Holika Dahan 2023: इस होलिका दहन जलायें अपने अंदर की इन बुराईयों को
Holika Dahan 2023: इस होलिका दहन भष्म करें अपने जीवन के इन बुराईयों को
Highlights
- इस वर्ष होली 8 मार्च को पूरे देश में मनाई जायेगी, उससे एक दिन पहले होलिका जला कर लोग बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शायेंगे।
- होली 2023 : क्या आप तैयार है गुजिया खाने के लिए
Holika Dahan 2023: 8 मार्च को देशभर में होली का त्योहार मनाया जायेगा। होली से एक दिन पहले होलिका दहन की जायेगी। इस वर्ष होलिका दहन का मुहूर्त 7 मार्च संध्या 6 बजकर 24 मिनट से 8 बजकर 51 मिनट तक रहेगा। होली बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है। वसंत ऋतु में हर्षोउल्लास के साथ मनाये जाने के कारण होली को वसंतोत्सव भी कहते हैं। होली मनाने के पीछे कई तरह की कहानियाँ और कथायें प्रसिद्ध है। होली के साथ होलिका दहन मनाने के पीछे भी कारण हैं।
माना जाता है कि प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नाम का एक अत्यंत बलशाली असुर था। उसे अपने बल पर ऐसा अहंकार था कि वो अपने आप को ही ईश्वर मानने लग गया था। हिरण्यकश्यप ने अपने राज्य में ईश्वर का नाम लेने पर ही पाबंदी लगा दी थी। परंतु उसका पुत्र प्रहलाद बहुत बड़ा विष्णु भक्त था। प्रहलाद की ईश्वर भक्ती देख हिरण्यकश्यप ने उसे एक से एक कठोर दंड दिये परंतू विष्णु भक्त प्रहलाद की भक्ती में कोई कमी नहीं आई। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि अग्नि उसका कुछ बिगाड़ नहीं सकती ।
हिरण्यकश्यप प्रहलाद की जान लेने को आतुर था, वह किसी भी तरह भगवान विष्णु का नाम नहीं सुन सकता था। अर्थात उसने होलिका को आदेश दिया कि वह प्रहलाद को लेकर आग में बैठे। आग में बैठने के बाद विष्णु भक्त प्रहलाद को भगवान की कृपा से कुछ नहीं हुआ परंतु होलिका का वरदान उसे उस दिन कोई काम नहीं आया और होलिका अग्नि में भष्म हो गई। इस तरह उस दिन से हर वर्ष बुराई पर अच्छाई की जीत, असत्य पर सत्य की जीत, अहंकार पर निरहंकार की जीत को दर्शाते हुये होली से एक दिन पहले होलिका जलाई जाने की प्रथा है। इसे ही होलिका दहन कहते हैं।
होलिका दहन मनाने का अर्थ है कि हम होलिका के रूप में अपने जीवन की सारी बुराईयों को होलिका के साथ भष्म करदें। आज इस आर्टिकल में हम आपको बतायेंगे कि वो कौन – कौन सी बुराईयाँ हैं जो इस होलिका दहन आपको जलानी चाहिये।
जलायें अपने अंदर के घमंड, नकारात्मकता और जलन को – घमंड इंसान को जीवन में कभी आगे नहीं बढ़ने देता। अहंकार की सोच आपके स्वंय के सोच को विकसित होने से रोकती है। इसिलिये घमंड से इंसान को कोसों दूर रहना चाहिये। नकारात्मकता जीवन में तनाव, परेशानी का भंडार लेके आता है। आप जीवन में जो भी काम करना चाहते हैं आपको सबसे पहले उस बारे में सकारात्मक होना होगा।
नकारात्मक सोच से न ही सिर्फ आपका मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ता है बल्कि आपके शरीर पर भी इसका बुरा असर पड़ता है। इसका नतीजा ये निकलता है कि जो व्यक्ति आप हैं वो आप नहीं रह पाते। इससे आपके आत्मविश्वास में कमी आता है और जीवन के हर मोड़ पर आप खुद को हताश पाते हो।
जलन एक सोच या भाव है जो आमतौर पर भय, चिंता और असुरक्षा की भावनाओं से जुड़ा होता है। इंसान जब किसी से ईष्या करता है तो वह दिन रात उसी के बारे में सोचता है और इस तरह वह अपने कामों में ध्यान न देकर अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारता है। इसिलिये इस होलिका दहन आप संकल्प लें की आप अपने अंदर के घमंड, नकारात्मकता औऱ जलन को जलायें।
जलायें क्रोध, आलस्य और अज्ञानता को – यह विज्ञान द्वारा प्रमाणित है कि मन में किसी व्यक्ति या किसी परिस्थिति पर क्रोध आने प मष्तिष्क में ऐसे रसायनिक तत्व बनते हैं जिनका शरीर और मन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसका ये परिणाम निकलता है कि सोचने की शक्ति कम हो जाती है, शरीर की रोध – प्रतिरोधक क्षमता पर असर पड़ता है, स्वंय को विकास में कमी आती है। कहते हैं आलस्य इंसान का सबस बड़ा दुश्मन होता है।
व्यक्ति के जीवन में सक्रीयता का ना होना आलस्य कहलाता है। इससे सेहत पर काफी बुरा असर पड़ता है और आप बिमारियों से घिर सकते हैं। आजकल जीवनशैली इतनी तेज़ हो गई है कि अपने आप को सक्रीय रखना बहुत आवश्यक हो गया है।
इसिलिये ये ज़रूरी है कि आलस्य को सही समय पर त्याग देना चाहिये। हारे जीवन में दु : ख का मूल कारण अज्ञान ही है। कहते हैं कभी भी दु : खों का अंत होगा तो उसके पीछे मूल कारण अज्ञान ही बनेगा। ज्ञान होने के बाद जीवन में चाहे जो भी परिस्थितियाँ हो लेकिन मानव उन्हें अपने ज्ञान की मदद से पार कर जाता है। संसार में क्या सत्य है, क्या असत्य है इसका बोध न होना ही अज्ञानता है। ये परमावश्यक है कि हम अपने अज्ञानता को दूर करने का हरसम्भव प्रयास करें। इस होलिका दहन हम क्रोध, आलस्य और अज्ञानता को भष्म करें।
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