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World Homoeopathy Day: विश्व होम्योपैथी दिवस 2025, सादगी में छिपा स्वास्थ्य का रहस्य

World Homoeopathy Day: हर वर्ष 10 अप्रैल को विश्व होम्योपैथी दिवस (World Homoeopathy Day) मनाया जाता है। यह दिन होम्योपैथी चिकित्सा प्रणाली के जनक डॉ. क्रिश्चियन फ्रेडरिक सैम्युअल हैनीमैन की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।

World Homoeopathy Day: स्वस्थ जीवनशैली की कुंजी, होम्योपैथी और उसका महत्व

World Homoeopathy Day: हर वर्ष 10 अप्रैल को विश्व होम्योपैथी दिवस (World Homoeopathy Day) मनाया जाता है। यह दिन होम्योपैथी चिकित्सा प्रणाली के जनक डॉ. क्रिश्चियन फ्रेडरिक सैम्युअल हैनीमैन की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। डॉ. हैनीमैन का जन्म 10 अप्रैल 1755 को जर्मनी में हुआ था। उन्होंने एक ऐसी चिकित्सा पद्धति की खोज की जो प्राकृतिक, सुरक्षित और बिना किसी साइड इफेक्ट के रोगों का इलाज कर सके।

होम्योपैथी क्या है?

होम्योपैथी एक वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली है, जिसका सिद्धांत है – “Similia Similibus Curentur” अर्थात “Like cures like” यानी “समान चीज़ समान का इलाज करती है”। इसका मतलब है कि जिस पदार्थ से किसी स्वस्थ व्यक्ति में कोई लक्षण उत्पन्न होते हैं, वही पदार्थ बहुत ही कम मात्रा में रोगी को देकर उस बीमारी का इलाज किया जा सकता है। होम्योपैथिक दवाएं प्राकृतिक स्रोतों जैसे पौधे, खनिज, और पशु उत्पादों से बनाई जाती हैं।

विश्व होम्योपैथी दिवस का उद्देश्य

इस दिन का मुख्य उद्देश्य लोगों को होम्योपैथी के महत्व, इसकी प्रभावशीलता और वैज्ञानिकता के बारे में जागरूक करना है। इसके अलावा, यह दिन स्वास्थ्य कर्मियों, चिकित्सकों और शोधकर्ताओं को सम्मान देने का भी अवसर होता है, जो इस चिकित्सा पद्धति को आगे बढ़ा रहे हैं। भारत सहित कई देशों में इस दिन सेमिनार, वर्कशॉप, और चिकित्सा शिविरों का आयोजन किया जाता है।

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होम्योपैथी की खूबियाँ

1. साइड इफेक्ट नहीं होते – इसकी दवाएं बेहद पतली मात्रा में दी जाती हैं, जिससे कोई नुकसान नहीं होता।

2. बच्चों और बुजुर्गों के लिए सुरक्षित – यह हर आयु वर्ग के लिए उपयुक्त है।

3. दीर्घकालिक बीमारियों में असरदार – जैसे अस्थमा, माइग्रेन, गठिया, स्किन प्रॉब्लम आदि में कारगर।

4. पूरे शरीर को संतुलित करती है – यह शरीर और मन दोनों पर सकारात्मक प्रभाव डालती है।

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