काम की बात

National Family Health Survey से सामने आया चौकाने वाला डेटा!

National Family Health Survey 2022: भारत में आज भी पीरियड्स के दौरान सिर्फ इतनी प्रतिशत महिलाएं ही इस्तेमाल करती है सेनेटरी पैड्स, बाकी करती हैं कपड़े का इस्तेमाल


Highlights:

  • जाने एनएफएचएस की रिपोर्ट महिलाओं के पीरियड्स को लेकर क्या कहती है
  • भारत में आज भी 50 प्रतिशत महिलाएं अपने पीरियड्स के दौरान इस्तेमाल करती है कपड़ा
  • जाने पीरियड्स के दौरान कितना बढ़ जाता है संक्रमण का खतरा
  • जाने एनएफएचएस के अनुसार शिक्षा का क्या असर पड़ता है इस पर
  • जाने महिलाओं को सेनेटरी पैड्स के लिए पैसे मांगने में क्यों आती है शर्म

National Family Health Survey 2022: अभी हाल ही में आई राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की एक रिपोर्ट के अनुसार आज भी हमारे देश में 50 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं अपने पीरियड्स के दिनों में सेनेटरी पैड्स की जगह कपड़े का इस्तेमाल सकती है। इसका मुख्य कारण लोगों में सेनेटरी पैड्स को लेकर जागरूकता की कमी है। एनएफएचएस की रिपोर्ट के अनुसार विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि अगर महिलाएं अपने पीरियड्स के दौरान अशुद्ध कपड़े का इस्तेमाल करती है तो इससे उनको स्थानीय संक्रमणों का खतरा बढ़ सकता है। रिपोर्ट बताती है कि देश में आज भी 15 से लेकर 24 साल की महिलाओं में से 50 प्रतिशत महिलाएं आज भी सेनेटरी पैड्स का इस्तेमाल नहीं करती है।

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जबकि 64 प्रतिशत महिलाएं सेनेटरी पैड्स का इस्तेमाल करती है। वहीं 15 प्रतिशत महिलाएं स्थानीय तौर से तैयार किए गए नैपकिन का उपयोग करती हैं। तो चलिए विस्तार से जानते है कि क्या कहती है एनएफएचएस की रिपोर्ट।

जाने पीरियड्स के दौरान कितना बढ़ जाता है संक्रमण का खतरा?

भारत में आज भी 50 प्रतिशत महिलाएं अपने पीरियड्स के दौरान इस्तेमाल करती है कपड़ा। कई अध्ययनों से पता चला है कि बैक्टीरियल वेजिनोसिस या फिर यूटीआई के कारण महिलाओं में पेल्विस संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है। जिसके बाद ये संक्रमण पेल्विस तक पहुंच सकता है। जिसके कारण कई बार महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान कई तरह की समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है। इतना ही नहीं इसके कारण कई बार तो महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर का जोखिम भी बढ़ जाता है।

जाने एनएफएचएस के अनुसार शिक्षा का क्या असर पड़ता है इस पर

एनएफएचएस की रिपोर्टके अनुसार जिन महिलाओं की स्कूली शिक्षा बारहवीं कक्षा तक या फिर उससे ज्यादा होती है उनकी तुलना में बिना स्कूली शिक्षा प्राप्त महिलाओं में सेनेटरी पैड्स के उपयोग करने की संभावना दोगुनी होती है। इसके साथ ही बता दें कि शहरी महिलाओं की तुलना में ग्रामीण महिलाएं पीरियड्स प्रोटेक्शन यानी कि सेनेटरी पैड्स का इस्तेमाल कम करती है। रिपोर्ट के अनुसार 90 प्रतिशत शहरी महिलाएं और 73 प्रतिशत ग्रामीण महिलाएं पीरियड्स प्रोटेक्शन के लिए स्वच्छ विधि अपनाती हैं।

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जाने महिलाओं को सेनेटरी पैड्स के लिए पैसे मांगने में क्यों आती है शर्म?

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं को सेनेटरी पैड्स के लिए पैसे मांगने में शर्म आती है। वो माता पिता जो पीरियड्स को लेकर पूरी तरह जागरूक नहीं होते है उन्हें लगता है कि पीरियड्स के दौरान सेनेटरी पैड्स पर पैसे खर्च करना बेकार होता है उन्हें लगता है कि अगर पुराने कपड़े इस्तेमाल कर के काम चल सकता है तो फालतू में पैसे क्यों खर्च करने। जो की पूरी तरह गलत है माता पिता को आपकी बेटियों के स्वास्थ्य के लिए परामर्श देने की आवश्यकता है।

इस बात की जानकारी प्राप्त करने के लिए एनएफएचएस के साल 2019-2021 के एक सर्वे ने देश के 28 राज्यों और आठ केंद्र शासित प्रदेशों के 707 जिलों में आयोजित किया गया, जिसमे उन्होंने देश के 3.37 लाख घरों को सैंपल के लिए लिया था। उसमे उन्होंने 7,24,115 महिलाओं और 1,01,839 पुरुषों को शामिल किया था।

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