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Jane Addams’s Birthday: हुल हाउस से नोबेल शांति पुरस्कार तक, जेन ऐडम्स का प्रेरक सफर

Jane Addams’s Birthday, हर साल 6 सितंबर को अमेरिका की महान समाज सुधारक और शांति दूत जेन ऐडम्स (Jane Addams) का जन्मदिन मनाया जाता है।

Jane Addams’s Birthday : जेन ऐडम्स का जीवन परिचय, निस्वार्थ सेवा और समर्पण की अद्भुत गाथा

Jane Addams’s Birthday, हर साल 6 सितंबर को अमेरिका की महान समाज सुधारक और शांति दूत जेन ऐडम्स (Jane Addams) का जन्मदिन मनाया जाता है। जेन ऐडम्स का जीवन मानवीय सेवा, समाज सुधार, समानता और शांति के लिए संघर्ष का प्रतीक रहा है। वह न सिर्फ अमेरिका बल्कि पूरी दुनिया की महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बनीं। आज उनके जन्मदिन के अवसर पर हम उनके जीवन, योगदान और विरासत पर नजर डालते हैं।

जेन ऐडम्स का प्रारंभिक जीवन

जेन ऐडम्स का जन्म 6 सितंबर 1860 को सीडरविल, इलिनॉय (अमेरिका) में हुआ था। उनका परिवार सम्पन्न था और उनके पिता जॉन ह्यू एडम्स एक सम्मानित नेता और अब्राहम लिंकन के घनिष्ठ मित्र थे। बचपन से ही जेन को सामाजिक न्याय और समानता की सीख मिली। हालांकि उनकी मां का निधन तब हो गया था जब जेन केवल दो साल की थीं, लेकिन उनके पिता ने उन्हें साहस और ईमानदारी का मार्ग दिखाया। जेन बचपन से ही पढ़ाई में तेज थीं। उन्होंने रॉकफोर्ड फीमेल सेमिनरी से स्नातक की पढ़ाई पूरी की और फिर समाज सुधार के रास्ते पर आगे बढ़ने का निर्णय लिया।

समाज सुधार की शुरुआत

जेन ऐडम्स यूरोप की यात्रा पर गईं और वहां उन्होंने इंग्लैंड के “टॉयन्बी हॉल” से प्रेरणा ली। इस अनुभव ने उनके भीतर गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा करने की भावना को और मजबूत किया। 1889 में उन्होंने अपनी साथी एलेन गेट्स स्टार के साथ मिलकर हुल हाउस (Hull House) की स्थापना की। यह शिकागो में एक “सेटलमेंट हाउस” था, जो जरूरतमंदों के लिए आश्रय, शिक्षा, रोजगार प्रशिक्षण और स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करता था। हुल हाउस ने अमेरिका में सामाजिक सुधार की नींव रखी और हजारों लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में मदद की।

महिलाओं के अधिकारों की पक्षधर

जेन ऐडम्स ने अपने जीवन में महिलाओं के अधिकारों के लिए भी कई आंदोलन चलाए। उन्होंने महिलाओं को शिक्षा और रोजगार के अवसर दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह महिला मताधिकार आंदोलन (Women’s Suffrage Movement) की सक्रिय सदस्य रहीं और मानती थीं कि समाज में महिलाओं की समान भागीदारी से ही प्रगति संभव है।

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शांति के लिए संघर्ष

जेन ऐडम्स को शांति दूत भी कहा जाता है। उन्होंने प्रथम विश्व युद्ध के समय युद्ध का विरोध किया और शांति स्थापित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काम किया। वह 1915 में महिला अंतर्राष्ट्रीय शांति और स्वतंत्रता संघ (Women’s International League for Peace and Freedom) की संस्थापक अध्यक्ष बनीं। उनके इन प्रयासों के लिए उन्हें 1931 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वह यह पुरस्कार पाने वाली पहली अमेरिकी महिला बनीं।

लेखन और विचार

जेन ऐडम्स सिर्फ एक समाजसेविका ही नहीं, बल्कि एक लेखिका भी थीं। उन्होंने कई किताबें लिखीं, जिनमें Democracy and Social Ethics और Twenty Years at Hull House विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। इन पुस्तकों में उन्होंने समाज सुधार, समानता और न्याय के सिद्धांतों पर प्रकाश डाला।

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जेन ऐडम्स की विरासत

जेन ऐडम्स ने अपने जीवन के जरिए यह साबित किया कि सच्ची महानता दूसरों की सेवा करने में है। उन्होंने गरीबों, श्रमिकों, महिलाओं और बच्चों की समस्याओं को अपनी आवाज दी। उनकी कोशिशों से अमेरिका में सामाजिक सेवा का एक मजबूत आधार तैयार हुआ। आज भी हुल हाउस और उनके द्वारा शुरू किए गए अनेक सुधार कार्यक्रम दुनिया के कई हिस्सों में सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणा बने हुए हैं। जेन ऐडम्स का जीवन मानवीय सेवा, निस्वार्थ समर्पण और शांति की राह का प्रतीक है। उन्होंने अपने जीवन में यह संदेश दिया कि समाज की असली प्रगति तभी संभव है जब हर वर्ग को समान अधिकार और अवसर मिले। उनका जन्मदिन हमें यह याद दिलाता है कि हम भी अपनी क्षमताओं का इस्तेमाल समाज की भलाई और जरूरतमंदों की सेवा में करें। जेन ऐडम्स की यह विरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए हमेशा मार्गदर्शक बनी रहेगी।

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