धार्मिक

Chaitra Navratri 2024 Day 4 : चैत्र नवरात्र के चौथे दिन चतुर्थ मां कूष्मांडा की होगी पूजा, बन रहा है ‘भद्रावास’ का योग

चैत्र नवरात्र की चतुर्थी तिथि दोपहर 01 बजकर 11 मिनट तक का ही है। इस चैत्र नवरात्र के चौथे दिन कृतिका नक्षत्र का संयोग बन रहा है इसलिए इस दिन अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 56 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 47 मिनट तक है और इस समय में मां कूष्मांडा की पूजा-अर्चना किया जा सकता हैं।

Chaitra Navratri 2024 Day 4 : जानिए भद्रावास योग का क्या है महत्व,जानें किस समय बनेगा शुभ मुहूर्त और योग

चैत्र नवरात्र की चतुर्थी तिथि दोपहर 01 बजकर 11 मिनट तक का ही  है। इस चैत्र नवरात्र के चौथे दिन कृतिका नक्षत्र का संयोग बन रहा है इसलिए इस दिन अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 56 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 47 मिनट तक है और इस समय में मां कूष्मांडा की पूजा-अर्चना किया जा सकता हैं।

चैत्र नवरात्र की चतुर्थी तिथि की पूजा –

इस बार चैत्र नवरात्र की शुरुआत मंगलवार यानी कि 9 अप्रैल से हो चुकी है। साथ ही इस बार नौ दिन के नवरात्र होने वाले है।  चैत्र नवरात्र पर वर्षों बाद दुर्लभ योग बन रहा है। चैत्र नवरात्र के चौथे दिन यानी कि 12 अप्रैल को जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा के चतुर्थ स्वरूप मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति हेतु साधक व्रत-उपवास भी रखते हैं। शास्त्रों में मां कूष्मांडा की महिमा का गुणगान किया गया है। मां कूष्मांडा ने ब्रह्मांड की रचना की है। इसके लिए मां कूष्मांडा को जगत जननी आदिशक्ति भी कहा जाता है। इनका निवास स्थान सूर्य लोक में होता  हैं। ज्योतिषियों की मानें तो चैत्र नवरात्र के चौथे दिन दुर्लभ भद्रावास का योग बन रहा है। 

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भद्रावास योग कब तक है –

अगर ज्योतिषियों की मानें तो चैत्र नवरात्र के चौथे दिन दुर्लभ भद्रावास योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण दोपहर 01 बजकर 11 मिनट तक है। इस समय में मां कूष्मांडा की पूजा-उपासना करने से साधक को सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में कहा गया है कि भद्रा के स्वर्ग या पाताल लोक में गमन या इन तीनों लोकों में रहने के दौरान पृथ्वी के समस्त जीव, जंतु, पशु, पक्षी और मानव जगत का कल्याण होता है।

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मां कूष्मांडा की पूजा-अर्चना का शुभ मुहूर्त –

चैत्र नवरात्र की चतुर्थी तिथि दोपहर 01 बजकर 11 मिनट तक है। इसके बाद पंचमी तिथि शुरू हो जाएगी इसलिए अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 56 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 47 मिनट तक ही  मां कूष्मांडा की पूजा-अर्चना कर सकते हैं। चैत्र नवरात्र के चौथे दिन कृतिका नक्षत्र का भी संयोग बन रहा है वैसे कृतिका नक्षत्र पड़ने वाले दिन मासिक कार्तिगाई के रूप में मनाई जाती है।

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मां कुष्मांडा का स्वरूप कैसा होता है –

धर्म विशेषज्ञों के अनुसार कहा जाता है कि मां कुष्मांडा की पूजा हमेशा शांत भाव से करना चाहिए। इस दिन के पूजन में माता को पीला कपड़ा और फल अर्पित करना अच्छा माना जाता है, क्योंकि यह रंग मां को बहुत प्रिय है, और मां कुष्मांडा का प्रिय भोग मालपुआ माना जाता है, जिसे बनाकर मां के चरणों में अर्पित कर सकते है। मां कुष्मांडा देवी का स्वरूप अत्यंत ही सुंदर और भव्य होता है। इसमें माता की आठ भुजाएं मानी जाती हैं,और इन आठ भुजाओं में वो अलग अलग वस्तु उठाए हुए हैं। जैसे कि एक भुजा में कमंडल, एक भुजा में धनुष और बाण, एक में कमल पुष्प, एक में शंख, एक भुजा में चक्र, एक अन्य भुजा में गदा और एक भुजा में सभी सिद्धियों को सिद्ध करने वाली माला है। तो एक हाथ में मां अमृत कलश भी लिए हुई हैं, वहीं मां कुष्मांडा का वाहन सिंह होता है।

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