ट्रिपल तलाक पर केंद्र से सुप्रीम कोर्ट मे दायर किया हलफनामा
ट्रिपल तलाक पर केंद्र से सुप्रीम कोर्ट मे दायर किया हलफनामा
ट्रिपल तलाक पर केंद्र से सुप्रीम कोर्ट मे दायर किया हलफनामा:- केंद्र सरकार ने ट्रिपल तलाक पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना हलफनामा दायर किया है। दायर हलफनामा में कहा गया है कि ये किसी धर्म का मामला नहीं है।
यह नारीवादी समाज से तालुक रखता है। साथ ही ट्रिपल तलाक, निकाह हलाला और बहुविवाह जैसी प्रथाओं का विरोध किया गया है।
केंद्र सरकार ने लैंगिक समानता, धर्मनिरेपक्षता, धार्मिक प्रथाओं और अंतर्राष्ट्रीय नियमों का हवाला दिया है और नए सिरे से विचार करने की बात कही है।
महिलाओं के सम्मान के साथ समझौता नहीं
मुस्लिम समुदाय में तीन बार तलाक कहने पर ही तलाक हो जाता है जिसे ‘ट्रिपल तलाक’ कहा जाता है। केंद्र और न्याय मंत्रालय द्वारा दायर हलफनामे में कहा गया कि इस भारत जैसे सेक्लुयर देश में लैंगिक समानता और महिलाओं के मान सम्मान के साथ समझौता नहीं किया जा सकता है। संविधान के तहत ट्रिपल तलाक के समानता के अधिकार और भेदभाव के खिलाफ अधिकार के संदर्भ में देखा जाना चाहिए। केंद्र ने कहा है कि धार्मिक प्रथाओं को अधिकार नहीं माना जा सकता है और इसके आधार पर महिलाओं के अधिकार और आकांक्षाओं में बाधा नहीं डाली जा सकती।
पाकिस्तान कानून का दिया हवाला
केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कोई मुस्लिम देशों का जिक्र किया है और साथ पाकिस्तान के कानून का हवाला दिया है। साथ ही कहा कि तलाक के कानून में सुधार होने चाहिए। तलाक से लेकर बहुविवाह तक को रेग्युलेट करने के लिए कानून बनाए गए है।
यूएन का हवाला देते हुए कहा गया है कि यूएन का सदस्य होने के नाते हमारा कर्तव्य बनता है कि हम यूएन के नियमों को माने। यूएन ने पहले ही घोषित कर चुका है कि नस्लभेद, भाषा, धर्म अलग होने के बावजूद महिलाओं को सामान अधिकार होना चाहिए। उनके साथ किसी भी तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए।
आपको बता दें कुल दिन पहले ही कोलकाता की इशरत जहां ने सुप्रीम कोर्ट में ट्रिपल तलाक के खिलाफ अपील दायर की थी। जिसमें उसने कहा कि उसका पति उसे और बच्चों को छोड़कर दुंबई चला गया है और फोन पर ही उसने उसे तलाक दे दिया है।