नई रिसर्च में सामने आया है कि Coffee एंटी-एजिंग के तौर पर असर दिखा सकती है;जानें कैसे
Coffee अब सिर्फ मूड को बेहतर करने का ज़रिया नहीं रही। बल्कि लोग अब इसे एंटी-एजिंग ड्रिंक के रूप में भी देख रहे हैं। इसी को लेकर हाल ही में एक रिसर्च किया गया है और यह पता लगाने की कोशिश किया जा रहा है की क्या कॉफी सच मे एक एंटी-एजिंग ड्रिंक।
क्या Coffee सच मे एंटी-एजिंग ड्रिंक है?
Coffee: जब भी लोगों का मूड खराब होता है, काम में मन नहीं लगता, या नींद आ रही हो तो कॉफी एक आम सहारा बन गई है। लेकिन क्या यह सिर्फ एक मन को जगाने वाली ड्रिंक है, या Coffee सच मे एक एंटी-एजिंग ड्रिंक। इसी सवाल का जवाब देने के लिए हाल ही में एक शोध किया गया, जिसका विवरण माइक्रोबियल सेल नामक प्रतिष्ठित वैज्ञानिक जर्नल में प्रकाशित हुआ।
इस रिसर्च का क्या था मकसद
यह अध्ययन लंदन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य यह समझना था कि क्या कैफीन सच में हमारी कोशिकाओं को लंबे समय तक जीवित रखने में मदद कर सकता है, और क्या यह हमारे शरीर के DNA की मरम्मत प्रक्रिया को बेहतर बनाता है। रिसर्च टीम यह भी जानना चाहती थी कि कॉफी केवल एक एनर्जी बूस्टर नहीं, बल्कि एक लॉन्ग-टर्म हेल्थ बेनेफिट्स देने वाला पेय हो सकता है या नहीं।
Read More: Nightmares: बार-बार बुरे सपने आने से इसका असर उम्र पर पड़ता है; बुरे सपने बन सकते है मौत की वजह
क्या निकला रिसर्च मे ?
इस अनोखी स्टडी में शोधकर्ताओं ने फिशन यीस्ट का प्रयोग किया, क्योंकि इसकी कोशिकाएं मानव कोशिकाओं से काफी मिलती-जुलती हैं। रिसर्च का उद्देश्य था की कैफीन का प्रभाव सीधे कोशिकाओं की उम्र पर समझना। शुरुआत में इन यीस्ट कोशिकाओं को पोषण की कमी और तनावपूर्ण स्थितियों में रखा गया। इसके बाद उनमें कैफीन डाला गया। आश्चर्यजनक रूप से, वैज्ञानिकों ने पाया कि कैफीन ने इन तनावग्रस्त कोशिकाओं की उम्र को बढ़ा दिया—यानी उन्होंने पहले की तुलना में ज्यादा समय तक जीवित रहकर कार्य किया।
कैफीन का बायोलॉजिकल प्रभाव
शोध में यह भी स्पष्ट हुआ कि कैफीन सीधे AMPK नामक एक सेलुलर सेंसर के साथ इंटरेक्ट करता है। यह सेंसर शरीर में ऊर्जा की स्थिति पर नजर रखता है और कोशिकाओं को ‘स्मार्ट मोड’ में डालकर DNA रिपेयर, ऊर्जा प्रबंधन और सेल प्रोटेक्शन जैसे कार्यों को शुरू करता है। लेकिन यह भी देखा गया कि कैफीन का यह लाभ तभी काम करता है जब दो प्रोटीन – Ssp1 और Ssp2 – सक्रिय रूप से मौजूद हों। यानी यदि ये प्रोटीन शरीर में कमज़ोर या अनुपस्थित हों, तो कैफीन का पॉजिटिव असर नहीं दिखता।
जरूरी चेतावनी
रिसर्च में यह भी देखा गया कि अगर किसी कोशिका में पहले से ही डैमेज DNA मौजूद हो, तो उस पर कैफीन का प्रभाव उल्टा पड़ सकता है। यानी कोशिका खुद को नेचुरल तरीके से रिपेयर नहीं कर पाती और और अधिक नुकसान उठाती है। इससे यह साफ होता है कि Coffee या कैफीन युक्त पेय हर व्यक्ति के लिए एक जैसा काम नहीं करते। किसी के लिए यह एक शक्तिशाली एंटी-एजिंग एजेंट हो सकता है, तो किसी के लिए विपरीत असर भी डाल सकता है। यह आपके शरीर पर डिपेंड करता है और ऐसे में अगर आप भी आंख बंद कर ज्यादा Coffee पी रहे हैं तो एक बार डॉक्टर से कंसल्ट जरूर कर लें क्योंकि आंख बंद करके Coffee पीना और “हेल्दी” मानना खतरनाक हो सकता है।
We’re now on WhatsApp. Click to join.
अगर आपके पास भी हैं कुछ नई स्टोरीज या विचार, तो आप हमें इस ई-मेल पर भेज सकते हैं info@oneworldnews.com







