Ranthambore: कहानी रणथंभौर की जहाँ बेटी कनकटी की विदाई के बाद बाघिन मां एरोहेड भी चल बसी
Ranthambore: बेटी की विदाई के साथ ही बाघिन मां ने भी दम तोड़ दिया । रणथंभौर की सबसे चर्चित बाघिन एरोहेड टी-84 की मौत को लेकर रणथंभौर में शोक की लहर है ।
Ranthambore: बेटी ने छोड़ा रणथंभौर बाघिन मां ने तोड़ा दम
Ranthambore: वन अधिकारियों और वन्यजीव प्रेमियों ने गुरुवार को बाघिन एरोहेड को अंतिम संस्कार से पहले भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की । कुछ दिनों पहले बाघिन एरोहेड उस समय सुर्खियों में आई थी, जब उसने एक जलाशय में मगरमच्छ का शिकार किया था । आपको बात दे की रणथंभौर जो की बाघों की अठखेलियों को लेकर प्रसिद्ध है । Ranthambore जो की प्रसिद्ध प्रदेश का सबसे बड़ा टाईगर रिजर्व है । वहां से एक बेहद दुखद खबर सामने आई है । रणथंभौर की सबसे चर्चित बाघिन एरोहेड टी-84 की मौत हो गई ।
बेटी की विदाई मां की मौत
रणथंभौर की सबसे चर्चित बाघिन एरोहेड की मौत वन्यजीव प्रेमियों को भावुक कर गई। यह खबर उस वक्त सामने आई जब बाघिन की बेटी कनकटी की रणथंभौर से विदाई हो गई । बेटी की विदाई के साथ ही बाघिन एरिहेड ने भी दम तोड़ दिया । बाघिन की मौत को लेकर Ranthambore में शोक की लहर है और वन्यजीव विशेषज्ञों सहित वन विभाग के कार्मिकों के चेहरे उदास नजर आए । बाघिन की बेटी कनकटी RBT 2507 को मुकुंदरा भेजा गया। जैसे ही बेटी ने रणथंभौर को अलविदा कहा, मां एरोहेड ने भी जीवन की डोर को तोड़ दिया । करीब साढ़े 11 वर्षीय बाघिन एरोहेड ब्रेन ट्यूमर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रही थी। शारीरिक रूप से भी वह बहुत कमजोर हो चुकी थी। हालांकि बीमारी के बावजूद भी कुछ समय भी पहले उसने एक मगरमच्छ का शिकार किया था इससे पता चलता है की उसमें अभी ताकत बाकी है, लेकिन आखिरकार वह भी जिंदगी की जंग हार गई और इस दुनिया को भी अलविदा कर दिया ।
जोन नंबर 2 मे मिला बाघिन का शव
बाघिन का शव रणथंभौर के जोन नंबर-2 में पड़ा मिला । बाघिन एरोहेड Ranthambore की सबसे चर्चित बाघिन थी । बाघिन की उम्र करीब साढ़े 11 साल थी । हालांकि बाघिन टी-84 एरोहेड ने कुछ दिन पहले ही अपनी नानी मछली के नक्शे कदम पर चलते हुए ही जोगी महल के पास पद्मला तालाब मे मगरमच्छ का शिकार किया था । कमजोर होने के चलते जैसे-तैसे वह जी रही थी लेकिन जैसे ही बेटी की विदाई Ranthambore से हुई, वैसे ही बाघिन एरोहेड की मौत की खबर भी सामने आ गई ।
10 शावक बच्चों को जन्म दे चुकी एरोहेड
बाघिन एरोहेड रणथंभौर के मुख्य जोन नम्बर 2, 3, 4 और 5 में विचरण करती थी । विशेष रूप से नाल घाटी व राजबाग झील के आसपास यह बाघिन रहती थी। यह बाघिन Ranthambore की सुप्रसिद्ध बाघिन मछली की वंशबेल से ताल्लुक रखती थी। बाघिन एरोहेड कुल 4 बार मां बनी थी । बाघिन एरोहेड 10 शावक बच्चों को जन्म दे चुकी थी । साल 2018 में बाघिन ने पहली बार 2 शावक बच्चों को जन्म दिया था । लेकिन वह जीवित नहीं रह पाएं । उसके बाद साल 2019 मे उसने फिर 2 मादा शावक बच्चों को जन्म दिया । उसके बाद 2021 मे उसने 3 शावक बच्चों को जन्म दिया । जो की कुछ पहले ही मारे गए और गायब हो गए । उसके बाद बाघिन एरोहेड एक बार फिर मां बनी और RBT-2507 कनकटी, RBT-2508 और RBT-2509 को जन्म दिया। हालांकि तीनों शावक बच्चों के द्वारा विगत रणथंभौर आतंक मचाया गया और देखते ही देखते वे तीनों शावक बच्चे Ranthambore में दहशत का पर्याय बन गए। हाल के ही दिनों मे रणथंभौर में इन्ही शावकों ने 3 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था । वन विभाग ने तीनों शवको को Ranthambore से बाहर भेज दिया । नर शावक 2509 को कैलादेवी अभ्यारण, 2508 को रामगढ़ विषधारी अभ्यारण और आज ही मादा शावक कनकटी 2507 को कोटा के मुकुंदरा टाईगर रिजर्व भेजा गया था।
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पर्यटकों के लिए बाघिन एरोहेड एक बड़ा आकर्षण थी
Ranthambore आने वाले हजारों पर्यटकों के लिए बाघिन एरोहेड एक बड़ा आकर्षण थी। वह मुख्य रूप से जोन 2, 3, 4 और 5 में देखी जाती थी। उसकी उपस्थिति ने रणथंभौर को वाइल्डलाइफ टूरिज्म के नक्शे पर विशेष पहचान दिलाई थी।
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