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Rail Accident: न्यू जलपाईगुड़ी के पास कंचनजंगा एक्सप्रेस से टकराई माल गाड़ी, 15 लोगों की मौत कई घायल

पश्चिम बंगाल में जलपाईगुड़ी के पास खड़ी कंचनजंगा एक्सप्रेस में पीछे से एक मालगाड़ी ने टक्कर मार दी। हादसे में तीन बोगियां बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गईं। इस हादसे में अब 15 लोगों की मौत हुई और कई घायल बताए जा रहे हैं।

Rail Accident: क्या मानवीय भूल या लापरवाही की वजह से हुई है ये ट्रेन हादसा?

 

Rail Accident: पश्चिम बंगाल में सियालदह जाने वाली कंचनजंगा एक्सप्रेस सोमवार को सुबह न्यू जलपाईगुड़ी के पास हादसे का शिकार हो गई। उसे एक मालगाड़ी ने पीछे से टक्कर मार दी। यह हादसा इतना भयानक था कि मालगाड़ी से टक्कर होने के बाद ट्रेनों की तीन बोगियां पटरी से उतर गईं। जबकि कई बोगियां हवा में लहरा गईं। वहीं 15 लोगों की मौत हो गई, जबकि बड़ी संख्या में लोग घायल हुए हैं। हालांकि, रेलवे ने मृतकों का आंकड़ा नौ और घायलों की संख्या 40 के करीब बताई है। आइए जानते हैं ओडिशा के बालासोर ट्रेन हादसे की यादें ताजा करने वाली दुर्घटना कैसे हुई।

सुबह-सुबह खराब था सिग्नल सिस्टम

रेलवे सूत्रों ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। बताया जा रहा है कि रानीपात्रा रेलवे स्टेशन और पश्चिम बंगाल के छत्तर हाट जंक्शन के बीच सुबह साढ़े पांच बजे से ऑटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम खराब पड़ा था। सूत्रों ने बताया कि ट्रेन नंबर 13174 (सियालदह कंचनजंगा एक्सप्रेस) रंगापानी स्टेशन से सुबह आठ बजकर 27 मिनट पर रवाना हुई थी और सुबह पांच बजकर 50 मिनट पर ऑटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम खराब होने के चलते रानीपतरा रेलवे स्टेशन तथा छत्तर हाट के बीच रुकी रही।

सिग्नल फेल होने से हो जाते हैं ऐसे हादसे

ट्रेनों की आवाजाही और दिशानिर्देश को कंट्रोल करने वाले सिग्नलिंग सिस्टम का फेल होना भी हादसे की वजह बनता है। इसके पीछे तकनीकी खामी, पावर की कटौती या मानवीय गलती भी होती है। गलत सिग्नल देने से ट्रेन गलत ट्रैक पर आ जाती है, जिससे उसके किसी दूसरी ट्रेन से टक्कर होने की आशंका बढ़ जाती है। बीते साल ओडिशा ट्रेन हादसे की अहम वजह यही थी।

मानवीय भूल या लापरवाही की वजह से ट्रेन हादसे

रेलवे का संचालन करने, मेनटेन करने, ट्रेनों और ट्रैक को मैनेज करने वाले रेलवे का स्टाफ कई बार थकान, उपेक्षा, नाराजगी, भ्रष्टाचार से जूझता रहता है, जिससे उसके सेफ्टी नियमों और प्रक्रियाओं को नजरअंदाज करने का खतरा ज्यादा रहता है। यही मानवीय भूल या लापरवाही की बड़ी वजह बनती है।

क्या जारी किया गया टीए 912?

वहीं, एक अन्य रेलवे अधिकारी ने बताया कि जब ऑटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम फेल हो जाता है, तो स्टेशन मास्टर टीए 912 नामक एक लिखित प्राधिकरण जारी करता है, जो चालक को खराबी के कारण सेक्शन में सभी लाल सिग्नलों को पार करने का अधिकार देता है। उन्होंने कहा कि रानीपतरा के स्टेशन मास्टर ने ट्रेन संख्या 1374 (सियालदह कंचनजंगा एक्सप्रेस) के लिए टीए 912 जारी किया था।अधिकारी ने आगे कहा कि उसी समय एक मालगाड़ी जीएफसीजे सुबह आठ बजकर 42 मिनट पर रंगापानी से रवाना हुई और 13174 के पिछले हिस्से से टकरा गई। इससे गार्ड का डिब्बा, दो पार्सल डिब्बे और एक सामान्य सीटिंग डिब्बा पटरी से उतर गया।

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चालक ने सिग्नल की अनदेखी की?

रेलवे बोर्ड ने अपने बयान में कहा था कि मालगाड़ी का चालक तय मानक गति से ज्यादा स्पीड पर ट्रेन चला रहा था। उसने सिग्नल की अनदेखी की थी। इस हादसे में मरने वालों की कुल संख्या नौ बताई जा रही है। हालांकि कुछ स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि यह संख्या 15 तक है।

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