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Gyanvapi Case : ज्ञानवापी पर हाईकोर्ट से मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका,जारी रहेगा एएसआई का सर्वे

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनाया आज फैसला लिया है,कि ज्ञानवापी परिसर के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण सर्वे जारी रहेगा।

Gyanvapi Case : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनाया आज फैसला, मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका लगा 


ज्ञानवापी मस्जिद विवाद –

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को सर्वेक्षण करने की अनुमति दे दी है। हाईकोर्ट से मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका लगा है। ज्ञानवापी मस्जिद विवाद पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही थी।कोर्ट ने ज्ञानवापी के ASI सर्वे पर रोक लगा दी थी। अब इस मामले में कोर्ट 3 अगस्त को फैसला सुनाने का फैसला किया है।ज्ञान‌‌‌वापी केस में ASI सर्वे की इजाजत मिल गई है। वाराणसी कोर्ट ने शुक्रवार को अपने फैसले में कहा कि वजु स्थल को छोड़कर बाकी पूरे कैंपस का बिना नुकसान पहुंचाए साइंटिफिक सर्वे किया जा सकता है। जिला जज ने ASI  के डायरेक्टर को 4 अगस्त को कोर्ट में पेश होने को कहा है,और उन्हें कोर्ट को यह भी बताना होगा कि वो ये सर्वे कैसे और किस तरह से  किया जाएगा।

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न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर का बयान –

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के एएसआई का सर्वे को लेकर गुरुवार को बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की याचिका को खारिज कर दिया है। साथ ही ज्ञानवापी परिसर के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण सर्वे को अनुमति दे दी है।21 जुलाई को वाराणसी जिला जज ने ज्ञानवापी के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण एएसआई सर्वे का आदेश दिया था। इस पर मुस्लिम पक्ष ने पहले सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में सर्वे के फैसले को चुनौती दी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि न्यायहित में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का सर्वे जरूरी है। कुछ शर्तों के साथ इसे लागू करने की जरूरत है।

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 इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद पर फैसला –

कोर्ट में दलील देते हुए मुस्लिम पक्ष के वकील एस एस नकवी ने असमायिक अदालती आदेश के जरिये ज्ञानवापी के वैज्ञानिक सर्वेक्षण से ज्ञानवापी के मूल ढांचे को नुकसान पहुंचने की आशंका जताई थी।एएसआई ने मुस्लिम पक्ष की दलील को सिरे से खारिज करते हुए कहा था कि सर्वेक्षण के लिए अपनाई जाने वाली तकनीक से ज्ञानवापी की मूल संरचना को खरोंच तक नहीं आयेगी। जबकि, हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन और सौरभ तिवारी का कहना था कि वैज्ञानिक सर्वेक्षण के जरिए वो ज्ञानवापी की सच्चाई सामने लाना चाहते है।

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