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Martyrdom of Guru Arjan Dev: श्री गुरु अर्जुन देव जी के शहीद दिवस पर जाने किस शहर से रहा है गुरु का खास नाता

क्यों शांति पुंज के नाम से जाना जाता है श्री गुरु अर्जुन देव जी को


Martyrdom of Guru Arjan Dev: श्री गुरु अर्जुन, सिख धर्म के पांचवे गुरु थे श्री गुरु अर्जुन देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1563 को सिखों के चौथे गुरु श्री गुरु रामदास जी के घर पर हुआ था। श्री गुरु अर्जुन देव जी को शांति के पुंज के नाम से भी जाना जाता है। श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के रचयिता श्री गुरु अर्जुन देव जी ने सिखों के प्रचार लिए तरनतारन नगर बसाया था। साथ ही गुरु अर्जुन देव जी ने यहां पर श्री दरबार साहिब का निर्माण करवाया जहां पर उनका शहीदी दिवस संगतों द्वारा मनाया जाता है।
गुरु अर्जुन देव जी के शहीदी दिवस के मौके पर विश्व प्रसिद्ध आध्यात्मिक स्थल, श्री हरिमंदिर साहिब में ठंडे मीठे जल की छबील लगाई गई। सभी श्रद्धालुओं ने इस पवित्र सरोवर में स्नान किया और सभी ने गुरु घर का आशीर्वाद प्राप्त किया। इसके अलावा इस मौके पर राज्यभर मेंं विभिन्न स्थानों पर ठंडे मीठे जल की छबील गई। श्री गुरु अर्जुन देव जी की माता बीबी भानी जी का नाम भी सिख इतिहास में सम्मान के साथ लिया जाता है। श्री गुरु अर्जुन देव जी का विवाह माता गंगा जी के साथ हुआ था। गुरु अर्जुन देव जी का एक बेटा हुआ था, जिन्हे सिखों के छठे गुरु श्री गुरु हरगोबिंद जी के नाम से जाना जाता है। श्री गुरु हरगोबिंद जी ने सिखों के प्रचार लिए और जरुरत को महसूस करते हुए दिल्ली से लाहौर वाली सड़क पर नगर बसाने लिए गांव पलासोर, मुरादपुरा, कोट काजी व खानेवाल की ढाब पर रुके। यहां का वातावरण गुरु जी को पसंद आया।

कितने में खरीदी थी गुरु अर्जुन देव जी ने कोट काजी, पलासोर की ढाब वाली जमीन

1 लाख 57 हजार रुपये में श्री गुरु अर्जुन देव जी ने कोट काजी, पलासोर की ढाब वाली जमीन खरीद कर यहां पर पावन सरोवर का निर्माण करवाया। गुरु जी ने बाबा बुडढा साहिब जी से अरदास करवा कर तरनतारन नगर की नींव 1590 ई. में रखवाई। गुरुजी ने तरनतारन नगर बसाते वर दिया कि यह नगरी खुद तरेगी और दूसरों को तारेगी जिसके चलते इस नगर को तरनतारन के नाम से जाना जाता है।

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