World Philosophy Day: विश्व दर्शन दिवस 2025, विचारों की गहराई से आत्मबोध की ओर एक कदम
World Philosophy Day, हर वर्ष नवंबर के तीसरे गुरुवार को विश्व दर्शन दिवस (World Philosophy Day) मनाया जाता है।
World Philosophy Day : ज्ञान, सत्य और विवेक का संगम, विश्व दर्शन दिवस 2025
World Philosophy Day, हर वर्ष नवंबर के तीसरे गुरुवार को विश्व दर्शन दिवस (World Philosophy Day) मनाया जाता है। यह दिन मानव सभ्यता में दर्शन के योगदान, तर्कशील सोच और नैतिक मूल्यों को सम्मानित करने के उद्देश्य से मनाया जाता है। यूनेस्को (UNESCO) द्वारा इस दिवस की शुरुआत 2002 में की गई थी ताकि दुनिया के लोग यह समझ सकें कि दर्शन केवल विचारों का विषय नहीं, बल्कि जीवन को समझने और बेहतर समाज बनाने की एक दिशा है।
दर्शन का अर्थ और इसकी प्रासंगिकता
‘दर्शन’ शब्द संस्कृत के “दृश” धातु से बना है, जिसका अर्थ है ‘देखना’ या ‘समझना’। यानी दर्शन का अर्थ है जीवन, अस्तित्व, ज्ञान और सत्य को गहराई से देखने की कला। यह केवल शास्त्रीय विचारधारा तक सीमित नहीं है, बल्कि हमारे व्यवहार, निर्णय, नैतिकता और समाज की दिशा तय करने में भी दर्शन की भूमिका अहम है। आज के जटिल युग में, दर्शन हमें सोचने, प्रश्न करने और सही दिशा में निर्णय लेने की प्रेरणा देता है।
विश्व दर्शन दिवस का इतिहास
यूनेस्को ने 2002 में पहली बार विश्व दर्शन दिवस की शुरुआत की थी। बाद में, 2005 में इसे एक आधिकारिक वैश्विक दिवस घोषित किया गया। इसका उद्देश्य था कि लोग दर्शन को केवल अकादमिक विषय न मानें, बल्कि इसे जीवन जीने की कला के रूप में अपनाएं। हर साल इस दिन अलग-अलग देशों में सेमिनार, व्याख्यान, संवाद सत्र और विचार गोष्ठियाँ आयोजित की जाती हैं, जिनमें दार्शनिकों, छात्रों और आम नागरिकों को भाग लेने के लिए प्रेरित किया जाता है।
विश्व दर्शन दिवस 2025 की थीम
हर वर्ष इस दिवस की एक थीम होती है जो उस समय के वैश्विक परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखकर तय की जाती है। 2025 की थीम (World Philosophy Day 2025 Theme) अभी तक यूनेस्को द्वारा घोषित नहीं की गई है, लेकिन अनुमान लगाया जा रहा है कि यह “मानवता, नैतिकता और तकनीकी विकास के बीच संतुलन” जैसे किसी विषय पर केंद्रित हो सकती है। वर्तमान समय में कृत्रिम बुद्धिमत्ता, पर्यावरण संकट और सामाजिक असमानता जैसी चुनौतियों के बीच दर्शन की भूमिका पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गई है।
भारतीय दर्शन की विश्व में पहचान
भारत का दर्शन विश्व के सबसे प्राचीन और गहन दार्शनिक परंपराओं में से एक है। यहाँ की छः आस्तिक दर्शनों — सांख्य, योग, न्याय, वैशेषिक, मीमांसा और वेदांत ने जीवन, आत्मा और ब्रह्मांड के रहस्यों को गहराई से समझाया है। इसके अलावा बौद्ध, जैन और चार्वाक दर्शन ने भी विश्व चिंतन को प्रभावित किया है। महात्मा गांधी, स्वामी विवेकानंद और डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जैसे विचारकों ने भारतीय दर्शन को आधुनिक रूप में प्रस्तुत किया, जिसने पूरे विश्व में शांति, सत्य और करुणा का संदेश फैलाया।
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आधुनिक समाज में दर्शन की भूमिका
आज का समाज तेजी से बदल रहा है तकनीक, राजनीति, पर्यावरण और नैतिकता के स्तर पर नई चुनौतियाँ सामने हैं। ऐसे में दर्शन हमें यह सिखाता है कि जीवन केवल सफलता का नहीं, बल्कि संतुलन, न्याय और आत्मबोध का भी नाम है। दर्शन हमें यह समझने में मदद करता है कि तकनीकी प्रगति के साथ मानवता को कैसे बनाए रखा जाए, और कैसे व्यक्तिगत हितों से ऊपर उठकर सामूहिक कल्याण के लिए काम किया जाए।
विश्व दर्शन दिवस कैसे मनाया जाता है
इस दिन विभिन्न विश्वविद्यालयों, शोध संस्थानों और सांस्कृतिक संगठनों द्वारा विचार-विमर्श, दार्शनिक चर्चा, वाद-विवाद, और पुस्तक प्रदर्शनियां आयोजित की जाती हैं। लोग महान दार्शनिकों जैसे अरस्तू, प्लेटो, सुकरात, बुद्ध, कन्फ्यूशियस और गांधीजी के विचारों पर चर्चा करते हैं। कुछ स्कूलों में विद्यार्थियों को नैतिक प्रश्नों और जीवन मूल्यों पर निबंध प्रतियोगिताओं के माध्यम से सोचने के लिए प्रेरित किया जाता है।
दर्शन और युवा पीढ़ी
आज की युवा पीढ़ी सोशल मीडिया और तेज़ जीवनशैली के युग में जी रही है, जहाँ विचारों की गहराई अक्सर पीछे छूट जाती है। विश्व दर्शन दिवस उन्हें यह याद दिलाता है कि प्रश्न पूछना, सोच-विचार करना और आत्मनिरीक्षण करना उतना ही ज़रूरी है जितना सफलता पाना। युवा यदि दर्शन को अपनाएं, तो वे न केवल बेहतर नागरिक बन सकते हैं बल्कि समाज के लिए दिशा-निर्देशक भी बन सकते हैं। विश्व दर्शन दिवस हमें यह सिखाता है कि हर बड़ी क्रांति एक छोटे विचार से शुरू होती है। दर्शन मानव जीवन की आत्मा है, जो हमें सही और गलत का भेद सिखाती है। इस दिवस का सार यही है कि हम सभी जीवन को केवल देखने या जीने तक सीमित न रखें, बल्कि उसे समझने और सुधारने की दिशा में आगे बढ़ें।
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