यूपी के इस मंदिर में प्रसाद में चढ़ाई जाती हैं घड़ियां, वर्षों पुरानी है ये परंपरा: Braham Baba Mandir
यह मंदिर उत्तर प्रदेश के जौनपुर के पास एक गांव में मौजूद है। इस मंदिर को ब्रह्मा बाबा के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर से जुड़ी सबसे खास बात ये है कि यहां आने वाला हर भक्त फूल माला को न चढ़ाकर मंदिर में घड़ियों को चढ़ाता है।
Braham Baba Mandir: जानिए कैसे शुरू हुई घड़ी चढ़ाने की परंपरा, दूर-दूर से मन्नते ले के आते हैं लोग
Braham Baba Mandir:मंदिर में जाने से पहले लोग भगवान को चढ़ावे के रूप में फल-फूल, माला, मिठाई आदि चीजें खरीदते हैं। इच्छा पूरी होने के बाद प्रसन्न होकर लोग मंदिरों में कई तरह के व्यंजनों का भोग लगाते हैं। आपने आज तक मंदिर में चढ़ने वाले बहुत सारे प्रसाद के बारे में सुना होगा लेकिन हम आपको ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में सुनकर आप हैरान जरूर हो जाएंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत में एक ऐसा मंदिर भी है जहां पर चढ़ावे के रूप में लड्डू या अन्य भोग नहीं बल्कि घड़ियां चढ़ाई जाती हैं। ऐसा कहा जाता है कि यहां दर्शन करने और घड़ी चढ़ाने से किसी भी प्रकार की दुर्घटना और बुरे वक्त से बचा जा सकता है।
इच्छा पूरी होने पर चढ़ाई जाती हैं घड़ियां
यह मंदिर उत्तर प्रदेश के जौनपुर के पास एक गांव में मौजूद है। इस मंदिर को ब्रह्मा बाबा के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर से जुड़ी सबसे खास बात ये है कि यहां आने वाला हर भक्त फूल माला को न चढ़ाकर मंदिर में घड़ियों को चढ़ाता है। इस मंदिर की यह परंपरा करीब 30 सालों पुरानी है। इस अनोखे चढ़ावे की वजह से यह मंदिर लोगों में चर्चा का केंद्र बना रहता है। ब्रह्मा बाबा या फिर घड़ी बाबा के मंदिर में इस अनोखे के पीछे एक परंपरा जुड़ी हुई है।
ऐसे शुरू हुई घड़ी चढ़ाने की परंपरा
स्थानीय लोगों के अनुसार, एक बार ब्रह्मा बाबा मंदिर में एक व्यक्ति यह इच्छा लेकर आया था कि वह अच्छा ड्राइवर बन जाए। बाबा के मंदिर में मांगी उसकी यह मन्नत पूरी हो गई और वह एक अच्छा ड्राइवर बन गया। खुश होकर उस व्यक्ति ने इस मंदिर में घड़ी चढ़ाई थी। जब लोगों को इस बारे में पता चला कि इस मंदिर में इच्छी पूरी होती हैं, तो लोगों ने भी मंदिर में चढ़ावे के रूप में घड़ी चढ़ाना शुरू कर दिया। तब से अब तक यह परंपरा के तौर पर चला आ रहा है।
दूर-दूर से घड़ी चढ़ाने आते हैं लोग
घड़ी बाबा का यह मंदिर इतना लोकप्रिय है कि यहां पर मन्नत पूरी होने के बाद लोग दूर-दूर से चढ़ावा चढ़ाने के लिए आते हैं। इस मंदिर के बाहर एक बरगद का पेड़ है जहां लोग घड़ियों को चढ़ाते हैं। इस मंदिर की एक और हैरान करने वाली बात यह है कि मंदिर में चढ़ावे के रूप में चढ़ाई गई घड़ियों को कोई भी चोरी नहीं कर सकता है। इस मंदिर के दर्शन के लिए पूरे साल भक्तों का आना-जाना लगा रहता है।
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खुले में पड़ी घडियों को चुराने की कोई नहीं करता है जुर्रत
लोगों में इसकी मान्यता इतनी ज्यादा है कि खुले परिसर में दीवार घडि़यां होने के बावजूद कोई उसे उतारने की हिम्मत नहीं जुटाता। अब तक कई लोगों ने पुत्ररत्न की मिन्नत की तो उनकी भी मुराद पूरी हो फिर यह स्थान सिद्धपीठ बन गया और हर किसी की श्रद्धा बढ़ती ही गई। ग्राम देवता के इस खुले मंदिर पर कोई पुजारी नहीं है। बारिश और मौसम की मार को भी इन घडि़यों के चलने में कोई असर नहीं दिखता है। सभी घडियां चालू हालत में हैं, यह अलग है कि उनमें समय आगे-पीछे दिखते हैं।
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