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World Standards Day: विश्व मानक दिवस 2025, गुणवत्ता और सुरक्षा का वैश्विक प्रतीक

World Standards Day, हर साल 14 अक्टूबर (14 October) को विश्व मानक दिवस (World Standards Day) मनाया जाता है।

World Standards Day : विश्व मानक दिवस, जब दुनिया सीखती है गुणवत्ता और एकरूपता का पाठ

World Standards Day, हर साल 14 अक्टूबर (14 October) को विश्व मानक दिवस (World Standards Day) मनाया जाता है। यह दिन उन वैज्ञानिकों, इंजीनियरों, विशेषज्ञों और संगठनों के योगदान को सम्मानित करने के लिए समर्पित है जो विश्वभर में उत्पादों, सेवाओं और प्रणालियों के मानक तय करते हैं। मानक (Standards) हमारे दैनिक जीवन का एक अभिन्न हिस्सा हैं चाहे वह बिजली के सॉकेट हों, मोबाइल नेटवर्क, दवाओं की गुणवत्ता या खाद्य पदार्थों की सुरक्षा। विश्व मानक दिवस हमें यह याद दिलाता है कि गुणवत्ता और एकरूपता (Quality & Uniformity) ही वैश्विक प्रगति की कुंजी है।

विश्व मानक दिवस का इतिहास

विश्व मानक दिवस की शुरुआत 14 अक्टूबर 1946 को हुई, जब लंदन में 25 देशों के प्रतिनिधियों ने मिलकर एक संगठन बनाने का निर्णय लिया, जो वैश्विक स्तर पर मानकों के निर्माण के लिए कार्य करे। इसके परिणामस्वरूप 1947 में “अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन” (ISO – International Organization for Standardization) की स्थापना हुई। 1956 में पहली बार औपचारिक रूप से World Standards Day मनाया गया। तब से हर वर्ष 14 अक्टूबर को यह दिन ISO, IEC (International Electrotechnical Commission), और ITU (International Telecommunication Union) जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों के सहयोग से दुनिया भर में मनाया जाता है।

मानकों का महत्व

मानक किसी भी समाज की गुणवत्ता और सुरक्षा का आधार होते हैं। यह सुनिश्चित करते हैं कि उत्पाद, सेवाएं और प्रणालियां निर्धारित मानदंडों के अनुरूप हों।
मानकों की भूमिका कई क्षेत्रों में अहम है —

  • उद्योग और व्यापार: उत्पादन में गुणवत्ता बनाए रखना और अंतरराष्ट्रीय व्यापार को सुगम बनाना।
  • स्वास्थ्य: दवाओं, चिकित्सा उपकरणों और खाद्य पदार्थों की सुरक्षा सुनिश्चित करना।
  • पर्यावरण: ऊर्जा संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण में मदद करना।
  • प्रौद्योगिकी: कंप्यूटर, मोबाइल और नेटवर्किंग में एक समान प्रणाली बनाए रखना।

संक्षेप में, मानक समाज की प्रगति और सुरक्षा दोनों के लिए आवश्यक हैं।

विश्व मानक दिवस 2025 की थीम

हर वर्ष इस दिन को एक विशेष थीम (Theme) के साथ मनाया जाता है, ताकि वैश्विक स्तर पर किसी विशेष क्षेत्र में मानकीकरण के महत्व को रेखांकित किया जा सके। विश्व मानक दिवस 2025 की थीम है – “Shared Vision for a Better World: Standards for Sustainability” (एक बेहतर विश्व के लिए साझा दृष्टि: स्थिरता हेतु मानक)। यह थीम हमें यह संदेश देती है कि स्थायी विकास (Sustainable Development) के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मानकों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। ऊर्जा की बचत, पर्यावरण संरक्षण, स्वच्छ उत्पादन और डिजिटल नवाचार—इन सबमें अंतरराष्ट्रीय मानक ही सफलता का आधार बनते हैं।

ISO, IEC और ITU की भूमिका

ISO (International Organization for Standardization) विश्व स्तर पर मानकों को निर्धारित करने वाला प्रमुख संगठन है, जिसके 160 से अधिक सदस्य देश हैं। IEC (International Electrotechnical Commission) विद्युत और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के मानक तय करता है, जबकि ITU (International Telecommunication Union) दूरसंचार और इंटरनेट से संबंधित तकनीकी मानक विकसित करता है। ये तीनों संगठन मिलकर यह सुनिश्चित करते हैं कि दुनिया के विभिन्न देशों में तकनीक, व्यापार और सुरक्षा से जुड़े मानक समान रूप से लागू हों, जिससे अंतरराष्ट्रीय सहयोग और विश्वास बना रहे।

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भारत और मानकीकरण की दिशा

भारत में मानकीकरण की जिम्मेदारी भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of Indian Standards – BIS) के पास है।
BIS न केवल औद्योगिक उत्पादों के लिए मानक तय करता है, बल्कि उपभोक्ता सुरक्षा, खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्रों में भी अहम भूमिका निभाता है। भारतीय उत्पादों पर लगने वाला ISI मार्क या BIS सर्टिफिकेट गुणवत्ता और भरोसे का प्रतीक माना जाता है। विश्व मानक दिवस के अवसर पर BIS देशभर में जागरूकता कार्यक्रम, कार्यशालाएँ और सेमिनार आयोजित करता है ताकि उद्योगों और उपभोक्ताओं को मानकों के महत्व से अवगत कराया जा सके।

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मानकों से मिलने वाले लाभ

मानकीकरण से हमें कई प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लाभ मिलते हैं—

  1. गुणवत्ता की गारंटी: उपभोक्ता को भरोसेमंद और सुरक्षित उत्पाद मिलते हैं।
  2. वैश्विक व्यापार में सहयोग: अंतरराष्ट्रीय मानकों के कारण देशों के बीच व्यापार आसान होता है।
  3. लागत में कमी: एक समान प्रणाली से उत्पादन और वितरण अधिक कुशल बनता है।
  4. नवाचार को बढ़ावा: मानकों से नई तकनीकों के लिए स्पष्ट दिशा मिलती है।
  5. पर्यावरण संरक्षण: ऊर्जा-संवेदनशील और पर्यावरण-मित्र उत्पादों को बढ़ावा मिलता है।

चुनौतियाँ और भविष्य की दिशा

डिजिटल क्रांति, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन जैसी नई चुनौतियों के दौर में मानकीकरण की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो गई है। भविष्य में यह आवश्यक है कि मानक न केवल उद्योगों की जरूरतों के अनुसार हों, बल्कि पर्यावरण और समाज के हितों को भी ध्यान में रखें। नई पीढ़ी को मानकों के प्रति जागरूक बनाना और स्थानीय स्तर पर गुणवत्ता नियंत्रण की संस्कृति विकसित करना समय की मांग है। विश्व मानक दिवस 2025 केवल एक औपचारिक दिवस नहीं है, बल्कि यह हमें यह समझाने का अवसर देता है कि गुणवत्ता, सुरक्षा और स्थिरता किसी भी समाज के विकास की रीढ़ हैं। मानक वे अदृश्य सूत्र हैं जो दुनिया के हर कोने को जोड़ते हैं वे यह सुनिश्चित करते हैं कि हम सभी सुरक्षित, कुशल और जिम्मेदार तरीके से आगे बढ़ें।

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