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Nightmares: बार-बार बुरे सपने आने से इसका असर उम्र पर पड़ता है; बुरे सपने बन सकते है मौत की वजह 

Nightmares बुरे सपने सिर्फ रात के डरावने लम्हे नहीं होते है  ये हमारे स्वास्थ्य और उम्र पर भी गहरा असर डालते हैं। नए शोध से पता चला है कि अक्सर दुःस्वप्न आने से हमारी सेलुलर एजिंग तेज़ हो जाती है, जिससे उम्र जल्दी बढ़ती है और मृत्यु का जोखिम बढ़ जाता है।

Nightmares: बुरे सपनों के आने से तेजी से बढ़ती है उम्र 

Nightmares: बुरे सपने ऐसे डरावने या परेशान करने वाले सपने होते हैं जो व्यक्ति की नींद के दौरान आते हैं और अक्सर उसे अचानक डर या घबराहट के साथ जगा देते हैं। ये सपने आमतौर पर नींद के REM (Rapid Eye Movement) चरण में आते हैं, जब मस्तिष्क सबसे अधिक सक्रिय होता है और सपने देखे जाते हैं। बुरे सपनों में व्यक्ति खुद को डरावनी स्थितियों में देख सकता है,जैसे किसी का पीछा करना, ऊंचाई से गिरना, खुद को या किसी प्रियजन को खतरे में देखना आदि। ये अनुभव इतने भावनात्मक रूप से तीव्र होते हैं कि व्यक्ति डर, बेचैनी, पसीना या तेज़ दिल की धड़कन के साथ जाग सकता है। बुरे सपने कभी-कभी सामान्य होते हैं, खासकर जब हम तनाव में हों, बीमार हों या डरावनी चीज़ें जैसे हॉरर फिल्में देखने के बाद सोएं। लेकिन अगर ये बार-बार होने लगें, तो इसे एक स्लीप डिसऑर्डर या मानसिक स्वास्थ्य समस्या के संकेत के रूप में देखा जा सकता है, और इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। 

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क्या कहता है शोध?

इस अध्ययन का नेतृत्व यूके डिमेंशिया रिसर्च इंस्टीट्यूट और इंपीरियल कॉलेज लंदन के शोधकर्ता डॉ. अबिदेमी ओटाइकू ने किया। अध्ययन में 26 से 86 वर्ष की आयु के लगभग 183,000 वयस्कों और 8 से 10 वर्ष की उम्र के लगभग 2,400 बच्चों को शामिल किया गया। इन प्रतिभागियों को 1.5 से लेकर 19 वर्षों तक की लंबी अवधि में ट्रैक किया गया, जिससे उनकी नींद और स्वास्थ्य से जुड़ी आदतों पर गहराई से अध्ययन किया जा सके। 

वयस्कों ने अपने Nightmares यानि बुरे सपनों की आवृत्ति की जानकारी स्वयं दी, जबकि बच्चों के लिए यह जानकारी उनके माता-पिता द्वारा प्रदान की गई। इस शोध का सबसे अहम निष्कर्ष यह था कि जो वयस्क सप्ताह में एक या अधिक बार Nightmares यानि बुरे सपने देखते हैं, उनमें 70 वर्ष की उम्र से पहले मृत्यु का खतरा तीन गुना ज्यादा होता है, उन लोगों की तुलना में जिन्हें कभी-कभार या बिल्कुल भी Nightmares यानि बुरे  सपने नहीं आते। यह अध्ययन यह संकेत देता है कि बार-बार बुरे सपने आना केवल मानसिक परेशानी नहीं, बल्कि दीर्घकालिक स्वास्थ्य और जीवनकाल पर भी गंभीर प्रभाव डाल सकता है।

बुरे सपने से उम्र क्यों बढ़ती है 

शोधकर्ताओं के अनुसार, बार-बार Nightmares यानि  बुरे सपनों से नींद की गुणवत्ता खराब होती है, जिससे शरीर की प्राकृतिक मरम्मत प्रक्रिया बाधित होती है। इससे तनाव हार्मोन जैसे कोर्टिसोल का स्तर बढ़ता है और सेलुलर एजिंग यानी कोशिकाओं की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया तेज़ हो जाती है। लंबे समय तक यह स्थिति बनी रहे तो यह मोटापा, डायबिटीज़, हृदय रोग और समय से पहले मृत्यु तक का कारण बन सकती है।

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