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Monkey Day: मंकी डे 2025 पर जानें बंदरों का महत्व, इतिहास और संरक्षण की जरूरत क्यों है

Monkey Day, हर साल 14 दिसंबर को दुनिया भर में मंकी डे (Monkey Day) मनाया जाता है। यह दिन बंदरों और अन्य प्राइमेट्स (जैसे चिंपांज़ी, गोरिल्ला, और लंगूर) के संरक्षण,

Monkey Day : 14 दिसंबर को क्यों मनाया जाता है मंकी डे? जानें इसका इतिहास और महत्व

Monkey Day, हर साल 14 दिसंबर को दुनिया भर में मंकी डे (Monkey Day) मनाया जाता है। यह दिन बंदरों और अन्य प्राइमेट्स (जैसे चिंपांज़ी, गोरिल्ला, और लंगूर) के संरक्षण, अधिकारों और उनके साथ मानवीय व्यवहार के महत्व को याद करने के लिए समर्पित है। यह दिवस हमें यह सिखाता है कि इंसान और बंदर एक ही जैविक परिवार के सदस्य हैं, और हमें अपने इन प्राकृतिक साथियों की रक्षा करनी चाहिए।

मंकी डे का इतिहास

मंकी डे की शुरुआत एक दिलचस्प और मजेदार कहानी से हुई थी। साल 2000 में अमेरिकी कला छात्र केस्टील क्रे और एरिक मिल्स ने अपने कॉलेज प्रोजेक्ट में मज़ाक में “Monkey Day” नामक एक दिन मनाया। उन्होंने बंदरों के मजेदार पोस्टर, ड्रॉइंग और नकल के जरिए यह दिन खास बनाया। धीरे-धीरे यह मजाक एक जागरूकता अभियान में बदल गया। सोशल मीडिया और एनिमल एक्टिविस्ट्स के जरिए यह दिन पूरे विश्व में लोकप्रिय हुआ। आज यह न सिर्फ बंदरों की मस्ती का प्रतीक है, बल्कि वन्यजीव संरक्षण और पशु अधिकारों की जागरूकता के लिए एक वैश्विक मंच बन चुका है।

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मंकी डे मनाने का उद्देश्य

मंकी डे मनाने के पीछे कई महत्वपूर्ण उद्देश्य हैं –

  1. बंदरों और प्राइमेट्स के संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाना।
  2. वन्यजीवों के प्रति करुणा और जिम्मेदारी की भावना विकसित करना।
  3. बंदरों की घटती प्रजातियों को बचाने के प्रयासों को प्रोत्साहित करना।
  4. मानव और पशुओं के बीच समानता, सह-अस्तित्व और सम्मान का संदेश देना।

बंदरों का महत्व

बंदर (Monkeys) न केवल जंगल के एक आकर्षक जीव हैं, बल्कि वे हमारे पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) का अहम हिस्सा हैं।

  1. प्राकृतिक संतुलन बनाए रखना:
    बंदर पेड़ों पर फल खाते हैं और उनके बीज फैलाते हैं, जिससे जंगलों में पेड़ों की नई पौध उगती है।
  2. वैज्ञानिक शोध में योगदान:
    बंदर और इंसान के जीन में लगभग 94% समानता होती है। इसी कारण वैज्ञानिक मानव व्यवहार और बीमारियों को समझने के लिए बंदरों पर अध्ययन करते हैं (हालांकि अब नैतिक कारणों से ऐसे प्रयोग सीमित कर दिए गए हैं)।
  3. धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व:
    भारतीय संस्कृति में बंदर का विशेष स्थान है। हनुमान जी, जो भगवान राम के महान भक्त हैं, बंदर रूप में पूजे जाते हैं। यह इस बात का प्रतीक है कि बंदर शक्ति, निष्ठा और सेवा के प्रतीक हैं।

दुनिया में बंदरों की प्रजातियाँ

दुनिया में लगभग 260 से अधिक प्रकार के बंदर (Monkey Species) पाए जाते हैं। इन्हें मुख्यतः दो वर्गों में बाँटा गया है:

  1. पुरानी दुनिया के बंदर (Old World Monkeys):
    ये अफ्रीका और एशिया में पाए जाते हैं, जैसे लंगूर, मकाक, बाबून आदि।
  2. नई दुनिया के बंदर (New World Monkeys):
    ये दक्षिण अमेरिका में पाए जाते हैं, जैसे स्पाइडर मंकी, कैपुचिन मंकी, और टामरिन।

भारत में बंदरों की कई प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें रिसस मकाक, हनुमान लंगूर, और असाम मकाक प्रमुख हैं।

बंदरों के सामने बढ़ते खतरे

आज बंदरों की कई प्रजातियाँ विलुप्त होने के कगार पर हैं। इसके पीछे कुछ मुख्य कारण हैं –

  1. वनों की कटाई:
    जंगलों के नष्ट होने से बंदरों का प्राकृतिक आवास खत्म हो रहा है।
  2. शहरीकरण:
    इंसानों की बस्तियों में घुसते बंदर न केवल खतरे में रहते हैं बल्कि उन्हें अक्सर हानि भी पहुँचती है।
  3. शिकार और अवैध व्यापार:
    कुछ जगहों पर बंदरों को मनोरंजन, पालतू जानवर या दवाओं के लिए अवैध रूप से बेचा जाता है।
  4. मानव हस्तक्षेप:
    पर्यटक स्थलों पर बंदरों को खिलाना या उनसे खेलना भी उनके स्वभाव और स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक है।

मंकी डे कैसे मनाया जाता है

दुनिया भर में मंकी डे को कई रोचक तरीकों से मनाया जाता है –

  • चिड़ियाघरों और वाइल्डलाइफ पार्कों में विशेष कार्यक्रम, जैसे जागरूकता वर्कशॉप और बच्चों के लिए शैक्षिक गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं।
  • स्कूलों और विश्वविद्यालयों में पशु संरक्षण पर निबंध प्रतियोगिताएँ होती हैं।
  • सोशल मीडिया पर लोग #MonkeyDay हैशटैग के साथ मजेदार तस्वीरें, तथ्य और वीडियो साझा करते हैं।
  • कई एनजीओ और एनिमल एक्टिविस्ट्स इस दिन दान एकत्र कर बंदरों के संरक्षण के लिए उपयोग करते हैं।

भारत में भी यह दिन पशु प्रेमियों, पर्यावरणविदों और वन्यजीव संस्थाओं द्वारा मनाया जाता है।

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मंकी डे से मिलने वाला संदेश

मंकी डे केवल बंदरों के लिए नहीं, बल्कि सभी जीवों के प्रति हमारे मानवीय दृष्टिकोण का प्रतीक है। यह हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि इंसान और पशु दोनों ही प्रकृति की रचना हैं, और हमें उनके साथ सम्मान, करुणा और समानता का व्यवहार करना चाहिए। मंकी डे हमें याद दिलाता है कि प्रकृति में हर जीव का एक उद्देश्य है। बंदर हमारे पूर्वजों के सबसे करीबी जीव हैं, जो हमें सिखाते हैं – हंसी, खेल, और जीवन में सामूहिकता का महत्व। यदि हम इन जीवों की रक्षा करेंगे, तो हम अपने पारिस्थितिक संतुलन और मानवता दोनों की रक्षा करेंगे।

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