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Kashi Ke Kotwal: बाबा कालभैरव के दरबार में बस एक हाजिरी, फिर देखो परिणाम

Kashi Ke Kotwal: दूर-दराज के लोगों का तांता लगता है ‘बाबा’ के दरबार में 

Highlights:
  • काशी के रक्षक माने जाते हैं बाबा कालभैरव
  • भूत-प्रेत-पिशाच बाधा से मुक्ति मिलती है, दरबार में
  • बनारस जो आता है, बाबा के चरणों में शीश झुकाता है

Kashi Ke Kotwal :जो बनारस आता है और वो ‘काशी के कोतवाल’ के बारे में जानने के लिए इच्छुक न हो, ऐसा कैसे हो सकता है? बनारस के कैंट स्टेशन से आसानी से बाबा कालभैरव के मंदिर जाने के लिए साधन मिल जाता है। बाबा कालभैरव को ‘काशी का कोतवाल’ इसलिए कहा जाता है, क्योंकि ऐसा सर्वविदित मत व्याप्त है कि बाबा बनारस या काशी की रक्षा करते हैं। बाबा कालभैरव का मंदिर बनारस के पुरातन मंदिरों में से एक है। इस मंदिर की पौराणिक मान्यता बताई जाती है कि ” बाबा विश्वनाथ जी ने कालभैरव बाबा को काशी का कोतवाल या रक्षक नियुक्त किया था।”

काशी के कोतवाल बाबा ‘कालभैरव’ की महिमा के बारे में जानना है तो आपको एक बार बनारस अवश्य ही आना चाहिए। बाबा ‘कालभैरव’ को भगवान भोलेनाथ का रौद्ररुप माना जाता है। मतलब स्पष्ट है कि भगवान भोलेनाथ के ‘रौद्ररुप’ अथवा क्रोधित स्वरुप की पूजा ‘बाबा कालभैरव’ के रुप में होती है। काशी के जन अपने बाबा कालभैरव को दंडाधिकारी भी कहते हैं। ऐसी व्याप्त और प्रबल मान्यता है कि बिना बाबा ‘कालभैरव’ की अनुमति अथवा इनके चौकट पर शीश झुकाए कोई भी काशी में वास नहीं कर सकता है। आम काशीवासियों का यह विश्वास है कि बाबा कालभैरव हर प्रकार के दुखो, विकारों और तकलीफों को हर लेते हैं। भक्तों की बाबा के ऊपर जबरदस्त आस्था होती है।

काशी, जिसको बनारस और नये रूप में वाराणसी नाम से जानते हैं, में बाबा ‘कालभैरव’ का वास माना जाता है। वहां एक और बात बड़ी ही रोचक है कि काशी में आना वाला हर आदमी चाहे वो कितना भी बड़ा क्यों न हो, बाबा के चरणों में शीश अथवा दरबार में हाजिरी जरूर लगाता है। कुछ भक्त ऐसे भी हैं जो बाबा को भांग-मदीरा चढ़ाते हैं। उनका ऐसा विश्वास है कि इससे न सिर्फ उनके मन्नत पूरे होते हैं बल्कि पुराने रोगों, विपत्ति और कलह से भी मुक्ति मिलती है।

लोगों या भक्तों में भिन्न तरह के मत व्यात हैं। कुछ लोगों का मानना है कि बाबा ‘कालभैरव‘ औघड़ परंपरा के स्वामी हैं। उनका मत है कि सनातन परंपरा में औघड़ को मदिरा चढ़ता है। यह प्रसाद के रूप में है। ऐसा करने से दुखों-रोगों से मुक्ति मिलती है। भक्त यह भी कहते हैं कि बाबा अंतर्यामी हैं। वह तो काल (मृत्यु) को हरने वाले हैं। जो काल का साक्षात स्वरुप हो, भला उनसे क्या छुप सकता है? बाबा भोलेनाथ काशी के राजा हैं और काशी का प्रत्येक निवासी खुद को बाबा भोलेनाथ का परम भक्त समझता-कहता है। बाबा काल भैरव को काशी का पुराधिपति भी कहा जाता है।

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सावन के महीने या फिर महाशिवरात्रि के दिन बाबा के दरबार में भक्तों की लम्बी कतारें मन को मोहित कर लेती हैं। दूर-दराज से आने भक्तों का रेला आस्था की पराकाष्ठा को प्रकट करता है। बाबा के पूजन सामग्री भी पास में ही मिल जाती है। न साधन की कमी और न ही चढ़ावे की।

बाबा की महिमा इतनी अपरम्पार है काशी में “मोक्ष का द्वार” खुलता है, ऐसा माना जाता है। यहां जब आरती होती है तब नगाड़े-घंटा-डमरू के ध्वनि से सारा आकाश गूंज जाता है। यहां मूल रूप से लोग बाबा के दरबार में भूत-प्रेत-पिशाच बाधा से मुक्ति के लिए आते हैं और इससे लाभ भी पाते हैं। बाबा की महिमा ऐसी है कि इनके चौकट पर एक बार शीश झुकाने वाला इंसान फिर कभी इनके बिना रह नहीं पाता है। यही कारण है कि भक्तों की आस्था और बाबा कालभैरव का आशीर्वाद कभी कम ही नहीं होता है।

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