यूपी का सबसे गरीब जिला बहराइच, इन मानकों पर हुई है परख: Poorest district of uttar pradesh
गरीबी को लेकर नीति आयोग की ताजा रिपोर्ट में देवीपाटन मंडल के तीन जिले प्रदेश में शीर्ष पर हैं। बहराइच में औसतन आधी आबादी आज भी गरीब है। दूसरी तरफ अमीरों की श्रेणी में शीर्ष पर गाजियाबाद है। दूसरे नंबर लखनऊ और तीसरे नंबर पर कानपुर का कब्जा है।
Poorest district of uttar pradesh: जानिए क्या कहती है नीति आयोग की ताजा रिपोर्ट, क्यों है सबसे गरीब जिला
Poorest district of uttar pradesh:उत्तर भारत में जब भी प्रमुख राज्यों की बात होती है, तो इसमें उत्तर प्रदेश के नाम भी प्रमुखता से लिया जाता है। भारत के यह राज्य कृषि प्रधान राज्य है, जो कि गेहूं, आलू और गन्ने का प्रमुख उत्पादक राज्य है। उत्तर प्रदेश भारत का चौथा सबसे बड़ा राज्य है। इसके कुल क्षेत्रफल की बात करें, तो यह 240,928 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इसके अलावा भारत के यह राज्य सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य भी है। साल 2011 में यहां की जनसंख्या 19 करोड़ 98 लाख 12 हजार 341 दर्ज की गई थी। हालांकि, वर्तमान में यह आंकड़ा करीब 24 करोड़ पहुंच गया है। भारत का यह राज्य सबसे अधिक जिले वाला राज्य भी है। आपने अलग-अलग जिलों के बारे में पढ़ा और सुना भी होगा। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि उत्तर प्रदेश का कौन-सा जिला सबसे गरीब जिला है। यदि नहीं, तो हम इस बारे में आपको बताने जा रहें हैं।
उत्तर प्रदेश में कुल कितने जिले हैं
सबसे पहले हम यह जान लेते हैं कि उत्तर प्रदेश में कुल कितने जिले हैं, तो आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में कुल 75 जिले हैं, जो कि 18 मंडलों में आते हैं। प्रदेश का सबसे बड़ा जिला लखीमपुर खीरी जिला है। वहीं, प्रदेश में सबसे छोटा जिला हापुड़ जिला है। इसका सबसे उत्तर जिला सहारनपुर है, तो सबसे दक्षिणी जिला सोनभद्र है। वहीं, सबसे पूर्वी जिला बलिया है, तो सबसे पश्चिमी जिला शामली है।
उत्तर प्रदेश का सबसे गरीब जिला
अब सवाल है कि उत्तर प्रदेश का सबसे गरीब जिला कौन-सा है, तो आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश का सबसे गरीब जिला बहराइच जिला है।
क्यों है सबसे गरीब जिला
अब आप सोच रहे होंगे कि बहराइच जिला ही सबसे गरीब जिला क्यों है। आपको बता दें कि नीति आयोग की ओर से जुलाई 2023 में बहुआयामी-सूचकांक 2023 रिपोर्ट को जारी किया गया था। इसके तहत अलग-अलग जिलों में गरीबी का आकलन किया गया था। ऐसे में उत्तर प्रदेश के सबसे अमीर और सबसे गरीब जिलों का भी आकलन हुआ था, जिसमें बहराइच जिले में गरीबों का प्रतिशत सबसे अधिक यानि कि 55% दर्ज किया गया था। हालांकि, यहां राहत वाली बात यह है कि साल 2016 में यहां दर्ज गरीबी का आंकड़ा 72 फीसदी था। ऐसे में पिछले पांच वर्षों में यानि कि साल 2021 तक यहां गरीबी में कमी आई है।
इन मानकों पर हुई परख
गरीबी के लिए जिलों को मुख्य रूप से तीन मानकों स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर के आधार पर परखा गया। इसमें जिलों को पोषण, जन्म व मृत्यु दर, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, बच्चों के स्कूल जाने की उम्र, स्कूल में उपस्थिति, ईंधन, एलपीजी, सफाई, शौचालय, आवास, पीने का पानी, बिजली, संपत्ति, बैंक खातों को आधार बनाया गया।
गरीबी में शीर्ष 10 जिले (आंकड़े प्रतिशत में)
जिला — वर्ष 2016 — 2021
1. बहराइच — 72 — 55
2. श्रावस्ती — 74 — 50
3. बलरामपुर — 70 — 42
4. बंदायू — 57 — 40
5. सीतापुर — 57 — 40
6. सिद्धार्थनगर — 57 — 37
7. संभल – – — 35
8. खीरी — 60 — 35
9. हरदोई — 51 — 34
10. बांदा — 40 — 34
बहराइच का इतिहास
बहराइच देवीपाटन मंडल के उत्तर-पूर्वी हिस्से में स्थित है। यह 28.24 से 27.4 अक्षांश और 81.65 से 81.3 पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। 1991 के जिले के इलाके के अनुसार यह 4696.8 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला है। बहराइच जिला के उत्तरी भाग पर नेपाल के साथ एक अंतरराष्ट्रीय सीमा है। इसके दक्षिण में बाराबंकी और सीतापुर जिला, पश्चिम में खीरी और गोंडा जिला और पूर्वी हिस्से में श्रावस्ती जिला स्थित हैं। जिले का उत्तरी भाग ताराई क्षेत्र है जो घने प्राकृतिक वन से ढ़का हुआ है। चकिया, सुजौली, निशंगरा, मिहिनपुरवा, बिची और बाघौली जिले के मुख्य वन क्षेत्र हैं। सरजू और घाघरा, जिले की प्रमुख नदियां हैं।
घने जंगल और तेजी से बहने वाली नदियाँ जिला बहराइच की खासियत है। जिला बहराइच के महान ऐतिहासिक महत्व के बारे में कई पौराणिक तथ्य हैं यह भगवान ब्रह्मा की राजधानी, ब्रह्मांड के निर्माता के रूप में प्रसिद्ध था यह गंधर्व वन के हिस्से के रूप में भी जाना जाता था आज भी जिले के सौ वर्ग किलोमीटर के उत्तर पूर्व क्षेत्र में जंगल से ढंका है। ऐसा कहा जाता है कि ब्रह्मा जी ने इस वन क्षेत्र को ऋषियों और साधुओं की पूजा के स्थान के रूप में विकसित किया था। इसलिए इस स्थान को “ब्रह्माच” के रूप में जाना जाता है।
बहराइच की संस्कृति
बहराइच में एक विविध संस्कृति है जो हिंदू, मुस्लिम और बौद्ध परंपराओं से प्रभावित है। यह शहर अपने अनोखे त्योहारों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए जाना जाता है। बहराइच में मनाए जाने वाले सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक हजरत गाज़ी सय्यद सलार मसूद गाज़ी का मेला है, जो सालाना जेठ के महीने में आयोजित किया जाता है।
बहराइच की अर्थव्यवस्था
व्यापार: बहराइच नेपाल के साथ होने वाले व्यापार जिनमें कृषि उत्पाद और इमारती लकड़ी प्रमुख है, का केंद्र है। यहाँ चीनी की मिलें भी हैं।
कृषि: इसके आसपास के कृषि क्षेत्र में गन्ना, केला ,धान, मकई, गेहूँ और चना (सफ़ेद चना) उगाया जाता है। यहां गन्ना भी मुख्य रूप से उगाया जाता है।
बहराइच की जनसंख्या
2001 की जनगणना के अनुसार बहराइच नगर की जनसंख्या 186,223 थी, जिनमें 97,653 पुरुष थे और 88,570 महिलाएं थीं। और ज़िले की कुल जनसंख्या 23,84,2439 है। 0 से 6 वर्ष की आयु के भीतर जनसंख्या 24,097 थी। बहराइच में साक्षरता 64.2% (कुल संख्या 119,564) है, जिसमें पुरुष साक्षरता 66.5% और 61.7% महिला साक्षरता थी। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की आबादी क्रमशः 9,584 और 170 थी। बहराइच में 2011 में 30460 घर थे।
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