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Monsoon Update: किसानों के लिए अगले 4 हफ्ते तक टेंशन देगा मॉनसून, आई ये चेतावनी

देश के किसानों के लिए अगले 4 हफ्ते तक टेंशन देगा मॉनसून, आई ये चेतावनी, मानसून बढ़ाएगा चिंता।

Monsoon Update: जाने मानसून की देरी का किसानों पर क्या पड़ेगा असर

Monsoon update:  देश के किसानों के लिए अगले 4 हफ्ते तक टेंशन देगा मॉनसून, आई ये चेतावनी, मानसून बढ़ाएगा चिंता। मौसम विभाग ने बताया भारत में मॉनसून हर साल जून से सितंबर के बीच केरल से शुरू होता है। देश में इस सीजन में मॉनसून के पहुंचने की तय तारीख 1 जून है। लेकिन इस बार केरल में मानसून पूरे एक सप्ताह की देरी से पहुंचा है। इसलिए देश के अन्य राज्यों में भी मानसून पहुंचने में देरी हो रही है।

दरअसल, केरल के तट पर मॉनसून एक सप्ताह की देरी से 8 जून को दस्तक दी है। देश के अन्य राज्यों में भी मॉनसून के पहुंचने में देर हो रही है। मौसम विभाग ने उत्तर भारत में 1 जुलाई तक मॉनसून के पहुंचने का अनुमान जताया है। मॉनसून में देरी का असर किसानों पर भी पड़ सकता है। सही समय पर बारिश नहीं होने के चलते किसानों धान की बुवाई और उसके उत्पादन पर प्रभाव पड़ेगा।

6 जुलाई तक कमजोर मॉनसून का पूर्वानुमान

प्राइवेट फोरकास्टिंग एजेंसी स्काईमेट वेदर ने देश में अगले चार हफ्तों में कमजोर मॉनसून की भविष्यवाणी की है। इससे फसलें प्रभावित होने की समस्या बढ़ गई है। स्काईमेट ने कहा कि कमजोर मॉनसून के 6 जुलाई तक रहने के आसार है। यही वो समय होता है, जब बुवाई की जाती है और आने वाली बारिश की उम्मीद में किसान अपने खेतों को तैयार करते हैं।

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साल 2022 में भी किसानों को हुआ था भारी नुकसान

बता दें कि पिछले बार भी कमजोर मॉनसून के चलते किसानों को काफी खामियाजा उठाना पड़ा था। धान की बुवाई में किसानों को देरी करनी पड़ी थी, जिसके चलते उसकी उपज में भी गिरावट दर्ज की गई थी। उत्तर प्रदेश के 62 जिलों को सूखाग्रस्त घोषित कर दिया गया था। बिहार और झारखंड के भी सभी जिलों को सूखे की मार झेलनी पड़ी थी। सरकार ने उस दौरान किसानों कम सिंचाई की जरूरत वाली फसलों की खेती करने की अपील की थी।

केरल में 7 दिन की देरी से पहुंचा था मानसून

हालांकि 7 दिन की देरी कुछ ज्यादा नहीं है पर यह देरी पिछले 7 सालों में सबसे लंबी भी है। मानसून देश के उन्नति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह न केवल फसलों को बनाए रखने के लिए आवश्यक है बल्कि उन जलाशयों को फिर से भरने के लिए भी आवश्यक है जो पूरे देश में पेयजल आपूर्ति और बिजली उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण हैं।

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डराने वाला है पूर्वानुमान

अगर इस बार भी मानसून में ऐसे ही देरी होती रही तो लगातार दूसरे साल किसानों को धान की बुवाई के लिए तकलीफों का सामना करना पड़ सकता है। उत्पादन गिरने का असर किसानों की आय पर पड़ेगा। वहीं, दूसरी तरफ धान की पैदावार कम होने से सरकार के स्टॉक पर भी असर पड़ सकता है।

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Roshni Mishra

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