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नेशनल मेडिकल कमीशन बिल – एनएमसी बिल (NMC) क्या हैं?

विस्तार मे समझेंगे कमीशन बिल 


डॉक्टरों की कमी के इशू से निपटने के लिए एनएमसी बिल (NMC) पास हो गया है। अब भारत देश के गांवों में डॉक्टरों की कमी नहीं होगी और इसकी वजह से हज़ारों मौते होने को भी रोका जा सकता हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में बुखार, डायरिया, पेट दर्द, संक्रमण,मलेरिया, डेंगू, टाइफाइड जैसी बीमारियां से जो  मौतें होती थी अब उस दिशा में एनएमसी बिल (NMC) हैं।  अब गांववासियों को डॉक्टर और मेडिकल सुविधाओं का अभाव नहीं रहेगा।
30 जुलाई 2019 को लोकसभा ने ‘राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग विधेयक-2019′ (National Medical Commission Bill 2019) को पास आकर दिया हैं और  एनएमसी बिल के अंतर्गत कम्युनिटी हेल्थ प्रोवाइडर्स यानी सीएचपी (CHP) को लाइसेंस देने को मंजूरी मिल गयी हैं।

नेशनल मेडिकल कमीशन बिल – एनएमसी बिल (NMC ) क्या हैं ? 

एनएमसी बिल एक ऐसा बिल है जिसके अंतर्गत सीएचपी (CHP) को प्राथमिक स्वास्थ्य की दिशा में आधुनिक इलाज की प्रैक्टिस करने का हक मिल जायेगा।  हालाँकि ये हक़ अभी तक सिर्फ एमबीबीएस (MBBS) डॉक्टर्स के पास था।
एनएमसी विधेयक में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि एनएमसी बिल का बोर्ड नैतिकता के मुद्दों पर “राज्य चिकित्सा परिषदों द्वारा की गई कार्रवाइयों के संबंध में अपील क्षेत्राधिकार का प्रयोग करेंगे। एमसीआई के फैसले राज्य चिकित्सा परिषदों पर बाध्यकारी नहीं होंगे और एमसीआई के पास एक डॉक्टर को निलंबित करने का फैसला अपने अधिकारों के तहत होगा।

एनएमसी विधेयक की धारा 32(1), (2) और (3) के अंतर्गत गैर चिकित्सकीय लोगों या सामुदायिक स्वास्थ्य प्रदाताओं को लाइसेंस दिया जायेगा जिससे वो एक डॉक्टर की तरह सभी प्रकार की दवाइयां लिखने और इलाज करने के लिए लाइसेंस प्राप्त होंगे।
6 महीने का एक ब्रिज कोर्स करने के बाद देश के आयुर्वेद और यूनानी डॉक्टर एक एमबीएस डॉक्टर की तरह ही एलोपैथी दवाएं मरीज़ों को सुझाव कर सकते है।  एलोपैथी दवाएं लिखने का अधिकार अभी तक एक एमबीबीएस डॉक्टर के पास था जो अब बदल गया हैं।

एनएमसी बिल के अंतर्गत प्रैक्टिस करने से पहले और स्नातकोत्तर चिकित्सकीय पाठ्यक्रमों में दाखिले से पहले सिर्फ मेडिकल डिग्री चाहिए होती थी लेकिन अब ‘नेक्स्ट” की परीक्षा उत्तीर्ण करन अनिवार्य हो जायेगा।

एनएमसी बिल (NMC )से अब  केंद्र सरकार के पास राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग के सुझावों के विरुद्ध फैसला लेने की शक्ति होगी।
प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की सीटों को लेकर एनएमसी बिल ने एक प्रावधान रखा हैं। अब सभी प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की 40 फीसदी सीटों की फीस इस बिल के अंतर्गत होगा हालाँकि बची हुई 60 फीसदी सीटों की फीस तय कॉलेज करेगा।

मेडिकल संस्थानों में एडमिशन के लिए अब छात्रों को सिर्फ एक परीक्षा NEET (नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेस टेस्ट) देनी होगी।

मेडिकल शिक्षा, मेडिकल संस्थानों और डॉक्टरों के रजिस्ट्रेशन से जुड़े सभी काम आज तक मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) करता था लेकिन अब बिल पास होने के बाद मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) की जगह नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) ले लेगा।

किन देशों में मेडिकल सेवाएं है बेहतर 

हालाँकि गांवों तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने का यह तरीका भारत देश में नया है लेकिन कुछ अन्य देशों ने ऐसा तरीका पहले से ही अपना रखा हैं। कुछ देशों जैसे चीन में 1960 के दशक में और क्यूबा में ‘क्रांतिकारी डॉक्टर’ के नाम से यह तरीका प्रचलित हैं। साथ ही फिलीपींस और थाईलैंड में ग्रामीण स्तर पर ट्रेंड स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और स्थानीय सामुदायिक डॉक्टरों की सेवाएं को दिए जाने का प्रावधान हैं।

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