Parakram Divas 2026: पराक्रम दिवस 2026, क्यों मनाई जाती है नेताजी की जयंती, जानिए महत्व?
Parakram Divas 2026, पराक्रम दिवस (Parakram Diwas) भारत में हर वर्ष 23 जनवरी को मनाया जाता है। यह दिन भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के रूप में मनाया जाता है।
Parakram Divas 2026 : पराक्रम दिवस 2026, अदम्य साहस और राष्ट्रभक्ति की अमर गाथा
Parakram Divas 2026, पराक्रम दिवस (Parakram Diwas) भारत में हर वर्ष 23 जनवरी को मनाया जाता है। यह दिन भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के रूप में मनाया जाता है। वर्ष 2026 में पराक्रम दिवस एक बार फिर देश को नेताजी के अदम्य साहस, राष्ट्रभक्ति और बलिदान की याद दिलाएगा। यह दिन केवल एक स्मरण दिवस नहीं, बल्कि भारतीय युवाओं को प्रेरणा देने वाला राष्ट्रीय पर्व है।
पराक्रम दिवस का महत्व
नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के ऐसे योद्धा थे, जिन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के सामने झुकने से इनकार कर दिया। उनका मानना था कि आज़ादी भीख में नहीं, बल्कि संघर्ष से मिलती है। इसी सोच के कारण उन्होंने आज़ाद हिंद फौज का गठन किया और सशस्त्र क्रांति के जरिए भारत को स्वतंत्र कराने का प्रयास किया। पराक्रम दिवस हमें यह याद दिलाता है कि राष्ट्र की स्वतंत्रता और सम्मान के लिए साहस, त्याग और दृढ़ संकल्प कितना आवश्यक है।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जीवन परिचय
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को ओडिशा के कटक में हुआ था। वे बचपन से ही तेजस्वी, अनुशासित और देशभक्त थे। उन्होंने भारतीय सिविल सेवा (ICS) की कठिन परीक्षा पास की, लेकिन अंग्रेजी शासन की सेवा करना उन्हें स्वीकार नहीं था। इसलिए उन्होंने यह प्रतिष्ठित पद छोड़कर देश की आज़ादी को अपना जीवन लक्ष्य बना लिया।
आज़ाद हिंद फौज और ‘दिल्ली चलो’ का नारा
नेताजी ने विदेश जाकर आज़ाद हिंद फौज (INA) का गठन किया और भारतीय सैनिकों को संगठित किया। उनका प्रसिद्ध नारा “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा” आज भी हर भारतीय के रोंगटे खड़े कर देता है।
उन्होंने “दिल्ली चलो” का आह्वान किया और ब्रिटिश साम्राज्य को खुली चुनौती दी। यह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का एक साहसिक और निर्णायक मोड़ था।
पराक्रम दिवस क्यों मनाया जाता है?
भारत सरकार ने वर्ष 2021 से नेताजी की जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। इसका उद्देश्य था:
- युवाओं में साहस और आत्मविश्वास पैदा करना
- देशभक्ति की भावना को मजबूत करना
- नेताजी के विचारों और योगदान को नई पीढ़ी तक पहुंचाना
- भारत की सैन्य और रणनीतिक शक्ति को सम्मान देना
पराक्रम दिवस 2026 पर होने वाले आयोजन
पराक्रम दिवस 2026 पर देशभर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जैसे:
- नेताजी की प्रतिमाओं पर पुष्पांजलि
- देशभक्ति से जुड़े सांस्कृतिक कार्यक्रम
- स्कूल और कॉलेजों में भाषण, निबंध और वाद-विवाद प्रतियोगिताएं
- आज़ाद हिंद फौज के योगदान पर विशेष प्रदर्शनी
- राष्ट्रभक्ति गीत और नाट्य मंचन
इन आयोजनों का उद्देश्य युवाओं को नेताजी के विचारों से जोड़ना है।
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युवाओं के लिए पराक्रम दिवस का संदेश
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जीवन युवाओं के लिए अनंत प्रेरणा है। उन्होंने सिखाया कि कठिन परिस्थितियों में भी हार नहीं माननी चाहिए। पराक्रम दिवस युवाओं को यह संदेश देता है कि:
- देशहित सर्वोपरि होना चाहिए
- अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाना जरूरी है
- आत्मनिर्भरता और आत्मसम्मान ही सच्ची आज़ादी है
आधुनिक भारत में नेताजी की प्रासंगिकता
आज जब भारत वैश्विक मंच पर एक सशक्त राष्ट्र के रूप में उभर रहा है, तब नेताजी के विचार और भी प्रासंगिक हो गए हैं। उनका आत्मनिर्भर भारत, मजबूत सेना और राष्ट्रीय स्वाभिमान का सपना आज के भारत की नीतियों में साफ दिखाई देता है। पराक्रम दिवस हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हम अपने कर्तव्यों को उतनी ही निष्ठा से निभा रहे हैं, जितनी निष्ठा से नेताजी ने देश के लिए अपना जीवन समर्पित किया।
पराक्रम का अर्थ और भाव
“पराक्रम” का अर्थ केवल शारीरिक बल नहीं, बल्कि मानसिक दृढ़ता, साहस और नैतिक शक्ति भी है। नेताजी का जीवन इस बात का प्रमाण है कि सच्चा पराक्रम वही है, जो राष्ट्र और समाज के कल्याण के लिए किया जाए। पराक्रम दिवस 2026 हमें नेताजी सुभाष चंद्र बोस के अद्वितीय साहस, बलिदान और राष्ट्रप्रेम को नमन करने का अवसर देता है। यह दिन हमें प्रेरित करता है कि हम भी अपने-अपने क्षेत्र में ईमानदारी, साहस और देशभक्ति के साथ कार्य करें।
नेताजी का जीवन संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है—“स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है, और इसे पाने के लिए हर बलिदान स्वीकार है।”
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