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World Elder Abuse Awareness Day: माँ-बाप की उंगली पकड़ चलना सीखने के बाद क्यों वही बच्चे उनको छोड़ देते है ओल्डएज होम में

World Elder Abuse Awareness Day: क्यों मनाया जाता है विश्व बुजुर्ग दुर्व्‍यवहार रोकथाम जागरूकता दिवस


World Elder Abuse Awareness Day: हर साल 15 जून को विश्व बुजुर्ग दुर्व्‍यवहार रोकथाम जागरूकता दिवस मनाया जाता है। बुजुर्गों के साथ होने वाले दुर्व्‍यवहार को रोकने के लिए और लोगों में इसके प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से दुनिया भर में ये दिन मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव 66/127 के परिणाम स्वरूप इस दिवस के आयोजन की शुरुआत हुई थी। जैसे जैसे दुनिया में बुजुर्गों की संख्या बढ़ रही है। वैसे-वैसे उनके साथ दुर्व्‍यवहार की घटनाएं भी बढ़ रही है। यह एक सामाजिक बुराई है। जिसे खत्म करना बहुत जरुरी है।

हाल ही में एक सर्वे से यह बात सामने आया है कि आज जो दुनिया भर में बुजुर्गों के साथ अनदेखी और दुर्व्यवहार हो रहा है उसकी सबसे बड़ी वजह सोशल मीडिया है। आज-कल हम लोग सोशल मीडिया पर इतने व्यस्त रहते है कि हम कभी भी अपने घर पर रह रहे बुजुर्गों से बात नहीं करते। जिसके कारण हम कभी भी उनसे जुड़ाव महसूस नही करते हैं। और न ही उनके अस्तित्व से हमे कोई मतलब होता है। जिसके कारण दुनिया में बुजुर्गों के साथ हो रही अनदेखी और दुर्व्‍यवहार के मामले बढ़ते जा रहे है।

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माँ बाप कभी नहीं छोड़ते अपनी उम्मीद

बच्चों को माँ बाप बड़े ही नाजों से पालते है उनकी उंगली पकड़ उनको चलना सिखाते है। बच्चों को अपने कधों पर बैठा कर दुनिया घुमाते है और जब वही बच्चे बड़े हो जाते है तो वो उन्ही माँ बाप को ओल्डएज होम छोड़ आते है हाल ही में एक सर्वे की रिपोर्ट बताती है। कि करीब 35 प्रतिशत बच्चे ऐसे है जो अपने माता-पिता के साथ नहीं रहना चाहते। माँ बाप अपने बच्चों के लिए इतना कुछ करते और सहते है पर वो बच्चों को कभी जताते नहीं है। माँ बाप के साथ कुछ भी हो जाऐ परन्तु वो कभी भी अपनी उम्मीद नहीं छोड़ते। हाल ही में Oneworldnews की टीम एक ओल्डएज होम गयी थी जो कि मैदान गढ़ी में “मन का तिलक” नाम से है। हम वहा गए, उन लोगों से मिले हमने उनसे बात की। आपकी दुःख भरी कहानियाँ सुनी। उनकी इतनी ज्यादा दुःख भरी कहानियाँ थी जिसे सुन किसी के भी आँखों में आसु आजाये। हमारे इस इंटरव्यू की ये वीडियो आप यहाँ देख सकते है :-

जब हम लोग वह गए और हमने बहुत सारे लोगों से उनकी कहानी सुनी। जिनमे किसी के बेटे ने, किसी की बहु ने तो किसी की बेटी ने उनके साथ दुर्व्‍यवहार किया। उनके पास सब कुछ होने के बाद भी उन्होंने अपने माँ-बाप को ओल्डएज होम छोड़ दिया। इन सारी कहानियों के बीच हमने एक बात महसूस की। वो ये कि इन लोगों के बच्चों ने उनके साथ इतना बुरा किया, इनको घर से निकल दिया परन्तु फिर भी इन माँ-बाप ने कभी जीने की उम्मीद नहीं छोड़ी। और न ही इन्हे अपने बच्चों से कोई शिकायत है। इनके साथ जो भी हुआ इन्होने अपनी किश्मत समज कर उससे अपनाया और ओल्डएज होम में अपनी ज़िन्दगी को एक नए सिरे से शुरू किया। ऐसे माँ बाप को और उनके होसलो को एक सलाम करना तो बनता है।

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