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Gandhi Jayanti 2023 : 2 अक्टूबर को है महात्मा गांधी की 154वीं जयंती, जानें उन्हें कैसे मिला राष्ट्रपिता का दर्जा

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 में गुजरात के पोरबंदर जिले में हुआ था। इस वर्ष यानी कि वर्ष 2023 में महात्मा गांधी की 154वीं जयंती मनाई जा रही है। हर साल 2 अक्टूबर को गांधी जयंती को देशभर में बड़े ही धूमधाम के साथ एक राष्ट्रीय त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। देश से बाहर भारतीय लोग जहां भी रहते हैं वहां गांधी जी को याद करने के लिए कार्यक्रम आदि आयोजित करते हैं। अंग्रेजों से आजादी दिलाने में महात्मा गांधी के अभूतपूर्व योगदान को भूला नहीं जा सकता है। उनके द्वारा किये गए संघर्षों के द्वारा ही आज हम स्वतंत्र रूप से सांस ले रहे हैं। उनकी जयंती पर देश भर में स्कूलों के साथ ही हर छोटी-बड़ी जगह पर प्रार्थना सभाएं, कार्यक्रम आदि का आयोजन भी किया जाता है।

Gandhi Jayanti 2023 :गांधी जयंती क्यों मनाते हैं, जानें करमचंद गांधी से राष्ट्रपिता बनने के सफर की पूरी कहानी


महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 में गुजरात के पोरबंदर जिले में हुआ था। इस वर्ष यानी कि वर्ष 2023 में महात्मा गांधी की 154वीं जयंती मनाई जा रही है। हर साल 2 अक्टूबर को गांधी जयंती  को देशभर में बड़े ही धूमधाम के साथ एक राष्ट्रीय त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। देश से बाहर भारतीय लोग जहां भी रहते हैं वहां गांधी जी को याद करने के लिए कार्यक्रम आदि आयोजित करते हैं। अंग्रेजों से आजादी दिलाने में महात्मा गांधी के अभूतपूर्व योगदान को भूला नहीं जा सकता है। उनके द्वारा किये गए संघर्षों के द्वारा ही आज हम स्वतंत्र रूप से सांस ले रहे हैं। उनकी जयंती पर देश भर में स्कूलों के साथ ही हर छोटी-बड़ी जगह पर प्रार्थना सभाएं, कार्यक्रम आदि का आयोजन भी किया जाता है।

महात्मा गांधी जी के बचपन से जुड़ी कुछ रोचक बातें –

महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। महात्मा गांधी जी  बचपन से पढ़ाई में होनहार छात्र नहीं थे। वो गणित और भूगोल की पढ़ाई में कमजोर थे। उनकी लिखावट भी बहुत सुंदर नहीं थी। अक्सर उन्हें पढ़ाई और लिखावट के कारण डांट भी पड़ती थीं। हालांकि वह अंग्रेजी में निपुण छात्र थे। अंग्रेजी का अच्छा ज्ञान होने के कारण उन्हें कई पुरस्कार और छात्रवृत्तियां मिल मिलती थीं।

गांधी जी ने स्वतंत्रता के लिये अंग्रेजों के खिलाफ अपने पूरे जीवन भर संघर्ष किया था। उनका जीवन अपने आप में एक प्रेरणा है। मोहनदास करमचंद गांधी की शादी 13 साल की उम्र में कस्तूरबा से हुई थी। कस्तूरबा गांधी उनसे 6 माह बड़ी थी। एक साल बाद ही वो पिता भी बन गए थे। गांधी जी कानून की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड गए थे। चार साल बाद वह अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद भारत लौट आये और कुछ दिनों तक यहां अभ्यास किया, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली थी।

गांधी जी के कुछ महत्वपूर्ण आंदोलनों के बारे में –

महात्मा गांधी जी अंग्रेजों की आंखों में आंखें डालकर कहते थे, ‘यह देश हमारा है, आपको जाना ही होगा।

1906 में महात्मा गांधी ने ट्रांसवाल एशियाटिक रजिस्ट्रेशन एक्ट के खिलाफ पहला सत्याग्रह चलाया।

असहयोग आंदोलन – 1920 से गांधी जी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन चलाया गया था।

नमक सत्याग्रह – 12 मार्च, 1930 में साबरमती आश्रम जो कि अहमदाबाद स्थित है, दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च निकाला था। गांधी जी ने नमक पर ब्रिटिश हुकूमत के एकाधिकार के खिलाफ 12 मार्च 1930 को नमक सत्याग्रह चलाया, जिसमें वे अहमदाबाद के पास स्थित साबरमती आश्रम से दांडी गांव तक 24 दिनों तक पैदल मार्च किया था।

दलित आंदोलन – बापू ने 8 मई 1933 से छुआछूत विरोधी आंदोलन की शुरुआत की थी।

भारत छोड़ो आंदोलन – अगस्त सन 1942 में महात्मा गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की थी तथा अवज्ञा आंदोलन ”करो या मरो” शुरू करने का फैसला किया था। इसके कारण व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए और भारतीय नेताओं की बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियाँ भी हुई थी।

चंपारण सत्याग्रह – 1917 को महात्मा गांधी की अगुवाई में बिहार के चंपारण जिले से चंपारण आंदोलन भारत का पहला नागरिक अवज्ञा आंदोलन शुरू हुआ था।

असहयोग आंदोलन 1920-1922 – गांधीजी ने एक राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया जिसमें भारतीयों से ब्रिटिश संस्थानों, स्कूलों और उत्पादों का बहिष्कार करने का आग्रह किया गया। इस आंदोलन को व्यापक समर्थन मिला लेकिन चौरी चौरा की घटना के बाद इसे निलंबित कर दिया गया, जहां प्रदर्शनकारियों ने एक पुलिस स्टेशन में आग लगा दी थी।

दांडी यात्रा’ – सविनय अवज्ञा आंदोलन 1930-1934 – महात्मा गांधी के सबसे प्रसिद्ध अभियानों में से एक, यह 1930 में नमक मार्च यानि दांडी मार्च के साथ शुरू हुआ। वह और उनके अनुयायी अपना नमक बनाने के लिए अरब सागर तक 240 मील से अधिक पैदल चल कर आये थे।

आमरण अनशन 1943 – बंगाल में सांप्रदायिक हिंसा के विरोध में और हिंदू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा देने के लिए गांधीजी ने भूख हड़ताल की। इसके परिणामस्वरूप गांधी-जिन्ना समझौते पर हस्ताक्षर हुए और हिंसा समाप्त हो गई थी।

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स्वतंत्रता के बाद के आंदोलन –

1947 में भारत को आजादी मिलने के बाद भी, गांधी विभाजन के दंगों और सांप्रदायिक सद्भाव की आवश्यकता जैसे मुद्दों को संबोधित करने के लिए आंदोलनों में शामिल होते रहे थे। इस अवधि के दौरान उनके प्रयास शांति और एकता बनाए रखने पर केंद्रित होते थे।

2007 में संयुक्त राष्ट्र ने गांधी के जन्मदिन 2 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में घोषित किया गया था। महात्मा गांधी को 5 बार नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था।  महात्मा गांधी  को टाइम मैगजीन ने 1930 में महात्मा गांधी को पर्सन ऑफ द ईयर के नाम से सम्मानित किया था। प्रसिद्ध लेखक लियो टॉलस्टॉय  और गांधी जी पत्रों के जरिए एक-दूसरे से बातचीत किया करते थे। महात्मा गांधी जी की मातृभाषा गुजराती थी।  ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से आजादी के लिए भारत के अहिंसक संघर्ष के नेता महात्मा गांधी अपने जीवनकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण आंदोलनों में शामिल हुए थे।

महात्मा गांधी को पहली बार किसने कहा था राष्ट्रपिता –

गांधी को राष्ट्रपिता कहने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस थे। 6 जुलाई 1944 को रंगून रेडियो स्टेशन के जरिए पहली बार महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया था। उस दौरान नेताजी ने आजाद हिंद फौज की स्थापना की थी और रेडियो के जरिए महात्मा गांधी से आशीर्वाद मांगा था। सुभाष चंद्र बोस अपने भाषण के अंत में  कहा था कि  ‘हमारे राष्ट्रपिता, भारत की आजादी की पवित्र लड़ाई में मै आपके आशीर्वाद और शुभकामनाओं की कामना कर रहा हूं।

महात्मा गांधी जयंती पर नारे –

करो या मरो,अहिंसा परमो धर्म,हरिजन सेवा,सत्यमेव जयते,स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है।

ऐसे मिला महात्मा गांधी की उपलब्धि –

नोबेल पुरस्कार विजेता कवि रवींद्रनाथ टैगोर ने उनको महात्मा की उपाधि प्रदान की थी । उसके बाद ही उन्हें महात्मा गांधी के नाम जाने लगा।

30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने मोहनदास करमचंद गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी थी। गोडसे एक हिंदू महासभा के सदस्य थे।  गोडसे ने महात्मा गांधी पर पाकिस्तान का पक्ष लेने का आरोप लगाया था और अहिंसा के सिद्धांत का भी विरोध किया था।

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