Prashant Kishor-Jan Suraj Padyatra: बिहार की राजनीति को लेकर प्रशांत किशोर ने कह दी ये बात
Prashant Kishor-Jan Suraj Padyatra: ” जैसे स्वराज मिला है, वैसे सुराज लाना है ” जनता से बड़ा ताकतवर कोई नेता नहीं – पीके
Highlights:
- देश के जाने-माने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर बिहार में अपनी ‘जन सुराज पदयात्रा’ अभियान चला रहे हैं
- प्रशांत किशोर ने एक नेशनल न्यूज चैनल के साथ साक्षात्कार में बता दिया अपने भविष्य की योजना
- ” मैं जनता को कहता हूं कि आपको अपने बच्चों के भविष्य की चिंता होनी चाहिए, जैसे कि नेताओं को होती है।”
- ” गरीबी – बेरोजगारी से आजादी पाना है। जैसे स्वराज मिला, वैसे सुराज लाना है। जो गांधी जी ने रास्ता बताया, उस पर चलना होगा।” यह वाक्य बिहार की राजनीति में अपनी ‘जन सुराज पदयात्रा ‘ के माध्यम से जनता को जागरूक करने का अभियान चलाने वाले मशहूर चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर उर्फ पीके का है।
- पीके इन दिनों बिहार की राजनीति में बेहद ही चर्चा का विषय बने हुए हैं।
Prashant Kishor-Jan Suraj Padyatra: देश के जाने-माने चुनावी रणनीतिकार और किसी जमाने में दलों की पहली पसंद हुआ करते थे पीके उर्फ प्रशांत किशोर।
कल प्रशांत किशोर ने देश के एक नामी न्यूज चैनल इंडिया टीवी को साक्षात्कार दिया। उस साक्षात्कार में उन्होंने बड़े ही परिपक्वता और सूझ-बूझ के साथ पत्रकार के तीखे सवालों का जवाब दिया।
जब पीके से पूछा गया कि आप किसी जमाने में प्रदेश से लेकर देश के बड़े नेताओं के साथ उनके बगल में बैठा करते थे तो आज पिछले 5-6 महीने से कुर्ता-पायजामा और गमछे के साथ खुद एक नेता बन गए हैं, और गांव-गांव में पैदल यात्रा कर रहे हैं। सबसे बड़ी बात कि आपके संगठन ‘जन सुराज यात्रा’ में आपकी फोटो तक नहीं है, ऐसा क्यों?
पत्रकार के इस घुमावदार सवाल का जवाब प्रशांत किशोर एक मंझे हुए नेता की तरह देते हुए कहते हैं कि ” मेरी जन सुराज यात्रा पिछले छ महीनों (2 अक्टूबर) से शुरू है। अभी तक मैं इस यात्रा में केवल 5-6 जिले ही घूम पाया हूं। मैं बताना चाहता हूं कि ‘जन सुराज’ कोई दल नहीं है बल्कि बदलाव के लिए एक विचारधारा है और जो भी लोग बदलाव चाहते हैं वो इस अभियान से जुड़ते चले जा रहे हैं।”
पत्रकार के सवालों के क्रम में प्रशांत किशोर आगे बड़े ही चतुराईपूर्ण तरीके से जवाब देते हैं कि” उनका यह जन सुराज पदयात्रा का अभियान किसी दल या व्यक्ति विशेष के खिलाफ नहीं है। हमारा प्रदेश 1965 के बाद से ही अन्य राज्यों के मुकाबले धीरे-धीरे पिछड़ रहा है। अगर हम कुछ लोगों के दावों को सही मान भी लें तो इस बात से इनकार नही किया जा सकता कि बिहार देश का सबसे पिछड़ा राज्य है। नये तरीके से बदलाव लाने से ही विकास होगा और यह बदलाव किसी एक व्यक्ति या दल से नहीं होगा बल्कि सामूहिक रुप से लोगों के बीच चेतना लाकर ही संभव होगा, तभी सुधार हो सकता है।”
अपने साक्षात्कार के अगले सवाल के जवाब में स्वयं के भविष्य की भूमिका के बारे में पीके कहते हैं कि “नियति ने मेरे लिए भूमिका तय की है जिसका मुझे निर्वाह करना है। मैं बता देना चाहता हूं कि यह प्रशांत किशोर की ताकत दिखाने का अभियान नहीं है बल्कि जनता को यह समझाने का अभियान है आप चाहें तो अपना विकल्प स्वयं बना सकते हैं। जनता से ज्यादा ताकतवर कोई दल-नेता नहीं हो सकता है। आपके पास अनुभव है आपके वोट में ताकत है। आप अपने विकल्प खुद ही बना सकते हैं। जब जनता एक साथ आ जाएगा तो बदलाव आ जाएगा। उससे बड़ा ताकतवर कोई भी नेता है।”
जब पत्रकार ने प्रांत किशोर से भविष्य में चुनाव लड़ने और पार्टी बनाने के बारे में सवाल पूछा, तब पीके सहजता के साथ अनुभवी राजनीतिज्ञ की भांति उत्तर देते हैं, ” जन सुराज कोई राजनीतिक दल नहीं है। यह समाज के जरिए, एक राजनीतिक व्यवस्था बनाने का प्रयास है। मैं बताना चाहता हूं कि यदि सबकी इच्छा होगी तो दल भी बनेगा। इस व्यवस्था में परिवारवाद के लिए जगह नहीं है।”
साक्षात्कार में पत्रकार ने भी बड़ी ही सूझ-बूझ के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर प्रशांत किशोर से सवाल पूछ दिया और जवाब में पीके कहते हैं कि,
” एक समय जब मैंने भी चुनाव में उनकी मदद किया था। लेकिन आज मैं उनका विरोध कर रहा हूं। 2005 के नीतीश कुमार में और 2021-22 के नीतीश कुमार में जमीन- आसमान का फर्क है। ये नीतीश कुमार वह व्यक्ति थे जो 2005 से 2012 में सुधार करने वाले नेता थे। मैं उनसे दिल्ली में मिला था। 2014 में, उनकी छवि एक कुशल प्रशासक की थी, इसीलिए मैंने उनका मदद किया था।”
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सवालों के अगले पड़ाव पर राजद नेता व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के 2025 में, सीएम बनाने के सवाल पर प्रशांत किशोर बड़े ही परिपक्वता के साथ उत्तर देते हुए कहते हैं कि ” मुझे इन चीजों का ज्ञान नहीं है। मैं उन्हीं चीजों पर बोलता हूं जिस पर मैं कुछ कर सकता हूं। यदि नीतीश कुमार को लगता है कि तेजस्वी यादव में क्षमता है और वो नेतृत्व कर सकते हैं तो देर किस बात की है? बिहार में राजद सबसे बड़ी दल है। अतः नीतीश कुमार को तेजस्वी को नेतृत्व दे देनी चाहिए। “
आखिर कौन हैं प्रशांत किशोर ?
बतातें चलें कि बिहार की भूमि पर ही मशहूर भारतीय राजनीतिक और कुशल चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर का जन्म हुआ था। पीके भारतीय राजनीति में आने से पूर्व करीब 8 वर्षों तक यूनाइटेड नेशन में काम कर चुके हैं।
ध्यान रहे कि पीके ने बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए चुनावी रणनीतिकार के रूप में काम किया है। उनका पहला राजनीतिक अभियान 2011 में गुजरात में तब के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए था। तब 2012 में, नरेंद्र मोदी तीसरी सीएम पद के लिए निर्वाचित हुए थे।
इस तरह पीके का कैरियर बीजेपी, कांग्रेस, जदयू के साथ देश के अन्य राज्यों के नेताओं के साथ जुड़ कर बढ़ता रहा।
आज प्रशांत किशोर राजनीति में अपनी भूमिका को बदलते हुए ‘जन सुराज यात्रा’ के माध्यम से बिहार की जनता के मध्य राजनीतिक चेतना को लाने का अभियान चला रहे हैं।
साभार-: इंडिया टीवी के साक्षात्कार पर आधारित।