भारत को मिली कोरोना की एक और वैक्सीन ‘जायकोव-डी’, जो है बच्चों के लिए बेहद कारगर, जाने इसके बारे में सब कुछ
12 साल से ज्यादा उम्र के सभी लोग लगा सकते है ‘जायकोव-डी’
पिछले साल से फैला कोरोना वायरस आज भी रुकने का नाम नहीं ले रहा है हालांकि अभी हमारे पास इससे लड़ने के लिए वैक्सीन अवेलेबल है। आज हम आपको बताने जा रहे है कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भारत को एक और वैक्सीन मिल गई है वो है जायडस कैडिला की जाइकोव-डी। इतना ही साथ ही साथ आपको ये भी बता दें कि डीसीजीआई यानि ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने इसके इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है। आपको बता दें कि इस वैक्सीन की खास बात ये है कि ये वैक्सीन बच्चों को भी लगाई जा सकती है। इस वैक्सीन का इस्तेमाल 12 साल से ज्यादा उम्र के सभी लोग कर सकते है। डीबीटी ने बताया कि जायकोव-डी डीएनए बेस्ड एंटी कोरोना वायरस दुनिया का पहला टीका है बता दें कि जायडस कैडिला की वैक्सीन के तीन डोज लगाए जाएंगे। तो चलिए जानते है वैक्सीन के बारे में सब कुछ।
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जाने कौन लगवा सकता है ये वैक्सीन और इसकी कितनी डोज लगेगी
आपको बता दें कि 12 साल से ज्यादा उम्र के सभी लोग इस वैक्सीन का इस्तेमाल कर सकते है। यानी की ये वैक्सीन बच्चों को भी लगाई जा सकती है। दुनिया में इस समय दो और वैक्सीन फाइजर और मॉडर्ना बच्चों को या फिर कहें 12 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को लगाई जा रही है। आपको बता दें कि इससे पहले भारत में सिर्फ 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए वैक्सीन थी। बता दें इस समय भारत में वैक्सीन की दो डोज ही लगानी जा रही है, लेकिन बता दें कि जायकोव-डी वैक्सीन की तीन डोज दी जाएगी। पहले और दूसरे वैक्सीन के बीच 28 दिनों का गैप रखा जाएगा, जबकि तीसरा डोज में 56वें दिन का गैप दिया जाएगा।
जाने क्या ये बिना सुई वाली वैक्सीन है?
आपको बता दें कि जायडस कैडिला के अनुसार ये वैक्सीन किसी सुई से नहीं लगाई जाएगी। और इस वैक्सीन की प्रक्रिया के दौरान कोई दर्द भी नहीं होता है। प्लाच्मिड डीएनए- आधारित जाइकोव-डी नीडल-फ्री इंजेक्टर का उपयोग करके दी जाती है। आपको बता दें कि इस जेट इंजेक्टर का इस्तेमाल सबसे अधिक अमेरिका में ही होता है। इतना ही नहीं आपको बता दें कि यह वैक्सीन लगवाते समय 90 डिग्री के एंगल पर रखकर और सीधा रखकर लगाई जाती है। और यह वैक्सीन कंप्रेस्ड गैस और स्प्रिंग का इस्तेमाल करके लगाई जाती है। जेट इंजेक्टर से लगाने पर दर्द कम होता है।
जाने कैसे है ये वैक्सीन दूसरी वैक्सीन से अलग
अगर हम बात करें कि जायकोव-डी कैसे दूसरी कोरोना वैक्सीन से अलग है तो आपको बता दें कि जायकोव-डी दुनिया की पहली डीएनए बेस्ड वैक्सीन है। जबकि बाकी सभी वैक्सीन एम-आरएनए आधारित हैं। और दोनों तरह की वैक्सीन का लक्ष्य एक ही होता है। वह है वायरस से सुरक्षा देना। लेकिन सभी का काम करने का तरीका थोड़ा अलग अलग होता है।
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