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Mwalimu Nyerere Day: अफ्रीका के महान नेता जूलियस न्येरेरे 2025, जानिए क्यों मनाया जाता है म्वालिमु न्येरेरे दिवस

Mwalimu Nyerere Day, हर साल 14 अक्टूबर को म्वालिमु जूलियस न्येरेरे दिवस (Mwalimu Julius Nyerere Day) मनाया जाता है। यह दिन अफ्रीका के महानतम नेताओं में से एक,

Mwalimu Nyerere Day : शिक्षा, समानता और एकता के प्रतीक, म्वालिमु न्येरेरे दिवस का महत्व

Mwalimu Nyerere Day, हर साल 14 अक्टूबर को म्वालिमु जूलियस न्येरेरे दिवस (Mwalimu Julius Nyerere Day) मनाया जाता है। यह दिन अफ्रीका के महानतम नेताओं में से एक, तंजानिया के प्रथम राष्ट्रपति जूलियस कम्बरागे न्येरेरे (Julius Kambarage Nyerere) की याद में समर्पित है। न्येरेरे न केवल एक स्वतंत्रता सेनानी थे, बल्कि एक दूरदर्शी शिक्षक, चिंतक और समाजवादी विचारधारा के प्रणेता भी थे। ‘म्वालिमु’ शब्द स्वाहिली भाषा में ‘शिक्षक’ का अर्थ रखता है, जो उनके व्यक्तित्व का सटीक परिचय है। उन्होंने अपने जीवन से यह सिखाया कि शिक्षा, समानता और एकता किसी भी राष्ट्र की प्रगति की आधारशिला हैं।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

जूलियस न्येरेरे का जन्म 13 अप्रैल 1922 को तंगानिका (अब तंजानिया) के बुतीआमा गाँव में हुआ था। वे अपने परिवार में पहली ऐसी संतान थे जिन्होंने औपचारिक शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने मिशन स्कूलों से प्राथमिक शिक्षा ली और फिर मकरोरे सेकेंडरी स्कूल से माध्यमिक शिक्षा पूरी की। इसके बाद उन्हें युगांडा के मेकररे यूनिवर्सिटी कॉलेज और फिर यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग (स्कॉटलैंड) से उच्च शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिला। एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी से स्नातक करने वाले वे पहले तंजानियाई नागरिक बने। यही शिक्षा और विदेशों का अनुभव उनके भीतर राष्ट्र निर्माण और सामाजिक समानता के गहरे विचारों का आधार बना।

राजनीतिक जीवन की शुरुआत

शिक्षक के रूप में कार्य करते हुए न्येरेरे ने महसूस किया कि उनके देश के लोग गरीबी, अशिक्षा और औपनिवेशिक शासन की बेड़ियों में जकड़े हुए हैं। 1954 में उन्होंने तंगानिका अफ्रीकन नेशनल यूनियन (TANU) की स्थापना की, जिसका उद्देश्य ब्रिटिश उपनिवेशवाद से स्वतंत्रता प्राप्त करना था। उनकी सादगी, सच्चाई और जनता से गहरा जुड़ाव देखते ही देखते उन्हें ‘म्वालिमु’ के नाम से पुकारा जाने लगा।

तंजानिया की स्वतंत्रता और राष्ट्रपति काल

न्येरेरे के नेतृत्व में तंगानिका ने 9 दिसंबर 1961 को ब्रिटेन से स्वतंत्रता प्राप्त की। 1964 में जब तंगानिका और जंजीबार का विलय हुआ, तो देश का नाम बदलकर ‘संयुक्त गणराज्य तंजानिया’ (United Republic of Tanzania) रखा गया। जूलियस न्येरेरे इस नए देश के पहले राष्ट्रपति बने। उन्होंने 1964 से 1985 तक देश का नेतृत्व किया।
अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने एकता, शिक्षा और स्वावलंबन पर आधारित नीतियों को प्राथमिकता दी।

उजामा नीति – अफ्रीकी समाजवाद का आधार

न्येरेरे की सबसे प्रसिद्ध नीति ‘उजामा’ (Ujamaa) थी, जिसका अर्थ है “परिवारभाव” या “सामुदायिक एकता”।
यह नीति अफ्रीकी समाजवाद की अवधारणा पर आधारित थी, जिसमें हर व्यक्ति को सामूहिक जिम्मेदारी निभाने, समान अवसर पाने और एक-दूसरे की मदद करने पर बल दिया गया। उनका विश्वास था कि पश्चिमी पूंजीवादी मॉडल अफ्रीकी समाज के लिए उपयुक्त नहीं है। उन्होंने गांवों में सामूहिक कृषि, शिक्षा के प्रसार और ग्रामीण विकास को प्राथमिकता दी। हालांकि यह नीति आर्थिक रूप से पूरी तरह सफल नहीं हो सकी, लेकिन इसने तंजानिया की सामाजिक संरचना को मजबूत किया और लोगों में समानता व आत्मनिर्भरता की भावना जगाई।

न्येरेरे की विचारधारा और वैश्विक योगदान

न्येरेरे अफ्रीकी देशों की स्वतंत्रता के समर्थक थे। उन्होंने पैन-अफ्रीकनिज़्म (Pan-Africanism) की विचारधारा को बल दिया और अफ्रीका के एकीकरण के लिए कई मंचों पर आवाज उठाई। वे अन्य अफ्रीकी नेताओं जैसे क्वामे नक्रूमा (घाना) और जोमो केन्याटा (केन्या) के साथ मिलकर एकता और आत्मनिर्भरता के पक्षधर रहे।

म्वालिमु न्येरेरे दिवस का महत्व

14 अक्टूबर 1999 को न्येरेरे का निधन हुआ। उनकी मृत्यु के बाद तंजानिया सरकार ने इस दिन को राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया। हर साल यह दिन उनके आदर्शों, नैतिकता और राष्ट्र निर्माण में योगदान की याद में मनाया जाता है। इस दिन देशभर में सांस्कृतिक कार्यक्रम, भाषण, शैक्षणिक संगोष्ठियाँ और सामुदायिक सेवाएँ आयोजित की जाती हैं।
स्कूलों और कॉलेजों में विद्यार्थियों को उनकी शिक्षाओं से परिचित कराया जाता है ताकि वे एक जिम्मेदार और नैतिक नागरिक बन सकें।

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भारत और न्येरेरे के रिश्ते

भारत और तंजानिया के संबंधों में भी न्येरेरे का योगदान अहम रहा है। वे महात्मा गांधी से गहराई से प्रभावित थे और अहिंसा व आत्मनिर्भरता के सिद्धांतों को अपने शासन में अपनाया। भारत और तंजानिया ने शिक्षा, स्वास्थ्य और व्यापार के क्षेत्र में उनके कार्यकाल के दौरान मजबूत साझेदारी स्थापित की।

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एक सच्चे शिक्षक और दूरदर्शी नेता की विरासत

म्वालिमु जूलियस न्येरेरे का जीवन सादगी, ईमानदारी और समर्पण का प्रतीक था। उन्होंने दिखाया कि सत्ता में रहकर भी सादगी और जनसेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं। उनकी उजामा नीति, अफ्रीकी एकता के लिए प्रयास, और शिक्षा के प्रति समर्पण आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं। म्वालिमु न्येरेरे दिवस हमें यह याद दिलाता है कि एक शिक्षक अपने विचारों से पूरी दुनिया बदल सकता है।

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