काम की बात

बाहुबली से समाजसेवी तक के सफर में क्या पप्पू यादव की कैंची की धार ले पाएगी कुर्सी का स्थान

लगातार सरकार की नीतियों के खिलाफ खुलकर बोलते है पप्पू यादव


बिहार चुनाव के दिन जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं. हर पार्टी अपने आप को सर्वश्रेष्ठ दिखानी की कोशिश में जुटी हुई है. एक तरफ नीतीश कुमार अपने 15 साल का हिसाब बता रहें हैं, तो दूसरी तरफ राजद 10 करोड़ लोगों को नौकरी देने का दावा कर रही है. इन सबके बीच एक ऐसा नाम भी है जिसने बिहार के लगभग हर मुद्दे पर मुखर होकर अपनी बात रखी है. उनका नाम है  राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव. जिनका नाम सुनते ही दिमाग में बाहुबली की छवि आ जाती है. लेकिन बाहुबली से समाज सेवक बनने तक हमेशा भारतीय राजनीति में रहे हैं. कभी लालू यादव के चाहते रहे पप्पू यादव आज उनकी है पार्टी के खिलाफ लड़ा रहे हैं. 

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अहम बिंदु

  • जाप का गठन
  • बिहार चुनाव में घोषणा
  • राजनीतिक सफर

जाप का गठन

जन अधिकार पार्टी की स्थापना 9 मई 2015 को बिहार विधानसभा से ठीक पहले की गई थी. इससे पहले वह राष्ट्रीय जनता दल से बाहर कर दिया गया था. राजद से बाहर किए जाने का मुख्य कारण पार्टी विरोधी बयानबाजी थी. लेकिन पप्पू यादव ने अपने पक्ष रखते हुए कहा कि लालू जी मुझे अपनी विरासत पर खतरा समझ रहे हैं इसलिए उन्होंने मुझे पार्टी से बाहर निकाल दिया. खैर 2015 में पहली बार मैदान में उतरती हुए पप्पू यादव की पार्टी ने बहुत ज्यादा कुछ नहीं कर पाई लेकिन 2 प्रतिशत के साथ विधानसभा चुनाव में अपनी उपस्थिति जरुर दर्जा करा पाई.

इस बार के चुनाव में भी जन अधिकार पार्टी कैंची छाप के साथ सारी  पार्टियों के वोट कटाने को तैयार है. जाप के पांच पार्टियों के साथ गठबंधन कर प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिव आलइन्स का निर्माण किया है. इस गठबंधन की घोषणा तब हुई जब उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा ने औवेसी की पार्टी के साथ जाने से मना कर दिया.  अब जन अधिकार पार्टी के साथ आजाद समाज, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया, बहुजन मुक्ति पार्टी और मुस्लिम आरक्षण मोर्च पार्टी है. प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिव आलइन्स ने अपने मुख्यमंत्री के तौर पर पप्पू यादव को मैदान में उतारा है. 

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बिहार चुनाव पर घोषणा  

कोरोना के बाद से ही पप्पू यादव लगातार बिहार की जनता की सेवा करते नजर आ रहे हैं. कभी बाढ़ में ट्रैक्टर चलाकर लोगों तक पहुंच रहे हैं तो कभी कोरोना के विस्पथापन के दौरान लोगों को उनके घर पहुंचाने में मदद करके. इस बारे के चुनावी घोषणा पत्र में भी यही सब जिक्र किया गया है. शिक्षा, स्वास्थ्य और समाजिक न्याय की लड़ाई को रखा गया  है. इन चीजों को पूरा करने के लिए 3 साल का समय मांगा है. पप्पू यादव लगातार अपनी सभाओं में जेडीयू और राजद का जिक्र करते हैं और कहते है उनको आपने 30 साल का समय दिया अब हमें 3 साल का समय दें. बिहार को पूरा बदल देगें. इन सब वायदों के साथ ही बिहार का चुनावी बुखार और तेज होता जा रहा है. चुनाव आयोग के दिशा निर्देश के  बाद भी लगातार  चुनावी रैलियों  में लोग आम दिनों के तरह ही जुटे हुए हैं.  

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निर्दलीय से सबसे बेस्ट परमॉमिंग तक का सफर

बिहार के कोसी क्षेत्र के जमींदार परिवार में जन्मे पप्पू यादव पहली बार 1991 के लोकसभा चुनाव  में मधेपुरा से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लोकसभा पहुंचे. इसके बाद लगातार 1996, 1999, 2014 में क्रमशः निर्दलीय, लोक जनशक्ति पर्टी और राजद से पार्टियों से सांसद रहें.  इसके बाद साल 2009 के लोकसभा चुनाव में पटना हाई कोर्ट ने इनके चुनाव लड़ने की अपील को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि वह एक हत्या में दोषी है.  इसके बाद  लगातार राजद पार्टी के खिलाफ बोलने के मामले में पार्टी से निकाल दिए गए और साल 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव से पहले जन अधिकार पार्टी का गठन किया. 

इस वक्त पप्पू यादव भारतीय राजनीति में पूरी तरह से सक्रिय है. वह लगातार सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेशों और नीतियों पर खुलकर बोलते हैं. पिछले साल सीएए- एनआरसी के मामले में भी सरकार के साथ अपनी नाराजगी को जाहिर करते रहे हैं.  सीएए एनसीआर पर उन्होंने कहा था कि जो देश को  बांटने की राह पर चल रहे हैं उसे देशभक्त कहा जा रहा है. स्टूडेंस के सपोर्ट में भी मुखर रुप से आगे हैं. इसी साल 5 जनवरी को जेएनयू की घटना पर पप्पू यादव के सभी विपक्षी लोगों को अपने निशाने पर लिया और कहा कि इन लोगों को जन्मदिन पर बधाई देने के लिए समय होता है लेकिन जब जेएनयू पर हमला हो रहा था उस पर इनके पास ट्विट करने का भी समय नही था. देश डर के वातावरण में है लेकिन विपक्ष घर में सो रहा है. इसे जनता बर्दाश्त नहीं करेगी. 

वहीं हाल में लाए गए कृषि बिल पर खुलकर अपनी बात रखी है. पप्पू यादव ने कहा यह किसानों की कमर तोड़ने वाला विधेयक है. यह कानून खेती को अमीरों को हाथों गिरवी रखने वाला कानून है. उन्होंने कहा किसानों के लिए ऐसा कानून बने जिससे उनका अनाज एमएसपी से कम पर न बिके. साथ ही कहा कि अगर बिहार में उनकी सरकार बनती है तो सरकार किसानों से शत् प्रतिशत अनाज खरीदना सुनिश्चित करेगी.

कोरोना के दौर में भी पप्पू यादव ने लोगों की हर संभव मदद की है. जनता के सबसे बड़े दुख के समय उनके साथ खड़े रहें. लोगों को खाना पहुंचाने से लेकर घर तक पहुंचाया. एक इंटर्व्य के दौरान बताया कि उन्होंने यह सारा खर्चा खुद ही किया है सरकार द्वारा कोई भी मदद नहीं ली है. 

अब देखना यह है कि बिहार चुनाव में लोगों को इनकी मदद कितना लुभा पाती है.

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