Shibu Soren: पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का निधन, हेमंत सोरेन बोले- ‘आज मैं शून्य हो गया…’
Shibu Soren, झारखंड की राजनीति के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का निधन हो गया है।
Shibu Soren : शिबू सोरेन का निधन, संघर्ष, साहस और सेवा की कहानी हुई खत्म
Shibu Soren, झारखंड की राजनीति के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का निधन हो गया है। उनके निधन से न केवल झारखंड बल्कि पूरे देश की राजनीतिक और सामाजिक चेतना को गहरा आघात पहुंचा है। उन्हें उनके समर्थक और पार्टी कार्यकर्ता स्नेहपूर्वक “गुरुजी” कहकर पुकारते थे।
हेमंत सोरेन का भावुक संदेश: “आज मैं खाली हाथ हूँ…”
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर एक भावुक संदेश जारी कर अपने पिता के निधन की जानकारी दी। उन्होंने लिखा, “आज मैं खाली हाथ हूँ। गुरुजी ने न केवल झारखंड में, बल्कि पूरे देश में सामाजिक न्याय के लिए अनगिनत लड़ाइयाँ लड़ीं। उनकी कमी हमेशा खलेगी।” हेमंत सोरेन की इस प्रतिक्रिया ने यह साफ कर दिया कि यह केवल पारिवारिक क्षति नहीं, बल्कि राज्य की आत्मा को गहरी चोट पहुंचाने वाला क्षण है।
नेता से बढ़कर थे ‘गुरुजी’
शिबू सोरेन को सिर्फ एक राजनेता नहीं बल्कि एक आंदोलनकारी, आदिवासी अधिकारों के सजग प्रहरी और झारखंड आंदोलन के स्तंभ के रूप में देखा जाता है। झारखंड राज्य की स्थापना से लेकर उसकी पहचान तक, शिबू सोरेन की भूमिका अविस्मरणीय रही है। उन्होंने हमेशा आदिवासी समुदाय, किसानों और मजदूरों के हितों के लिए संघर्ष किया।
स्वास्थ्य खराब होने के कारण अस्पताल में भर्ती थे
शिबू सोरेन को जून 2025 के अंतिम सप्ताह में किडनी से संबंधित समस्याओं के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनकी हालत लगातार गंभीर बनी हुई थी। डॉक्टर्स की टीम उनकी निगरानी कर रही थी, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका।
गुरुजी की अंतिम यात्रा: पार्थिव शरीर पहुंचेगा रांची
शिबू सोरेन का पार्थिव शरीर आज शाम रांची लाया जाएगा, जहां जनता और समर्थक उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि दे सकें। कल यानी 5 अगस्त को झारखंड विधानसभा में उनका पार्थिव शरीर आम दर्शन के लिए रखा जाएगा। इसके बाद शाम को उनका अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव नेमरा (रामगढ़ जिला) में किया जाएगा। नेमरा गांव वही स्थान है, जहां 11 जनवरी 1944 को शिबू सोरेन का जन्म हुआ था। इसी गाँव से उन्होंने अपने सामाजिक और राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी।
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राजनीतिक जगत में शोक की लहर
शिबू सोरेन के निधन पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पीएम मोदी, और कई अन्य नेताओं ने गहरा शोक व्यक्त किया है। सभी ने उन्हें एक दूरदर्शी, सशक्त और संघर्षशील नेता बताया, जिनका योगदान आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।
राजकीय सम्मान और 7 दिन का शोक
झारखंड सरकार ने शिबू सोरेन के निधन पर राज्य में 7 दिनों का राजकीय शोक घोषित किया है। इस दौरान सभी सरकारी भवनों पर झंडे आधे झुके रहेंगे और किसी भी प्रकार के सार्वजनिक मनोरंजन के कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जाएंगे। यह कदम उनके सम्मान और योगदान की महत्ता को दर्शाता है।
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एक युग का अंत
शिबू सोरेन का जाना झारखंड की राजनीति के एक युग का अंत है। उनके संघर्ष, त्याग, नेतृत्व और विजन ने झारखंड को नई दिशा दी। चाहे आदिवासी अधिकारों की बात हो या अलग राज्य की मांग हर मोर्चे पर उन्होंने निर्भीक होकर आवाज़ उठाई। उनके जाने से झारखंड के सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में एक ऐसा खालीपन आ गया है जिसे भर पाना मुश्किल है।
अंतिम विदाई की तैयारी
झारखंड के हजारों लोग, कार्यकर्ता और नेता उन्हें अंतिम विदाई देने नेमरा पहुंचेंगे। उनके अंतिम संस्कार की विस्तृत जानकारी झारखंड सरकार और झामुमो पार्टी द्वारा साझा की जाएगी।
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