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Kisan sabha : हरियाणा में किसान संगठनों का विरोध, दिल्ली मार्च को लेकर SKM और किसान सभा का रुख स्पष्ट

Kisan sabha, किसानों के दिल्ली मार्च से हरियाणा के किसान संगठनों ने दूरी बना ली है। इस मार्च का आयोजन दिल्ली में हुआ था, और इसके मुख्य उद्देश्य केंद्र सरकार द्वारा लागू कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करना था।

Kisan sabha : किसान आंदोलन में दरार? हरियाणा के संगठनों ने दिल्ली मार्च से किया किनारा

Kisan sabha, किसानों के दिल्ली मार्च से हरियाणा के किसान संगठनों ने दूरी बना ली है। इस मार्च का आयोजन दिल्ली में हुआ था, और इसके मुख्य उद्देश्य केंद्र सरकार द्वारा लागू कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करना था। हालांकि, इस मार्च से कई किसान संगठन और नेता नाराज हो गए हैं, विशेषकर हरियाणा के किसान संगठनों ने इसमें भाग लेने से इनकार कर दिया है। इसमें एक बड़ा नाम भारतीय किसान यूनियन (BKU) के हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी का है, जिनकी अगुवाई में कई अन्य किसान संगठन भी इस मार्च से बाहर हो गए हैं।

बैठक में क्या हुआ?

रविवार को संयुक्त किसान मोर्चा के पदाधिकारियों की नोएडा अथॉरिटी, पुलिस और जिला प्रशासन के उच्चाधिकारियों के साथ बैठक हुई। ये बैठक यमुना प्राधिकरण के सभागार में करीब 3 घंटे तक चली। हालांकि, वार्ता विफल रही। किसानों का कहना है कि अधिकारियों ने कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया है किसानों के आह्वान के बाद नोएडा और दिल्ली पुलिस अलर्ट मोड पर है। नोएडा से लगने वाले दिल्ली के सभी बॉर्डर पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है. कई किसान नेता नजरबंद किए गए हैं।

दिल्ली मार्च का उद्देश्य

दिल्ली मार्च को लेकर किसानों का कहना था कि यह मार्च केंद्र सरकार से उन तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करने के लिए किया जा रहा था, जिन्हें किसान कई महीनों से विरोध कर रहे हैं। 1 जनवरी 2014 के बाद अधिग्रहित भूमि पर बाजार दर का चार गुना मुआवजा और 20% प्लॉट दिया जाए। मुद्दों पर सरकारी आदेश जारी किया जाए, आबादी क्षेत्र का उचित निस्तारण किया जाना चाहिए। पुराने भूमि अधिग्रहण कानून के तहत प्रभावित किसानों को 10% प्लॉट और 64.7% बढ़ा हुआ मुआवजा दिया जाए। भूमिहीन किसानों के बच्चों को रोजगार और पुनर्वास का लाभ दिया जाए, हाई पावर कमेटी की ओर से पास किए गए

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हरियाणा के किसान संगठन और उनकी नाराजगी

हरियाणा के किसान संगठनों ने दिल्ली मार्च से दूरी बना ली है। इनमें भारतीय किसान यूनियन (BKU) और किसान सभा प्रमुख संगठन हैं, जिन्होंने इस मार्च का विरोध किया है। इन संगठनों का कहना है कि इस तरह के प्रदर्शन से किसानों के मुद्दे को सुलझाने में कोई मदद नहीं मिलेगी। इसके अलावा, इन संगठनों का आरोप है कि दिल्ली मार्च के आयोजन में कुछ नेताओं का व्यक्तिगत एजेंडा था, जिससे किसान आंदोलन का प्रभाव कम हो सकता है।

किसान सभा की नाराजगी

फिलहाल ग्रेटर नोएडा के जो किसान दिल्ली मार्च कर रहे हैं, उसकी अगुवाई भारतीय किसान परिषद (BKP) कर रहा है। इस परिषद में किसान मजदूर मोर्चा (KMM) और संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) जैसे कई अन्य किसान संगठन शामिल हैं। BKP नेता सुखबीर खलीफा के नेतृत्व में पहला समूह आज दोपहर 12 बजे नोएडा के महामाया फ्लाईओवर के नीचे से अपना मार्च शुरू करेगा।किसान दिल्ली मार्च के लिए सबसे पहले महामाया फ्लाईओवर के पास जुटेंगे. यहां दोपहर 12 बजे से दिल्ली की ओर बढ़ेंगे, इस दौरान वह पैदल और ट्रैक्टर से मार्च करेंगे।

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कौन से नेता होंगे शामिल?

पंजाब-हरियाणा के किसान 6 दिसंबर को दिल्ली कूच करेंगे, किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने बताया कि पंजाब और हरियाणा के सीमा क्षेत्र पर शंभू और खनौरी बॉर्डर पर किसान नेता 6 दिसंबर को दिल्ली के लिए मार्च करेंगे। पंढेर का कहना है कि केंद्र ने अब तक किसानों से उनके मुद्दों पर बातचीत नहीं की है, MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर कानूनी गारंटी की मांग पर भी ध्यान नहीं है।

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