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Land For Job Scam: क्या बीजेपी रखना चाह रही है लालू यादव को राजनीति से दूर

Land For Job Scam: जाने क्यों फंसे ईडी के शिकंजे में लालू यादव

Highlights:

  • ईडी ने बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के दिल्ली स्थित आवास पर की छापेमारी
  • बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के घर पर भी दो दिनों पहले ही सीबीआई का हुआ था आगमन
  • प्रियंका गांधी ने लालू प्रसाद के लिए किया था ट्वीट

Land For Job Scam -: नौकरी के बदले जमीन घोटाले में बढ़ती जा रही है पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव की मुश्किलें।

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं। आज ईडी की टीम द्वारा ‘जमीन के बदले’ नौकरी मामले में पटना और दिल्ली सहित लगभग 15 जगहों पर छापेमारी की जा रही है। सूत्रों के मुताबिक, राजद नेता और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के दिल्ली स्थित आवास सहित लालू यादव की बेटियों के घर भी छापेमारी चल रही है।

बताया जा रहा है कि इसमें राजेडी के और नेताओं के घर पर भी पटना में छापेमारी चल रही है।

हाल ही में, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के घर सीबीआई ने पूछताछ की थी। लालू यादव पर ‘नौकरी के बदले जमीन’ मामले में सीबीआई ने पूछताछ की है। हालांकि सूत्रों के अनुसार लालू यादव की इसी मार्च महीने में पेशी भी होनी थी।

अभी दो दिनों पहले ही सीबीआई की टीम ने पहले बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी से पूछताछ करने के अगले दिन लालू यादव से भी पूछताछ की थी।

बताते चलें कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव सिंगापुर से अपनी किडनी ट्रांसप्लांट करके भारत लौटे हैं। सिंगापुर में किडनी ट्रांसप्लांट कराने के बाद उनका एक विडियो सामने आया था जिसमें वह कहते हुए सुनाई दे रहे थे कि, ” आप लोगों का सब दुआ प्यार है, अच्छा फील कर रहे हैं हम! ”

लालू यादव का नाम पहले भी घोटाले में आ चुका है

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को अति चर्चित चारे घोटाले में पहले ही सजा सुनाई जा चुकी है। इसमें लालू यादव के साथ अन्य लोगों को भी दोषी बनाया गया था। लालू यादव का नाम डोरंडा कोषागार मामले में भी आया था। चारा घोटाला पहली बार 1996 में चर्चा में आया था। लालू यादव को सजा भी सुनाया जा चुका है।

क्या है कथित ‘नौकरी के बदले जमीन’ घोटाला

 बताया जाता है कि जब लालू यादव सन 2004 से 2009 के दौरान रेलमंत्री थे तब उनके कार्यकाल के दौरान उनके परिवार को तोहफे में जमीन देकर या बेचने के बदले रेलवे में कथित तौर पर नौकरी देने से संबंधित है। ऐसा आरोप बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव के खिलाफ लगा है

जदयू अध्यक्ष लल्लन सिंह के शिकायत पर यह मामला आया प्रकाश में

बताया जाता है कि जदयू के वर्तमान अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ लल्लन सिंह की शिकायत पर यह केस दर्ज हुआ था। एक नेशनल न्यूज चैनल के साथ साक्षात्कार में लल्लन सिंह ने बताया कि, इस मामले में 2008 में शिकायत पर सीबीआई ने प्रारंभिक जांच की थी, किंतु साक्ष्य के अभाव में केस को बंद कर दिया गया था। दूसरी बार फिर सीबीआई ने साक्ष्य के अभाव में केस को बंद कर दिया था। परंतु जब सीएम नीतीश कुमार महागठबंधन में शामिल हो गए तो फिर सीबीआई को अचानक कहाँ से साक्ष्य मिल गया ?

लल्लन सिंह ने आगे कहा कि इस सरकार की फितरत है जो कि अपने विरोधियों को कमजोर करने के लिए अपने तीन पालतू तोतों का उपयोग करती है।

क्या बीजेपी के लिए राजद विपक्ष के रूप में बड़ी चुनौती है

बुद्धिजीवी वर्ग में इन दिनों सीबीआई और ईडी के छापेमारी को लेकर खूब चर्चाएं हो रही हैं। बुद्धिजीवी वर्ग अलग- अलग खेमों में बंटता हुआ दिखता है। खैर यह सही भी है। लोकतंत्र में पक्ष-विपक्ष का संतुलन और बातों को सोचने-कहने की आजादी इसे और भी सशक्त बनाती है। इन्हीं बुद्धिजीवियों का एक धड़ा का सोचना है कि लालू यादव एकमात्र ऐसे नेता हैं जो बीजेपी के ऊपर खुलकर अपने विचारों को रखते हैं। लालू यादव इन दिनों स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। लोगों में चर्चा है कि बीजेपी के खिलाफ खुलकर मुखर होना और बिहार में जदयू व राजद का मजबूत होना भी कहीं न कहीं बीजेपी को अखड़ रहा है। हालांकि वहीं कुछ पत्रकारों का मानना है कि ‘जमीन के बदले नौकरी’ घोटाले में जांच तो सही है लेकिन टाइमिंग गलत लगता है। मालूम हो कि, बिहार में तेजस्वी यादव की पार्टी राजद इस समय सबसे बड़ी पार्टी है और वहां तेजस्वी यादव की लोकप्रियता भी बहुत ज्यादा है।

बिहार में बने सत्ता के नए समीकरण से केंद्र की राजनीति के साथ प्रदेश की राजनीति में बीजेपी के धरातल पर असर पड़ सकता है। इसके पहले 2015 में, जदयू, राजद और कांग्रेस का गठबंधन हुआ था और वहां महागठबंधन की ही सरकार बनी थी। यह गठबंधन 2017 तक चला था। उसके बाद राजनीतिक दोषारोपण से 2017 में यह गठबंधन टूट गया। फिर नीतीश कुमार बीजेपी खेमे के साथ सरकार बना लिए। अब नीतीश कुमार राजद गठबंधन में वापसी करते हुए सरकार में मुख्यमंत्री हैं।

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यहां यह भी बताना जरुरी है कि बिहार जातीय जनगणना का विगुल ने भी राजनीति को गर्म कर दिया है। बताया जाता है कि पहले चरण की जनगणना हो चुकी है। लोकसभा की सीटों की दृष्टि से बिहार में 40 सीटे हैं और जदयू व राजद महागठबंधन लोकसभा चुनाव में बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं।

विधान सभा में राजद आज भी 79 सीटों के साथ बिहार में सबसे बड़ी पार्टी है जबकि बीजेपी के खाते में 77 व जदयू के खाते में 45 और कांग्रेस के पास 19 सीटे हैं।

वरिष्ठ पत्रकार अशोक वानखेड़े ने बता दिया पर्दे के पीछे की कहानी

वरिष्ठ पत्रकार अशोक वानखेड़े का मानना है कि नीतीश कुमार ओबीसी के बड़े नेता हैं और उनकी हिंदी बेल्ट में पकड़ भी अच्छा है। विपक्ष के सबसे दमदार नेताओं में नीतीश कुमार का नाम सबसे पहले आता हैं जो कि पीएम मोदी की तरह परिवारवाद की राजनीति से दूर रहते हैं। अशोक वानखेड़े आगे कहते हैं कि सीएम नीतीश कुमार की लोकप्रियता और राजद नेता तेजस्वी यादव से मजबूत गठजोड़ में नीतीश कुमार पर दबाव बनाने का प्रयास हो सकता है।

प्रियंका गांधी ने भी इस मामले पर किया था ट्वीट

पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव के घर हुई सीबीआई की पूछताछ पर कांग्रेसी नेता प्रियंका गांधी ने भी ट्वीट किया था। प्रियंका गांधी ने किया था कि ” जो विपक्षी नेता भाजपा के सामने झुकने को तैयार नहीं हैं, उन्हें ED-CBI के जरिये प्रताड़ित किया जा रहा है।

आज राबड़ी देवी जी को परेशान किया जा रहा है। लालू यादव जी व उनके परिवार को वर्षों से प्रताड़ित किया जा रहा है, क्योंकि वे झुके नहीं।भाजपा विपक्ष की आवाज दबाना चाहती है।”

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