नवरात्रि के मौके पर जाने, कैसे यहाँ सदियों से जल रही है बिना ‘तेल और बाती’ की ज्योत
जाने हिमाचल प्रदेश में स्थित माँ ज्वाला देवी के चमत्कारी मंदिर के बारे में
क्या आपको पता है हिमाचल प्रदेश में माँ ज्वाला देवी का एक ऐसा मंदिर है जहा सदियों से बिना तेल और बाती की ज्योत जलती रहती है। अगर हम आज के समय की बात करें तो बहुत से लोग ऐसे होते है जो इन चीजों को अंधविश्वास बताते है। लेकिन ये कोई अंधविश्वास नहीं है कहते हैं यु तो भगवान के घर कई चमत्कार होते है और ये भी भगवान का एक छोटा सा चमत्कार है। जिसे भगवान अपनी मौजूदगी का अहसास कराता रहता है। अगर हम पुराणों की बात करें तो पुराणों के अनुसार देवी सती के 51 शक्तिपीठ है। इन सभी जगहों पर माँ सती के शरीर का एक-एक अंग गिरा और उसके बाद से ही इन स्थान पर माँ के शक्तिपीठ के रूप में पूजा की जाने लगी। तो चलिए जानते है इसके बारे में विस्तार से।
जाने कहा स्थित है माँ ज्वाला देवी का ये चमत्कारी मंदिर
माँ ज्वाला देवी का ये चमत्कारी मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में कालीधार पहाड़ी के बीच स्थित है। इससे माँ ज्वाला देवी के 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ माना जाता है। शक्तिपीठ उन स्थानों को कहा जाता है जहा माता सती के अंग गिरे थे। अगर हम पुराणों की माने तो इस जगह पर ही माता सती की जीभ गिरी थी। जब से ही इस मंदिर में माँ की ज्योत बिना तेल और बाती के सदियों से जल रही है। इसी के चलते इस मंदिर को चमत्कारी मंदिर भी कहा जाता है।
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माँ ज्वाला देवी के सामने मुगल सम्राट अकबर ने भी घुटने टेक दिए थे
मान्यताओं के अनुसार, मुगल सम्राट अकबर ने माँ ज्वाला देवी की ज्योत को बुझाने के लिए काफी ज्यादा कोशिशें की थी। जिसके बाद भी वो इन ज्योतियों को बुझाने में कामयाब नहीं रहे। मुगल सम्राट अकबर ने इन ज्योति को बुझाने के लिए एक नहर खुदवाकर उसका पानी इन ज्योतियों पर छोड़ दिया था। जब इससे माँ ज्वाला देवी के मंदिर की ज्योत नहीं बुझी तो उन्होंने ज्योत के ऊपर लोहे के तवे भी चढ़वा दिए, पर उसके बाद भी ज्योतियां जलती रही। जिसके बाद मुगल सम्राट अकबर का अहंकार टूटा और वो नंगे पैर माँ के दर्शन करने पहुंचे। और उसके बाद उन्होंने माँ को सोने का छत्र चढ़ाया। अभी भी कई सालों से ये पता लगाने की कोशिस की जा रहा है कि आखिर कैसे कई सालों से बिना तेल और बाती की माँ ज्वाला की ज्योतियां जल कैसे रही है।
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