Agrasen Ki Baoli: दिल्ली की ‘अग्रसेन की बावली’, जिसे कहा जाता है रहस्यमयी कुआं
अग्रसेन की बावली दिल्ली का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है, जिसे रहस्यमयी कुएं की श्रृंखला में शामिल किया जाता है। यह एक प्राचीन बावली है जो कई सदियों से लोगों के बीच लोकप्रिय है।
Agrasen Ki Baoli: अग्रसेन की बावली मशहूर है काला पानी की कहानी के लिए
- ‘अग्रसेन की बावली’ को देखने के लिए लगती है भीड़
- कहा जाता है कि इस बावली का निर्माण महाभारत काल में हुआ था
- यह बावली बेहतरीन आर्किटेक्चर का नमूना पेश करती है
Agrasen Ki Baoli: भारत की राजधानी दिल्ली में भीड़भाड़ और भागमभाग का क्रम कभी रूकता नहीं है। नई दिल्ली में कनॉट प्लेस एक बहुत ही व्यस्त जगह माना जाता है। यहीं पर है, ‘अग्रसेन की बावली’। इसको पुरातात्त्विक संरक्षित स्थल के रूप में जाना जाता है। दिल्ली में देखने के लिए जगह-स्मारक या खूबसूरत चीजों की कोई कमी नहीं है। पर, ‘अग्रसेन की बावली’ इन सब में सबसे अलग पुरातात्त्विक संरक्षित स्थल है। जब इस बावली का निर्माण हुआ होगा तब यह कनॉट प्लेस और दिल्ली बहुत शांत रहा होगा। पर, आज दिल्ली की भागमभाग और शोरशराबे के बीच यह ‘अग्रसेन की बावली अपने भीतर उस नितांत शांति और बनावट को समेटे हुए प्रतीत होती है।
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इस अग्रसेन की बावली में नीचे की तरफ सीढ़ीनुमा टाइप कुआं बना हुआ है। कहा जाता है कि इस कुएं में करीब 105 सीढ़ियाँ बनी हुई हैं। बताया जाता है कि आज से सैंकड़ों साल पहले महाराजा अग्रसेन ने इस बावली का निर्माण करवाया था। सन 2012 में इस स्थान ‘अग्रसेन की बावड़ी’ के नाम पर डाक टिकट जारी किया गया। इस बावली का निर्माण लाल बलुअट पत्थर से किया गया है। इसकी शिल्पी इतनी खूबसूरत है कि इसे दिल्ली की बेस्ट बावलियों में शामिल किया गया है। इस बावली के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण महाभारत काल में हुआ था। इस बावली की कंडिशन को देखकर यही कहा जाता है कि यह दिल्ली की चुनिंदा बावलियों में से एक है।
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यह बावली जंतर-मंतर के निकट हेली रोड पर स्थित है। कहा जाता है कि कभी दिल्लीवासी यहां तैराकी करने के लिए आते थे। यह बावली बाहर से देखने में बहुत खूबसूरत दिखता है लेकिन आप इसके जितना भीतर देखने की कोशिश करेंगे, आप पूरी तरह से रोमांच और रहस्यमयी शक्तियों का अनुभव करने लगते हैं। इस बावली को देखने के लिए दिल्ली से बाहर दूर-दराज से लोग आते हैं। इस बावली की बनावट देखकर ऐसा लगेगा कि जैसे हम पुरातनकाल में वापस लौट आए हैं। यह आर्किटेक्चर का बेहतरीन नमूना है। इस बावली की बनावट 60 मीटर लंबी और 15 मीटर चौड़ी है। मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो किसी जमाने में इस बावली में पानी भर गया था। इस बावली के पानी को काला पानी कहा जाता था, जिसे देखकर लोग डर जाते थे। यह बावली अपनी बनावट और लोगों के अनसुलझे सवालों के साथ अभी भी जस का तस खड़ा है।
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इस बावली की स्थापत्यकला को देखने के बाद यही लगता है कि जैसे यह तुगलक और लोदी काल से मेल खाती है। अग्रसेन की बावली, दिल्ली के लोकप्रिय ऐतिहासिक इमारतों में से एक है। यहां फिल्मों की शूटिंग भी होती है। मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो इस बावली के बारे में रहस्यमयी और रोचक कहानियां प्रसिद्ध हैं। इस बावली के बारे में कहा जाता है कि इसके नीचे उतरते ही अजीबोगरीब अनुभूति होने लगती है। इसकी बनावट और भव्यता को देखकर दिलो-दिमाग तमाम तरह की बातें उभरने लगती हैं। दिल चाहता है कि इसकी बनावट और खूबसूरती को बस देखते ही रहें। हालांकि, अभी भी बहुत लोग ऐसे हैं जो इस ‘अग्रसेन की बावली’ से अनजान हैं।