International Day of Charity: क्यों मनाया जाता है 5 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय दान दिवस? जानें इसका महत्व
International Day of Charity, हर साल 5 सितंबर को पूरी दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय दान दिवस (International Day of Charity) मनाया जाता है।
International Day of Charity : दान ही है सबसे बड़ा धर्म, जानें अंतर्राष्ट्रीय दान दिवस का इतिहास और उद्देश्य
International Day of Charity, हर साल 5 सितंबर को पूरी दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय दान दिवस (International Day of Charity) मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य समाज में दान और परोपकार की भावना को बढ़ावा देना है ताकि ज़रूरतमंद लोगों की मदद की जा सके और एक बेहतर, दयालु और संवेदनशील दुनिया बनाई जा सके। यह दिन लोगों को याद दिलाता है कि दान केवल आर्थिक सहयोग तक सीमित नहीं है, बल्कि समय, मेहनत और सहयोग भी दान का हिस्सा हैं।
अंतर्राष्ट्रीय दान दिवस का इतिहास
अंतर्राष्ट्रीय दान दिवस की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र (UN) द्वारा की गई थी। वर्ष 2012 में UN महासभा ने इस दिन को आधिकारिक रूप से मान्यता दी। इसके पीछे का मुख्य उद्देश्य था कि दुनिया भर में गरीबी, भूख, बीमारी और आपदा से जूझ रहे लोगों की मदद के लिए परोपकार को बढ़ावा दिया जाए। इस दिन को 5 सितंबर को मनाने के पीछे एक खास वजह है। यह दिन मदर टेरेसा की पुण्यतिथि है, जिन्होंने अपना पूरा जीवन मानवता की सेवा और गरीबों की मदद के लिए समर्पित कर दिया। मदर टेरेसा न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में करुणा और सेवा की प्रतीक मानी जाती हैं। इसलिए उनके सम्मान में इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय दान दिवस घोषित किया गया।
दान का महत्व
दान केवल पैसे देने का नाम नहीं है, बल्कि इसमें समय, सेवा, शिक्षा और संवेदना भी शामिल होती है। जब कोई व्यक्ति किसी ज़रूरतमंद की मदद करता है, तो यह न केवल उसकी जिंदगी बदलता है बल्कि मदद करने वाले को भी संतोष और शांति प्रदान करता है। समाज में दान की भूमिका बहुत अहम होती है। इससे गरीब और बेसहारा लोगों को जीने का सहारा मिलता है। शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक वंचित वर्ग की पहुंच आसान होती है। प्राकृतिक आपदाओं और संकट के समय में राहत पहुंचाई जा सकती है। समाज में बराबरी और भाईचारे की भावना विकसित होती है।
भारत में दान की परंपरा
भारत में प्राचीन काल से ही दान की गहरी परंपरा रही है। वेद और पुराणों में “दान” को सबसे बड़े धर्मों में गिना गया है। भारतीय संस्कृति में “अन्न दान”, “विद्या दान” और “जल दान” को सर्वोत्तम माना गया है। समाज के हर वर्ग को जोड़ने और सामंजस्य बनाने में दान की अहम भूमिका रही है। यही वजह है कि आज भी भारत में कई लोग नियमित रूप से जरूरतमंदों की मदद करते हैं।
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आधुनिक समय में दान की आवश्यकता
आज की दुनिया कई चुनौतियों से जूझ रही है – गरीबी, बेरोजगारी, जलवायु परिवर्तन, महामारी और युद्ध जैसी परिस्थितियाँ लाखों लोगों को प्रभावित करती हैं। ऐसे में दान और परोपकार पहले से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है। कोविड-19 महामारी के दौरान हमने देखा कि कैसे लाखों लोगों ने जरूरतमंदों को भोजन, दवाइयां और ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध कराकर मानवता का परिचय दिया। कई एनजीओ और सामाजिक संगठन लगातार ग्रामीण इलाकों में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने के लिए काम कर रहे हैं। कॉर्पोरेट कंपनियां भी CSR (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) के तहत समाज की बेहतरी में योगदान दे रही हैं।
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इस दिन को कैसे मनाएं?
अंतर्राष्ट्रीय दान दिवस पर हर व्यक्ति अपनी क्षमता अनुसार योगदान दे सकता है। यह जरूरी नहीं कि आप बड़े स्तर पर ही दान करें, बल्कि छोटी-सी मदद भी किसी की जिंदगी में बड़ा बदलाव ला सकती है। किसी गरीब बच्चे की पढ़ाई का खर्च उठाएं। जरूरतमंद को भोजन या कपड़े दान करें। वृद्धाश्रम या अनाथालय में समय बिताएं। रक्तदान या अंगदान जैसे जीवनदायी कार्य करें। एनजीओ या सामाजिक संगठनों से जुड़कर सेवा कार्यों में भाग लें। अंतर्राष्ट्रीय दान दिवस हमें यह याद दिलाता है कि मानवता सबसे बड़ा धर्म है। दान केवल संपन्न लोगों का काम नहीं है, बल्कि हर कोई अपनी क्षमता के अनुसार योगदान दे सकता है। चाहे वह समय हो, ज्ञान हो, या संसाधन – दान हमेशा समाज में सकारात्मक बदलाव लाता है। मदर टेरेसा के शब्दों में कहा जाए तो – “हम सब बड़े काम नहीं कर सकते, लेकिन छोटे-छोटे काम प्यार और करुणा से जरूर कर सकते हैं।” यही संदेश अंतर्राष्ट्रीय दान दिवस का असली सार है।
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