सुथरा जीवन, अनुशासन और आत्मशुद्धि की प्रेरणा भी देता है।

छठ पूजा 2025 की तारीख

छठ पूजा मुख्य रूप से कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है।

  • सूर्य उदय अर्घ्य (मुख्य दिन): 20 नवंबर 2025
  • नहाय-खाय (पहला दिन): 17 नवंबर 2025
  • खरना (दूसरा दिन): 18 नवंबर 2025
  • संध्या अर्घ्य और उदय अर्घ्य (अंतिम दिन): 19 और 20 नवंबर 2025

छठ पूजा चार दिनों तक चलती है और यह अनुष्ठान, उपवास और सूर्य को अर्घ्य देने की प्रक्रिया में विभाजित होती है।

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छठ पूजा के चार मुख्य दिन और उनकी परंपराएँ

1. नहाय-खाय (पहला दिन):
इस दिन व्रती (भक्त) अपने शरीर और घर को शुद्ध करते हैं। व्रती दिन भर शुद्ध जल और सात्विक भोजन करते हैं। इस दिन उपवास की शुरुआत होती है और केवल हल्का और पौष्टिक भोजन लिया जाता है।

2. खरना (दूसरा दिन):
इस दिन व्रती दिनभर उपवास करते हैं और सूर्यास्त के बाद गुड़ और चावल की खीर का सेवन करके व्रत खोलते हैं। यह दिन व्रती के लिए भक्ति और संयम का प्रतीक होता है।

3. संध्या अर्घ्य (तीसरा दिन):
संध्या अर्घ्य में व्रती सूर्यास्त के समय नदी, तालाब या जलाशय के पास खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इस दिन विशेष रूप से नारियल, फल और ठेकुआ (खास छठ व्रत व्यंजन) का प्रसाद बनता है।

4. उदय अर्घ्य (चौथा दिन):
उदय अर्घ्य में व्रती सूर्योदय के समय अर्घ्य देकर उपवास समाप्त करते हैं। यह दिन व्रत का समापन और भगवान सूर्य व छठी मैया की कृपा प्राप्ति का प्रतीक है।

छठ पूजा के विशेष अनुष्ठान और रीति-रिवाज

छठ पूजा का सबसे बड़ा आकर्षण इसकी भक्ति, अनुशासन और प्राकृतिक प्रेम है। व्रती 36 घंटे का कड़ा उपवास और जल अर्घ्य देते हैं।

  • व्रती शुद्ध जल, फल, ठेकुआ और नारियल का उपयोग करते हैं।
  • घर और घाट को साफ-सुथरा किया जाता है और दीपक, मिट्टी की दीपमालाएँ सजाई जाती हैं।
  • व्रती निर्जला व्रत रखते हैं और केवल सूर्यास्त और सूर्योदय के समय ही अर्घ्य ग्रहण करते हैं।
  • ठेकुआ और फल प्रसाद के रूप में बांटे जाते हैं, जिन्हें परिवार और समाज में वितरित किया जाता है।

छठ पूजा केवल धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और पारिवारिक समर्पण का भी प्रतीक है। इसमें लोग एकजुट होकर घाट पर सूर्योदय और सूर्यास्त के समय अर्घ्य देते हैं, जिससे समाज में भाईचारा और सहयोग की भावना बढ़ती है।

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छठ पूजा का सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संदेश

छठ पूजा का संदेश केवल भक्ति और पूजा तक सीमित नहीं है। यह पर्व स्वच्छता, स्वास्थ्य, संयम और आत्मशुद्धि का संदेश देता है।

  • प्रकृति का सम्मान: जल, सूर्य और पृथ्वी का सम्मान करके हम पर्यावरण के प्रति जागरूक होते हैं।
  • स्वास्थ्य और अनुशासन: कठोर उपवास और सात्विक भोजन से शरीर और मन दोनों शुद्ध होते हैं।
  • सामाजिक समर्पण: पर्व के दौरान समाज में सहयोग और भाईचारा बढ़ता है।
  • आध्यात्मिक ऊर्जा: सूर्य को अर्घ्य देने से मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है।

छठ पूजा हमें यह सिखाती है कि सफल और खुशहाल जीवन के लिए भक्ति, अनुशासन और प्राकृतिक संसाधनों का सम्मान आवश्यक है।

छठ पूजा केवल एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह भक्ति, संयम, परिवार और समाज की एकता का प्रतीक है। यह पर्व सूर्य देवता और छठी मैया की कृपा प्राप्त करने का अवसर देता है। 2025 में यह पर्व 17 से 20 नवंबर तक मनाया जाएगा। छठ पूजा में लोग उपवास, अर्घ्य और स्वच्छता के माध्यम से अपने जीवन को नई ऊर्जा और सकारात्मकता प्रदान करते हैं। यह पर्व हमें यह सिखाता है कि भक्ति और अनुशासन के साथ जीवन में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य प्राप्त किया जा सकता है।

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