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Right To Repair : जानिए क्या है राइट-टू-रिपेयर,जो ग्राहकों को कैसे करेगा सशक्त

आज के आधुनिक जीवन में हमारी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर निर्भरता लगातार बढ़ती जा रही है,जैसे कि स्मार्टफोन से लेकर लैपटॉप तक ये उपकरण हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न अंग बन गए हैं। जब ये उपकरण टूट जाते हैं तब यहीं पर राइट टू रिपेयर फ्रेमवर्क की भूमिका सामने आती है।

Right To Repair : राइट-टू-रिपेयर क्या है फायदा,जानिए क्या ठगी रोकने के साथ ही ई-कचरा भी होगा कम

आज के आधुनिक जीवन में हमारी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर निर्भरता लगातार बढ़ती जा रही है,जैसे कि स्मार्टफोन से लेकर लैपटॉप तक ये उपकरण हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न अंग बन गए हैं। जब ये उपकरण टूट जाते हैं तब यहीं पर राइट टू रिपेयर फ्रेमवर्क की भूमिका सामने आती है।

‘राइट टू रिपेयर’ का ग्राहको पर असर –

आज जिस तरह के लाइफस्टाइल में जीवन यापन करते है, उसमें टीवी, फ्रिज, वॉशिंग मशीनों के बिना आधुनिक जीवनशैली की कल्पना नहीं किया जा सकता है। वैसे भी देश की तरक्की के साथ ही लोगों की आय बढ़ने से निजी कार रखने का चलन भी तेजी से बढ़ा है। चाहे वो घरेलू उत्‍पाद हों या मोबाइल फोन या फिर कार, लोग बड़े ही शौक से इन चीजों को खरीदते रहते ही हैं। हालांकि, कई बार ऐसा भी हुआ है कि सामान खरीदने के कुछ समय बाद ही उनमें कोई खराबी निकल या आ  जाती है। ऐसे में दुकानदार से कभी मदद मिलती है, क्‍योंकि अक्‍सर वो सर्विस सेंटर जाने की सलाह देने के अलावा और किसी तरह की कोई मदद नहीं करते है।

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ग्राहकों की परेशानी होगी कम  –

यहीं से ग्राहकों की परेशानी का दौर शुरू होता है क्‍योंकि अक्‍सर सर्विस सेंटर वाले रिपेयरिंग और स्‍पीयर्स के लिए अनाप-शनाप चार्ज करते हैं। और इस वजह से भी लोग सोचते हैं कि जितने में रिपेयर कराएं, उससे अच्‍छा है कि नया सामान ही ले लें। और इसकी वजह से देश में ई-कचरे के बढ़ने लगता है।

‘राइट टू रिपेयर’ फ्रेमवर्क क्या है –

अब ग्राहकों की परेशानी और बढ़ते ई-कचरे के निपटारे को लेकर अब सरकार ने एक पहल किया है। हाल ही में सरकार ‘राइट टू रिपेयर’ फ्रेमवर्क Right to Repair Act India में लेकर आई है। और  इसके तहत चार सेक्टर से जुड़ी मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को ‘राइट टू रिपेयर’ पोर्टल पर अपने उत्पाद व उसमें इस्तेमाल होने वाले पार्ट्स की विस्तृत जानकारी के साथ साथ उनके रिपेयर की सुविधा के बारे में बताने के लिए कहा गया है।

ये चार सेक्टर किए गए हैं शामिल –

वैसे ‘राइट टू रिपेयर’ के दायरे में  जिन चार क्षेत्रों को लाया गया है उनमें फार्मिंग उपकरण, मोबाइल-इलेक्ट्रॉनिक्स, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स एवं ऑटोमोबाइल उपकरण शामिल किए गए हैं। 

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फार्मिंग सेक्टर –

फार्मिंग सेक्टर में मुख्य रूप से वाटर पंप मोटर, ट्रैक्टर पा‌र्ट्स और हार्वेस्टर शामिल किया गया है।

मोबाइल-इलेक्ट्रॉनिक्स – 

मोबाइल-इलेक्ट्रॉनिक्स में मोबाइल फोन, लैपटॉप , डेटा स्टोरेज सर्वर, प्रिंटर, हार्डवेयर व सॉफ्टवेयर जैसे उत्पादन मुख्य रूप से शामिल है।

कंज्यूमर ड्यूरेबल –

कंज्यूमर ड्यूरेबल में टीवी, फ्रिज, गीजर, मिक्सर, ग्राइंडर, चिमनी जैसे विभिन्न उत्पादों को शामिल किया गया है।

ऑटोमोबाइल्स –

 ऑटोमोबाइल्स सेक्टर में यात्री वाहन, कार, दोपहिया व इलेक्ट्रिक वाहन शामिल हैं।

राइट टू रिपेयर के क्या है फायदे –

इस राइट टू रिपेयर से मरम्मत की लागत कम हो सकती है और उपभोक्ताओं को अपने उपकरणों पर अधिक नियंत्रण मिल सकता है।

राइट टू रिपेयर से स्वतंत्र मरम्मत की दुकानों के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा कर सकता है और  इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिल सकता है और तकनीकी कौशल का विकास होगा। 

अक्सर लोग  टूटे हुए उपकरणों को कचरे के रूप में फेंक दिया जाता है, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है। ऐसे में  राइट टू रिपेयर मरम्मत को प्रोत्साहित करके और कचरे को कम करके पर्यावरण संरक्षण में योगदान मिल सकता है।

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