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Hindi Poets : हरिवंशराय बच्चन से लेकर महादेवी वर्मा तक, वो कवि जिन्होंंने हिंदी को दिलाई एक अलग पहचान

Hindi Poets : आज़ादी से लेकर गरीबों की दशा लिख गए, इस हिंदी दिवस जानें हिंदी के उन कवियों को जो अमर हो गए


Highlights – 
. देश में हर साल 14 सितम्बर को हिंदी दिवस मनाया जाता है।
. हिंदी भाषा में कई किताबें लिखी गई हैं और हिंदी में एक – से – एक लेखक भी हुए हैं। 

 

Hindi Poets : देश में हर साल 14 सितम्बर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। भारत में हिन्दी दिवस की शुरूआत 1953 में हुई थी। उसके बाद से ही 14 सितम्बर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
हमारे देश में बहुत सारी भाषाएं बोली जाती है, जिसमें हिंदी सबसे लोकप्रिय भाषाओं में से एक है। हिन्दी दिवस को स्कूल, कॉलेज और ऑफिस सभी जगह पर बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। हिंंदी एक भाषा के रूप में सदा जीवित रहे इसलिए हिंदी दिवस को मनाने के लिए एक दिन को चुना गया और दिन 14 सितंबर को रखा गया।
हिंदी भाषा में कई किताबें लिखी गई हैं और हिंदी में एक – से – एक लेखक भी हुए हैं जिन्होंने हिंदी को एक अलग  पहचान बनाने के लिए  रात और दिन एक कर दिया। इन कवियों में से कुछ कवियों ने देश की आज़ादी को अपने शब्दों में लिखा तो कुछ ने गरीबी और भुखमरी को अपने कलम के माध्यम से कागज़ पर उतारा। कोई प्रेम लिख गया तो कोई संघर्ष। हर कवि अपनी पहचान लिख कर चला गया।
तो चलिए इस हिंदी दिवस हम याद करते हैं इन्हीं कवियों को जिन्होंने हिंदी को एक भाषा के रूप में सदैव जिंदा रखने का संकल्प लिया।

हरीवंश राय बच्चन: हिंदी छायावाद के कवियों में सबसे ऊपर हरिवंश राय बच्चन का नाम आता है। हरिवंश राय बच्चन का जन्म 27 नवम्बर 1907 को इलाहाबाद ( अब प्रयागराज ) में हुआ था।  हरिवंश राय बच्चन द्वारा लिखी कवितायें आज भी लोगों द्वारा खूब पसंद की जाती है। आज भी लोगों में उनकी कविताओं की लोकप्रियता बनी हुई है। मधुशाला उनकी बहुत ही प्रसिद्ध कविता संग्रह है।

महादेवी वर्मा:  महादेवी वर्मा का जन्म 1907 में फ़र्रुखाबाद यूपी में हुआ था महादेवी वर्मा की गिनती छायावाद के प्रमुख कवियों में होती है। उन्होंने तकरीबन अपनी सारी उम्र प्रयाग महिला विद्यापीठ में पढ़ाने में निकाल दी। महादेवी वर्मा ने बहुत सारी बच्चों के लिए भी कहानियां लिखी हैं जो आज भी स्कूल के किताबों में पढ़ाई जाती हैं। महादेवी वर्मा को जानवरों से बेहद लगाव था। उनकी कई कहानियों में आपको किसी – न – किसी जानवर पर कोई – न – कोई किस्सा जरूर मिल जाएगा।

सुमित्रानंदन पंत:  सुमित्रानंदन पंत का जन्म 20 मई 1900 में हुआ था। सुमित्रानंदन पंत द्वारा लिखी कवितायें आज भी लोगों द्वारा खूब पसंद की जाती है। सुमित्रानंदन पंत द्वारा लिखी “कला और बूढ़ा चाँद” के लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार भी मिला। 28 दिसंबर 1977 को सुमित्रानंदन पंत दुनिया को अलविदा कह गए लेकिन उनकी काव्य रचनाएं आज भ हम सबके बीच मौजूद है और वो आम जन को प्रेरित कर रही हैं। 

जयशंकर प्रसाद: जयशंकर प्रसाद का जन्म 30 जनवरी 1989 में उत्तर प्रदेश के वाराणसी में हुआ था। निराला, पंत, महादेवी के साथ जयशंकर प्रसाद भी हिंदी साहित्य के छायावाद के चौथे स्तंभ माने जाते हैं। जयशंकर प्रसाद ने साहित्य को इबादत समझा और उन्हें हिन्दी के अलावा संस्कृत उर्दू और फ़ारसी का भी ज्ञान था। उनकी लिखी छवियाँ आज भी लोग खूब मजे में पढ़ते हैं। 

सूर्यकांत त्रिपाठी: सूर्यकांत त्रिपाठी का जन्म 16 फरवरी 1896 को मिदनापुर बंगाल में हुआ था। बंगाल में पले – बड़े होने की कारण से ये रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद और टैगोर से काफी ज्यादा प्रभावित थे। सूर्यकांत त्रिपाठी की रचनायें कल्पनाओं की जगह ज़मीनी हकीक़त को दिखाती हैं जो एक कवि के असली रूप को प्रस्तूत करते है। 

रामधारी सिंह दिनकर: रामधारी सिंह दिनकर का जन्म 23 सितम्बर 1908 को सिमरिया बिहार में हुआ था। रामधारी सिंह दिनकर को वीर रस का सर्वश्रेष्ठ कवि माना जाता है। इस बात का सबूत  मिलता है  उनकी कविता ‘कुरुक्षेत्र’ में । ‘उर्वशी’ उपन्यास के लिए  उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला है। यह उपन्यास देश के बेहतरीन उपन्यासों में से एक माना जाता है। 

अब्दुल रहीम ख़ान-ए-ख़ाना:

अब्दुल रहीम ख़ान-ए-ख़ाना को ज्यादातर लोग ‘रहीम’ के नाम से ही जानते हैं। अब्दुल रहीम ख़ान-ए-ख़ाना का जन्म 17 दिसम्बर 1556 यानि की मुग़ल काल में पाकिस्तान में हुआ था। रहीम अवधी और बृज दोनों भाषा में लिखते थे। रहीम को हिंदी के महान कवियों में से एक कहा जाता है।

संत कबीर: हिन्दी भाषा के लेखन में निर्गुण भक्ति आन्दोलन की शुरुआत करने वाले संत कबीर का जन्म 1440 ईस्वी में काशी में हुआ था। संत कबीर ने एकदम सरल और सहज शब्दों में राम और रहीम के एक होने की बात कही।  माना जाता है कि सन् 1518 के आसपास कबीर की मृत्यु हुई। जाते -जाते कबीर दुनिया को ज्ञान का वह पाठ पढ़ा गए जिसे हर कोई सदैव याद रखेगा।

माखनलाल चतुर्वेदी: माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म 4 अप्रैल 1889 को मध्यप्रदेश के होशंगाबाद ज़िले में हुआ था। माखनलाल चतुर्वेदी कवि होने के साथ-साथ पत्रकार भी थे। उन्होंने ‘प्रभा, कर्मवीर और प्रताप का सफल संपादन किया था। हिंदी कवियों में माखनलाल चतुर्वेदी का नाम बड़े गर्व के साथ लिया जाता है। 

मैथिलीशरण गुप्त:  मैथिलीशरण गुप्त का जन्म 3 अगस्त 1886 में यूपी के झांसी जिले में चिरगाओं में हुआ था। मैथिलीशरण गुप्त अपनी कविताओं में खड़ी बोली का बहुत ज्यादा इस्तेमाल करते थे। उनकी कविताओं के लिए उन्हें पद्मविभूषण सम्मान से नवाज़ा गया था। मैथिलीशरण गुप्त ने 12 दिसंबर 1964 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया था। 

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