Cycle Syncing: पीरियड्स और वर्कआउट, Cycle Syncing की पूरी गाइड
Cycle Syncing, महिलाओं के शरीर में मासिक धर्म चक्र यानी Menstrual Cycle का सीधा असर उनकी ऊर्जा, मूड और फिटनेस पर पड़ता है।
Cycle Syncing : पीरियड्स में ऊर्जा और मूड बनाए रखने के लिए Cycle Syncing अपनाएं
Cycle Syncing, महिलाओं के शरीर में मासिक धर्म चक्र यानी Menstrual Cycle का सीधा असर उनकी ऊर्जा, मूड और फिटनेस पर पड़ता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर आप अपनी वर्कआउट रूटीन को अपने चक्र के अनुसार एडजस्ट करें, तो न केवल फिटनेस बेहतर होती है, बल्कि पीरियड्स के दौरान होने वाली थकान और दर्द भी कम हो सकता है? यही है Cycle Syncing का सिद्धांत। Cycle Syncing का मतलब है मासिक धर्म के चार फेज़ Menstrual, Follicular, Ovulatory और Luteal के अनुसार अपनी एक्सरसाइज और डायट को एडजस्ट करना।
मासिक धर्म के चार चरण
- Menstrual Phase (पीरियड्स का फेज़)
- समय: दिन 1–5
- हार्मोन: एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन कम
- शरीर: थकान और कम ऊर्जा
- Follicular Phase (फोलिकुलर फेज़)
- समय: दिन 6–14
- हार्मोन: एस्ट्रोजन बढ़ता है
- शरीर: ऊर्जा और स्टैमिना में सुधार
- Ovulatory Phase (ओव्यूलेशन फेज़)
- समय: दिन 15–17
- हार्मोन: एस्ट्रोजन और ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन उच्च
- शरीर: ताकत और सहनशीलता अधिक
- Luteal Phase (ल्युटियल फेज़)
- समय: दिन 18–28
- हार्मोन: प्रोजेस्टेरोन उच्च, एस्ट्रोजन मध्यम
- शरीर: थकान, पाचन और मूड में उतार-चढ़ाव
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Cycle Syncing के अनुसार वर्कआउट
1. Menstrual Phase (दिन 1–5)
- शरीर अधिक थका हुआ और संवेदनशील होता है।
- वर्कआउट सुझाव:
- हल्की स्ट्रेचिंग और योग
- वॉक या ब्रिस्क वॉक
- आरामदायक कार्डियो जैसे साइक्लिंग
- भारी वेट ट्रेनिंग या हाई-इंटेंसिटी वर्कआउट टालें।
2. Follicular Phase (दिन 6–14)
- ऊर्जा और स्टैमिना अधिक रहती है।
- वर्कआउट सुझाव:
- हाई इंटेंसिटी कार्डियो
- स्ट्रेंथ ट्रेनिंग
- एरोबिक्स या डांस वर्कआउट
- यह फेज़ नई फिटनेस रूटीन शुरू करने के लिए आदर्श है।
3. Ovulatory Phase (दिन 15–17)
- ताकत और सहनशीलता पिक पर होती है।
- वर्कआउट सुझाव:
- वेट ट्रेनिंग और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग
- HIIT (High-Intensity Interval Training)
- रनिंग या बॉडीवेट एक्सरसाइज
- मसल बिल्डिंग और पावर वर्कआउट के लिए सबसे उपयुक्त समय।
4. Luteal Phase (दिन 18–28)
- थकान और मूड स्विंग्स बढ़ सकते हैं।
- वर्कआउट सुझाव:
- मॉडरेट कार्डियो
- पिलाटेस या योग
- हल्की स्ट्रेचिंग
- भारी वर्कआउट से बचें, खासकर अगर पीरियड के करीब हैं।
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Cycle Syncing के अन्य लाभ
पीरियड्स के दौरान दर्द में कमी
- सही फेज़ में हल्की एक्सरसाइज करने से क्रैम्प्स और दर्द कम होता है।
ऊर्जा और मूड में सुधार
- चक्र के अनुसार एक्सरसाइज करने से हार्मोन संतुलित रहते हैं और मूड स्थिर रहता है।
फिटनेस और स्टैमिना में सुधार
- जब आप अपने शरीर की प्राकृतिक लय के अनुसार ट्रेनिंग करते हैं, तो मसल्स और स्टैमिना बढ़ती है।
वजन प्रबंधन आसान होता है
- सही समय पर हाई इंटेंसिटी वर्कआउट करने से फैट बर्निंग अधिक प्रभावी होती है।
स्ट्रेस और अनिद्रा में कमी
- Cycle Syncing से हार्मोनल संतुलन बना रहता है और नींद में सुधार होता है।
डायट और सपोर्टिंग टिप्स
- Menstrual Phase: आयरन और हाइड्रेटिंग फूड्स (स्पिनच, बीट्स, नारियल पानी)
- Follicular Phase: प्रोटीन और फाइबर युक्त आहार
- Ovulatory Phase: कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन का संतुलन
- Luteal Phase: हल्का, सुपाच्य भोजन और कम शुगर
साथ ही पानी पर्याप्त मात्रा में पीएँ और कैफीन या शराब कम करें।
सावधानियां
- अगर पीरियड्स बहुत भारी या दर्दनाक हैं, तो वर्कआउट से पहले डॉक्टर से सलाह लें।
- अपने शरीर की सुनें कभी भी अत्यधिक थकान या दर्द महसूस हो तो वर्कआउट कम करें।
- Cycle Syncing केवल स्मार्ट एडजस्टमेंट है, ज़बरदस्ती नहीं।
Cycle Syncing यह बताता है कि महिलाओं का शरीर हर फेज़ में अलग तरीके से प्रतिक्रिया करता है।
यदि हम अपनी वर्कआउट रूटीन, डायट और लाइफस्टाइल को मासिक चक्र के अनुसार एडजस्ट करें, तो न केवल फिटनेस बढ़ती है, बल्कि पीरियड्स के दौरान होने वाली समस्याएँ भी कम होती हैं।
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