देश को राष्ट्रगान देने वाले एक मात्र कवी थे रविन्द्र नाथ टैगोर
जाने रविन्द्र नाथ टैगोर की वो 5 कविताएँ जो आज बच्चो को मुँह ज़बानी याद है
देश को राष्ट्र गान देने वाले रविन्द्र नाथ टैगोर का नाम आज भी इतिहास के पन्नो से जुड़ा है. रविन्द्र नाथ टैगोर का जन्म 6 मई को कलकत्ता में सन 1861 में हुआ था. आज भी रविन्द्र नाथ द्वारा लिखी गयी सभी रचनाएँ और कविता स्कूल की किताबो में नजर आती है. रविन्द्र नाथ को बचपन से ही साहित्य और संस्कृत भाषा में रूचि थी उन्होंने कम उम्र से ही कविता लिखना शुरू कर दिया था.
आपको बता दे की उन्होंने अपनी पहली कविता महज आठ साल की उम्र में लिखी थी और सन 1877 में उनकी उनकी प्रथम लघुकथा पब्लिश हुई थी जब वे सिर्फ सोलाह साल के थे.
साथ ही उनके पिता एक ब्रह्म-समाजी थे जिसके कारण वे भी ब्रह्म-समाजी थे लेकिन अपनी रचनाओं व कर्म के द्वारा उन्होंने सनातन धर्म को भी आगे बढ़ाया. साथ रविन्द्र नाथ टैगोर ने सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेश भी जाकर साहित्य की पढ़ाई की.वह एक अच्छे लेखक और कवी भी थे. इसके अलावा उन्होंने कुछ पुस्तकों का अंग्रेजी में अनुवाद भी किया था जिसके बाद उनकी प्रतिभा पूरे विश्व में फैली
जाने रविन्द्र नाथ टैगोर द्वारा लिखी गयी वो 5 कविताएँ जो आज भी बच्चों के ज़ुबान पर रहती है
1.होंगे कामयाब,
हम होंगे कामयाब एक दिन
मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास
हम होंगे कामयाब एक दिन
हम चलेंगे साथ-साथ एक दिन
2 .मेरा शीश नवा दो अपनी
चरण-धूल के तल में
देव! डुबा दो अहंकार सब
मेरे आँसू-जल में
अपने को गौरव देने को
अपमानित करता अपने को,
घेर स्वयं को घूम-घूम कर
मरता हूं पल-पल में
3.अनसुनी करके तेरी बात
न दे जो कोई तेरा साथ
तो तुही कसकर अपनी कमर
अकेला बढ़ चल आगे रे–
अरे ओ पथिक अभागे रे
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4 . लगी हवा यों मन्द-मधुर इस
नाव-पाल पर अमल-धवल है;
नहीं कभी देखा है मैंने
किसी नाव का चलना ऐसा
लाती है किस जलधि-पार से
धन सुदूर का ऐसा, जिससे-
बह जाने को मन होता है
5 प्रेम, प्राण, गीत, गन्ध, आभा और पुलक में,
आप्लावित कर अखिल गगन को, निखिल भुवन को,
अमल अमृत झर रहा तुम्हारा अविरल है.