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Vitamin B12: गर्भवती महिलाओं के लिए जरूरी चेतावनी, विटामिन B12 की कमी बन सकती है बड़ी परेशानी

Vitamin B12, गर्भावस्था एक ऐसा समय होता है जब महिला के शरीर में कई शारीरिक और हार्मोनल परिवर्तन होते हैं। इस दौरान मां का शरीर न सिर्फ खुद की जरूरतों को पूरा करता है,

Vitamin B12 : गर्भावस्था में विटामिन B12 की कमी, मां और बच्चे दोनों के लिए क्यों है खतरे की घंटी?

Vitamin B12, गर्भावस्था एक ऐसा समय होता है जब महिला के शरीर में कई शारीरिक और हार्मोनल परिवर्तन होते हैं। इस दौरान मां का शरीर न सिर्फ खुद की जरूरतों को पूरा करता है, बल्कि बच्चे के विकास के लिए भी आवश्यक पोषक तत्वों की आपूर्ति करता है। इन्हीं पोषक तत्वों में से एक बेहद जरूरी तत्व है विटामिन B12, जो रक्त कोशिकाओं के निर्माण, नर्व सिस्टम के विकास और DNA सिंथेसिस में अहम भूमिका निभाता है। गर्भावस्था के दौरान इस विटामिन की कमी मां और बच्चे दोनों के लिए गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है।

विटामिन B12 क्या है?

विटामिन B12, जिसे कोबालामिन (Cobalamin) भी कहा जाता है, एक जल में घुलनशील विटामिन है जो शरीर के कई महत्वपूर्ण कार्यों में शामिल होता है। यह मुख्य रूप से मांस, मछली, अंडे, डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे पशु-आधारित खाद्य पदार्थों में पाया जाता है। यही वजह है कि शाकाहारी महिलाओं में इसकी कमी अधिक देखी जाती है।

गर्भावस्था में विटामिन B12 की कमी क्यों होती है?

गर्भावस्था के दौरान शरीर की पोषण की जरूरतें सामान्य से अधिक बढ़ जाती हैं। अगर आहार में विटामिन B12 के स्रोत नहीं हैं, या शरीर इसे सही तरह से अवशोषित नहीं कर पा रहा, तो धीरे-धीरे इसकी कमी हो जाती है।
कई बार महिलाएं वेजिटेरियन या वीगन डाइट अपनाने के कारण विटामिन B12 की पर्याप्त मात्रा नहीं ले पातीं। वहीं, पाचन संबंधी समस्याएं, जैसे गैस्ट्राइटिस, एसिडिटी या आंतों की बीमारियां भी इस कमी का कारण बन सकती हैं।

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विटामिन B12 की कमी के लक्षण

गर्भवती महिलाओं में विटामिन B12 की कमी धीरे-धीरे विकसित होती है, लेकिन इसके संकेतों को पहचानना जरूरी है। इसके प्रमुख लक्षण हैं:

  • अत्यधिक थकान या कमजोरी महसूस होना
  • चक्कर आना या सांस फूलना
  • हाथों और पैरों में झनझनाहट
  • मूड स्विंग्स या डिप्रेशन
  • ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई
  • त्वचा का पीला पड़ना
  • भूख कम लगना

अगर ये लक्षण नजर आएं, तो डॉक्टर से जांच कराना जरूरी है, क्योंकि अनदेखी करने पर यह स्थिति और गंभीर हो सकती है।

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गर्भ में पल रहे बच्चे पर प्रभाव

विटामिन B12 की कमी का असर सिर्फ मां पर नहीं, बल्कि बच्चे के विकास पर भी पड़ता है।

  • न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट्स (Neural Tube Defects): विटामिन B12 की कमी से बच्चे के दिमाग और रीढ़ की हड्डी के विकास में बाधा आती है, जिससे जन्म दोष जैसे स्पाइना बिफिडा या एनेनसेफली हो सकते हैं।
  • कम वजन का जन्म: रिसर्च के अनुसार, B12 की कमी से बच्चे का वजन सामान्य से कम हो सकता है।
  • प्री-टर्म डिलीवरी का खतरा: यह कमी समय से पहले प्रसव (Premature Birth) का जोखिम बढ़ा सकती है।
  • संज्ञानात्मक विकास में बाधा: बच्चे के मस्तिष्क और नर्वस सिस्टम के विकास पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।

मां के स्वास्थ्य पर प्रभाव

अगर गर्भवती महिला में B12 की कमी लंबे समय तक बनी रहती है, तो इससे कई स्वास्थ्य जटिलताएं हो सकती हैं —

  • एनीमिया (Anemia): लाल रक्त कोशिकाओं की कमी से शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति घट जाती है, जिससे मां को थकान और कमजोरी महसूस होती है।
  • डिप्रेशन और मूड डिसऑर्डर: B12 की कमी से सेरोटोनिन हार्मोन का स्तर प्रभावित होता है, जिससे मूड स्विंग्स और मानसिक थकावट हो सकती है।
  • इम्यून सिस्टम कमजोर होना: शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।

गर्भावस्था में विटामिन B12 की जरूरत कितनी होती है?

गर्भवती महिलाओं के लिए विटामिन B12 की दैनिक आवश्यकता लगभग 2.6 माइक्रोग्राम (mcg) होती है। अगर महिला स्तनपान कर रही है, तो यह मात्रा 2.8 माइक्रोग्राम तक बढ़ जाती है। हालांकि, हर महिला की जरूरत शरीर की स्थिति और आहार के अनुसार अलग हो सकती है, इसलिए डॉक्टर की सलाह आवश्यक है।

विटामिन B12 के आहार स्रोत

अगर आप नॉन-वेजिटेरियन हैं, तो विटामिन B12 की कमी आसानी से पूरी की जा सकती है। इसके प्रमुख स्रोत हैं:

  • मछली (सैल्मन, टूना, सार्डिन)
  • अंडे की जर्दी
  • चिकन और मीट
  • दूध और डेयरी उत्पाद (पनीर, दही, चीज़)

वहीं, शाकाहारी महिलाओं के लिए विकल्प हैं:

  • फोर्टिफाइड सीरियल्स
  • न्यूट्रिशनल यीस्ट
  • सोया मिल्क और टोफू (B12 से फोर्टिफाइड)
  • मल्टीविटामिन सप्लीमेंट्स (डॉक्टर की सलाह पर)

विटामिन B12 की कमी से बचाव के उपाय

  1. संतुलित आहार लें: रोजाना ऐसे खाद्य पदार्थ शामिल करें जिनमें विटामिन B12 मौजूद हो।
  2. नियमित जांच करवाएं: गर्भावस्था के शुरुआती महीनों में ब्लड टेस्ट से B12 स्तर की जांच कराना जरूरी है।
  3. सप्लीमेंट लें: अगर आहार से इसकी पूर्ति नहीं हो पा रही, तो डॉक्टर की सलाह पर विटामिन B12 की गोली या इंजेक्शन लिया जा सकता है।
  4. फोलिक एसिड के साथ लें: B12 और फोलिक एसिड दोनों मिलकर बच्चे के न्यूरल विकास में मदद करते हैं, इसलिए दोनों का सेवन जरूरी है।

एक्सपर्ट की सलाह

गायनेकोलॉजिस्ट्स के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान B12 की कमी को हल्के में नहीं लेना चाहिए। समय पर इसकी जांच और उपचार से बच्चे के जन्म दोष और जटिलताओं को रोका जा सकता है। एक्सपर्ट्स यह भी कहते हैं कि जो महिलाएं प्रेग्नेंसी की प्लानिंग कर रही हैं, उन्हें पहले से ही अपने विटामिन B12 और फोलिक एसिड लेवल की जांच करा लेनी चाहिए, ताकि गर्भ ठहरने के बाद किसी तरह की दिक्कत न हो। गर्भावस्था में विटामिन B12 की पर्याप्त मात्रा मां और बच्चे दोनों के लिए जीवनदायी है। इसकी कमी से न सिर्फ थकान और एनीमिया जैसी समस्याएं बढ़ती हैं, बल्कि बच्चे के दिमागी और शारीरिक विकास पर भी गहरा असर पड़ता है। इसलिए समय पर जांच, संतुलित आहार और डॉक्टर की सलाह के साथ सप्लीमेंट लेना बेहद जरूरी है, ताकि मां और बच्चा दोनों स्वस्थ रहें और गर्भावस्था का सफर सुरक्षित बन सके।

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