Lathmar Holi: जानें लट्ठमार होली की खासियत जिसे जोड़ा जाता है राधा – कृष्ण की प्रेम कहानी से
Lathmar Holi: जानें द्वापर युग से कलयुग तक लट्ठमार होली की विशेषतायें
Highlights-
. लट्ठमार होली हर साल फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाई जाती है।
. उत्तर प्रदेश के बरसाना और नंदगाँव की प्रसिद्ध होली श्री कृष्ण और राधा की प्रेम कहानी से जुड़ी है।
. लट्ठमार होली उत्तर प्रदेश में होली से एक हफ्ते पहले ही मनानी शुरू हो जाती है।
Lathmar Holi होली रंगो का त्योहार है। कहते हैं होली में गिले – शिकवे सब भुला कर लोग गले मिलते हैं और प्रेम और भाईचारे के साथ एक – दूसरे को अबीर – गुलाल लगाते हैं। होली भारतवर्ष में सबसे अधिक मनाये जाने वाले त्योहारों में से एक है। होली मनाने के पीछे कई कहानियाँ हैं जो जन – जन में प्रचलित हैं। इसके अलावे देशभर में होली को अलग – अलग रूप में मनाने की भी प्रथा हैं। उन्हीं में से एक है लट्ठमार होली।
लट्ठमार होली की डोर द्वापर युग से जुड़ी हुई है। हिंदु मान्यताओं के अनुसार श्री कृष्ण और राधा रानी की होली की पुनरावृति (दोहराव) है लट्ठमार होली। ऐसी मान्यता है कि श्री कृष्ण हर वर्ष राधा रानी संग होली मनाने नंदगाँव से बरसाना जाते थे। इसिलिये लट्ठमार होली को बरसाना होली भी कहा जाता है। जानकारी मिलती है कि द्वापर युग में राधा रानी बरसाना में निवास करतीं थीं और श्री कृष्ण नंदगाँव के रहने वाले थे।
वर्तमान में बरसाना और नंदगाँव उत्तरप्रदेश के मथुरा जिले में स्थित हैं। आज हम आपके सामने लेकर आयें हैं लट्ठमार होली से जुड़ी कहानियाँ, इस आर्टिकल में हम आपको ले चलेंगे द्वापर युग के इतिहास के पन्नों में और आपको बतायेंगे लठ्ठमार होली की सारी विशेषतायें।
तो चलिये मेरे साथ इस यात्रा पर।
लट्ठमार होली क्या है?
लट्ठमार होली भगवान श्री कृष्ण के काल में उनके द्वारा की जाने वाली लीलाओं की पुनरावृति है। माना जाता है कि श्री कृष्ण कमर में फेंटा लगाये राधा रानी तथा उनकी सखियों से होली खेलने बरसाना पहुँच जाते थे और उनके साथ ठीठोली करते थे जिस पर राधारानी और उनकी सखियाँ ग्वाल – बालों पर डंडे बरसाया करती थीं। मान्यता है कि राधा रानी का जन्म बरसाना में हुआ था और श्री कृष्ण नंदगाँव के थे।
#Barsana women beat men from Nandgaon with wooden sticks during the celebrations of #Lathmar holi. #Mathura #Holi pic.twitter.com/zMgrCRohGE
— Anuja Jaiswal (@AnujaJaiswalTOI) March 23, 2021
बरसाना और नंदगाँव उत्तर प्रदेश में स्थित मथुरा जिला के शहर हैं। द्वापर के इसी प्रथा के अनुरूप प्रत्येक वर्ष नंदगाँव से लोग बरसाना होली मनाने जाते हैं। जब नाचते झूमते लोग नंदगाँव पहुँचते हैं तो औरतें हाथ में ली हई लाठियों से उन्हें पीटना शुरू कर देती हैं और पुरूष खुद को बचाते हुये भागते हैं। हाँलांकि ये सब हँसी – खुशी के वातावरण में होता है।
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कब मनाई जाती है?
बरसाने की लट्ठमार होली फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाई जाती है। देश विदेश से लाखों लोग यहाँ की होली देखने आते हैं। ब्रज की होली भारत में सबसे खास मानी जाती है क्योंकि इसे राधा और कृष्ण के प्रेम से जोड़कर देखा जाता है।
#Lathmar #Holi in #Nandgaon #Mathura photo credit – Anil Agarwal pic.twitter.com/RjWq2Yya2g
— Anuja Jaiswal (@AnujaJaiswalTOI) March 25, 2021
बरसाना में राधा रानी मंदिर परिसर उत्सव का स्थल बन जाता है।
लट्ठमार होली के साथ – साथ उत्तरप्रदेश के कई इलाकों में लड्डुओं की होली, फुलों की होली, दुल्हंदी होली भी खेली जाती है। लड्डुओं की होली बहुत लोकप्रिय है जो मुख्यतया मंदिरों में खेली जाती है। इसमें मंदिर के गर्भगृह से पंडितजी लड्डुओं की बरसात करते हैं। फूलों की होली में पुष्प की बरसात की जाती है औऱ लोग एक – दूसरे के ऊपर फूल ऊड़ाते हैं। दुल्हंदी होली लट्ठमार होली के जैसे ही है। इसे मुख्य रूप से हरियाणा राज्य में मनाया जाता है।
यह होली भाभी – देवर के बीच खेले जाने वाली होली है। इसमें देवर अपनी भाभियों को रंग लगाने का प्रयास करते हैं जिसके जवाब में भाभियाँ अपने देवरों पर लाठियाँ चलाती है। भारत के असम, गुवाहाटी जैसे राज्यों में स्पेन की ही तरह टमाटर से होली खेली जाती है। इस होली में एक जगह सभी लोग एकत्रित होकर एक – दूसरे पर टमाटर फेंकते हैं।