Lathmar Holi: बरसाने में 10 क्विंटल से ज्यादा उड़े रंग-गुलाल, खेली गई लट्ठमार होली, पुलिस प्रशासन की रही खास व्यवस्था
Lathmar Holi: राधा रानी की नगरी बरसाना में सोमवार शाम को 2 घंटे तक लट्ठमार होली खेली गई। नंदगांव के हुरियारे सज-धज कर पहुंचे। हुरियारिनों ने उन्हें लाठियों से खूब पीटा।
Lathmar Holi: कैसे मनाई जाती है लट्ठमार हाेली? एक क्लिक में जानें सब कुछ
भगवान श्रीकृष्ण (Shri Krishna) की प्रेमिका राधा (Radha) की जन्मस्थली बरसाना (Barsana) का सबसे रंगीन पर्व ‘लट्ठमार होली’ (Lathmar Holi) अपने अनूठेपन के लिए न केवल संपूर्ण भारत में मशहूर है, बल्कि इसे देखने विदशों से भी लोग यहां बड़ी तादात में पहुंचते हैं। प्रत्यक्षादर्शी बताते हैं कि जिसने एक बार बरसाने की लट्ठमार होली देख ली, वह हर साल इस खूबसूरत पर्व का आनंद लेना चाहेगा।
बरसाने में लट्ठमार होली फाल्गुन माह की शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन मनाई जाती है। वस्तुतः मथुरा के निकट स्थित बरसाना कृष्ण-प्रेमिका राधारानी की जन्मस्थली मानी जाती है, जो आज भी बरकरार है। कहा जाता है कि राधा के साथ पहली बार होली श्रीकृष्ण ने ही खेली थी। यहीं से रंगों की होली की परंपरा शुरू हुई थी। उसी परंपरा का निर्वाह करते हुए आज भी नंदगांव के होरियारों (पुरुषों) की टोली कमर में फेंटा बांधे बरसाने की युवतियों के साथ होली खेलने पहुंचते हैं। वहां विभिन्न मंदिरों में राधा-कृष्ण की पूजा अर्चना के पश्चात लोग रंगों एवं फूलों की होली खेलते हैं। इसके बाद ‘लट्ठमार होली’ शुरू होती है।
कैसे मनाई जाती है लट्ठमार होली?
विश्व-प्रसिद्ध लट्ठमार होली बरसाना में मनाई जाती है। इसमें महिलाएं, जिन्हें हुरियारिन कहते हैं, वे लट्ठ लेकर हुरियारों को यानी पुरुषों को मजाकिया अंदाज में पीटती हैं। इस लट्ठमार होली में लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। पुरुष सिर पर ढाल रखकर हुरियारिनों के लट्ठ से खुद का बचाव करते हैं। इस दिन महिलाओं और पुरुषों के बीच गीत और संगीत की प्रतियोगिताएं भी होती हैं।
दो घंटे चली लट्ठमार होली
आपको बता दें कि राधा रानी की नगरी बरसाना में सोमवार शाम को 2 घंटे तक लट्ठमार होली खेली गई। नंदगांव के हुरियारे सज-धज कर पहुंचे। हुरियारिनों ने उन्हें लाठियों से खूब पीटा। वो हंसते हुए ढाल लगाकर बचते रहे। छतों से अबीर-गुलाल और रंग बरसा। श्रीजी मंदिर में 10 क्विंटल से ज्यादा रंग-गुलाल उड़े। हर तरफ राधा-कृष्ण के जयकारे गूंजे। सड़क और गलियां रंगों से सराबोर हो गईं।
हेलिकॉप्टर से बरसाए गए फूल
हुरियारिनों ने फाग गीत गाए। हेलिकॉप्टर से फूल भी बरसाए गए। हर ओर उत्सव सा माहौल रहा। भीड़ इतनी कि पैर रखने तक की जगह नहीं थी। देश-विदेश के करीब 10 लाख श्रद्धालु इस उत्सव के साक्षी बने। बरसाना में हुरियारों का स्वागत हो चुका है। अब सज-धजकर हुरियारें ध्वजा लेकर राधा-रानी के मंदिर के लिए निकल चुके हैं। दर्शन के बाद लट्ठमार होली शुरू होगी। बरसाना के रहने वाले लोग नंदगांव से आये हुए हुरियारों को ठंडाई पिलाते हैं और मिठाई खिलाते हैं। इसके बाद वह उनसे होली खेलने का आग्रह करते हैं।
नाचते गाते जाते हैं श्री जी मंदिर
नंदगांव से आए हुरियारे सबसे पहले बरसाना स्थित पीली पोखर पहुंचते हैं। जहां वह भगवान कृष्ण के स्वरूप में लाई गई पताका को स्थापित करते हैं। इसके बाद धोती और बगल बंदी पहनकर आये हुरियारे अपने सिर पर पगड़ी बांधते हैं। पगड़ी बांधने के साथ गाते-बजाते यह हुरियारे पहले श्री जी मंदिर पहुंचते हैं, जहां वह राधा रानी के दर्शन कर रंगीली गली आते हैं। यहां होती है लट्ठमार होली।
बरसाने में रही ठंडाई व मिठाई की व्यवस्था
इस दौरान हुरियारे लाठियों से खुद को बचाने के लिए अपने साथ लाई ढाल का प्रयोग करते हैं। राधारानी की सखियों की लाठियों से बचने के लिए नंदगांव के हुरियारे सिर पर साफा बांधते हैं। ढाल भी सजाकर तैयार करते हैं। जगह-जगह हुरियारों के स्वागत के लिए ठंडाई तैयार की गई। बरसाना में तकरीबन हर 200 मीटर की दूरी पर मिठाई, नमकीन और ठंडाई की व्यवस्था की गई है।
हुरियारों को पिलाई जाती है ठंडाई
लट्ठमार होली खेलने के लिए आने वाले हुरियारों का स्वागत बरसाना के लोग उसी तरह करते हैं, जैसे जमाई ससुराल में आता है। बरसाना के रहने वाले नंदगांव से आये हुरियारों को ठंडाई पिलाते हैं और मिठाई खिलाते हैं। इसके बाद वह उनसे होली खेलने का आग्रह करते हैं। बरसाना के निवासियों द्वारा किये गए स्वागत और आग्रह के बाद नंदगांव के हुरियारे होली खेलने के लिए जाते हैं।
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हर साल निभाई जाती है परंपरा
बरसाना की लट्ठमार होली को लेकर कहा जाता है कि सबसे पहले भगवान राधा-कृष्ण ने अपने सखा और सखियों के साथ होली खेली थी। तभी से लेकर आज भी यह परंपरा हर साल निभाई जाती है। बरसाना और नंदगांव के बीच रिश्ता नहीं होता है, इसके पीछे वजह बताते हुए सेवायत सुशील गोस्वामी ने बताया की नंदगांव राधा रानी की ससुराल है और भगवान कृष्ण बरसाना वालों के जमाई हैं।
लड्डुओं की जमकर हुई बरसात
लट्ठमार होली से पहले रविवार को श्री जी मंदिर में लड्डू होली खेली गयी। यहां भगवान कृष्ण के लट्ठमार होली खेलने के लिए आने का निमंत्रण स्वीकार करने पर लड्डुओं की जमकर बरसात हुई। मंदिर के गोस्वामियों ने होली के रसिया गाये तो पूरा मंदिर परिसर रंग गुलाल से पट गया। इस दौरान वहां पहुंचे श्रद्धालु लड्डू होली के दर्शन कर खुद को धन्य महसूस कर रहे थे। लड्डू होली के दौरान श्रद्धालुओं ने भी जमकर लड्डू लुटाये और खूब किया नाच गाना।
10 लाख से ज्यादा पहुंचे थे श्रृद्धलु
बरसाना में लड्डू होली के दौरान भारी भीड़ उमड़ पड़ी, यहां 10 लाख से ज्यादा श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचे थे। लड्डू होली के दौरान अधिक भीड़ होने के कारण कई बार स्थिति बिगड़ी। सबसे बड़ी समस्या तो तब आई जब मंदिर के दर्शन कर वापस छोटी सिंह पौर पर सीढ़ियों से उतरते हुए श्रद्धालु एक दूसरे पर गिर पड़े। इस घटना में कई श्रद्धालुओं के चोट लगी जिन्हें प्राथमिक इलाज देकर डिस्चार्ज कर दिया गया।
लड्डू होली के दौरान मची भगदड़
इसका एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। लड्डू होली के दौरान रविवार को भगदड़ मच गई। इसमें एक महिला की मौत की अफवाह उड़ी थी। जिसका मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर अजय वर्मा ने खंडन किया। CMO ने बताया कि नवी मुंबई से 61 वर्षीय निर्मला रंजन वाइफ ऑफ प्रमोद रंजन 14 मार्च 2024 को मथुरा आए थे। उनके द्वारा 84 कोस परिक्रमा की जा रही थी। निर्मला रंजन बरसाना के किसी आश्रम में रह रही थी।
हार्ट अटैक से हुई थी मौत
रविवार की सुबह निर्मला रंजन द्वारा खाना खाने के पश्चात उन्हें सांस लेने में दिक्कत हुई, जिसके बाद आश्रम द्वारा निर्मला रंजन को सीएचसी बरसाना में भर्ती कराया गया। सीएचसी बरसाना में उनका इलाज किया गया। उसके बाद उन्हें केडी मेडिकल कॉलेज भेजा गया जहां निर्मला रंजन का हार्ट फेल होने के कारण मृत्यु हो गयी। उनकी मृत्यु का बरसाना की होली से कोई भी संबंध नहीं है।
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